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MP News: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस बर्बर वारदात के बाद देशभर में गुस्से की लहर है। मध्य प्रदेश में भी जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस बीच एमपी के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अपनी ‘शक्तियां’ राष्ट्रहित में उपयोग करने की अनुमति देने की इच्छा जताई है।
धीरेंद्र शास्त्री का तीखा बयान
हमले के बाद बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इसे ‘सदी की सबसे निंदनीय घटना’ बताया। उन्होंने कहा कि अब हिंदुस्तान में हिंदू होना खतरे में है, क्योंकि आतंकियों ने किसी की जाति नहीं पूछी, केवल धर्म देखकर गोली चला दी। यह बयान तेजी से वायरल हुआ और लाखों लोगों की भावनाओं को झकझोर गया।
रक्षामंत्री को शक्तियां सौंपने की पेशकश
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने नरसिंहपुर में अपने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि वे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अपनी 'शक्तियां' राष्ट्रहित में उपयोग करने की अनुमति देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह अधिकारी नहीं बन सकते, लेकिन जो चेतना उन्हें प्राप्त है, वह देश की सुरक्षा के लिए उपयोगी हो सकती है।
संभावित आतंकी घटनाओं की चेतावनी देने का दावा
उन्होंने यह भी दावा किया कि वे भविष्य की संभावित घटनाओं का पूर्वाभास रख सकते हैं। उनके अनुसार, देश को सुरक्षित रखने के लिए वे गुप्त रूप से इन शक्तियों का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने रक्षा मंत्रालय से यह आग्रह किया कि वे उनकी चेतना का उपयोग खुफिया रूप से करें।
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खुलकर बताऊंगा तो मुझे उड़ा देंगे
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि अगर वह अपनी शक्तियों को सार्वजनिक रूप से उजागर करेंगे, तो उनके जीवन को खतरा हो सकता है। उन्होंने साफ कहा कि वे खुलकर सब कुछ नहीं कह सकते, लेकिन राष्ट्रहित में चुपचाप कार्य कर सकते हैं। यह बयान भी तेजी से चर्चा में आ गया है।
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अध्यात्म और राष्ट्रवाद के बीच नया संवाद
धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान अध्यात्म और राष्ट्र सुरक्षा के बीच एक नई बहस को जन्म दे रहा है। क्या अध्यात्मिक चेतना को राष्ट्रीय सुरक्षा में उपयोग किया जा सकता है? यह प्रश्न अब राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर गंभीरता से उठने लगा है। उनकी इस पेशकश को कुछ लोग राष्ट्रभक्ति का प्रतीक मान रहे हैं, तो कुछ इसे भावनात्मक जनसंपर्क की रणनीति बता रहे हैं।