रतलाम में स्थित महालक्ष्मी मंदिर को दिवाली पर करोड़ों रुपए के नोटों और जेवरों से सजाया जाता है। हाल ही में मंदिर में एक विवाद खड़ा हो गया है। पंडित संजय पुजारी ने सूतक होने के बाद भी पूजा कर दी। श्रीमाली ब्राह्मण समाज ने इसका कड़ा विरोध जताया। इस विवाद के चलते प्रशासन को मंदिर में ताला लगाना पड़ा। सोमवार को 11 घंटे बाद मंदिर के पट खोले गए और संजय पुजारी को हटाकर सत्यनारायण व्यास को अस्थाई पुजारी नियुक्त किया गया।
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क्या थी विवाद की वजह?
रतलाम के माणक चौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर को हर साल दिवाली पर विशेष रूप से सजाया जाता है। बताया गया है कि भक्तगण नोटों और जेवरों से इस मंदिर को सजाते हैं। इस वर्ष भी लाखों की धनराशि आ चुकी है। पंडित संजय पुजारी के बड़े भाई का निधन हो जाने के कारण उनके परिवार में सूतक लगा हुआ था। इसके बाद भी उन्होंने मंदिर में पूजा जारी रखी। इस पर समाज के लोगों ने आपत्ति जताई है। समाज के लोगों का कहना था कि सूतक के समय पूजा करना अनुचित है। प्रशासन ने इस विवाद के बाद संजय पुजारी को हटाकर नए पुजारी की अस्थाई नियुक्ति कर दी। समाज के लोगों ने मंदिर के बाहर गंगाजल और गौमूत्र से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुद्धिकरण किया।
रुपयों और आभूषणों की मांगी जानकारी
मंदिर के ताले सोमवार सुबह 8 बजे नायब तहसीलदार आशीष उपाध्याय की मौजूदगी में खोले गए। प्रशासन ने पंडित संजय को नोटिस जारी कर सजावट के दौरान आने वाले रुपयों और आभूषणों की जानकारी देने का आदेश दिया। मंदिर की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल भी तैनात किया गया है।
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सजावट पर सवाल और समाधान
बताया गया कि मंदिर की सजावट के लिए प्रतिदिन भक्त बड़ी मात्रा में नोट और जेवर चढ़ाते हैं, जिन्हें लेकर भक्तों में चिंता थी कि अब इनका प्रबंधन कौन करेगा। तहसीलदार ने भरोसा दिलाया कि मंदिर की सजावट में कोई बाधा नहीं आएगी। इसके लिए पटवारियों को तैनात कर उनकी देख-रेख में रुपयों और आभूषणों का संग्रहण होगा।
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