नेपाल की राजधानी काठमांडू में हो रहे दक्षिण एशियाई फेडरेशन (सैफ) महिला फुटबॉल चैम्पियनशिप में भारतीय टीम उम्दा प्रदर्शन दिखा रही है। भारत की टीम ने पाकिस्तान पर 5-2 से जीत हासिल की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी खिलाड़ियों को बधाई दी है। भारतीय फुटबॉल टीम में धार जिले की बेटी ज्योति चौहान भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
आसान नहीं रही राह
सरदारपुर की ज्योति ने अपना पहला इंटरनेशनल फुटबॉल मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला और पहला इंटरनेशनल गोल भी दागा है। सैफ तक ज्योति की यात्रा बिल्कुल आसान नहीं रही, 2012 में पिता के निधन के बाद ज्योति को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। रिश्तेदारों ने खेलने पर रोक भी लगाई, लेकिन ज्योति की मां के सहयोग से आज वे देश भर में अपना नाम रौशन कर रही हैं।
मां करती थीं घरों में काम
ज्योति ने 6-7 साल की उम्र से ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। साल 2012 में उनके पिता के निधन के बाद घर की स्थिति बदल गई। उनकी मां रेखा चौहान को परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। घर चलाने के लिए उन्होंने घरों में झाड़ू-पोछा भी किया। ज्योति पांच बहनों में से तीसरी हैं। उनकी 2 छोटी बहनें भी फुटबॉल खेलती हैं।
फुटबॉल खेलने का किया विरोध
ज्योति के पिता के निधन के बाद उनके रिश्तेदारों ने ज्योति के फुटबॉल खेलने का विरोध किया था। सभी का कहना था कि खेल में कुछ नहीं रखा है, इसे पढ़ाओ-लिखाओ। मां रेखा ने संघर्षों के बावजूद ज्योति को खेलने के लिए प्रेरित किया। जब बेटी की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो घर का काम करने की शर्म से बचने के लिए अपनी बहन के यहां झाबुआ में रहकर रेखा काम करती रही। अब ज्योति कमाने लगी हैं तो उनकी मां को घरों में काम नहीं करना पड़ता है।
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