MP NEWS: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद मोहन यादव ने सबसे पहला आदेश जारी किया था कि धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों को हटाया जाए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों तक तो पूरे प्रदेश में सख्ती का माहौल रहा। पुलिस-प्रशासन ने रातोंरात बेजा लाउडस्पीकर हटवाने शुरू कर दिए थे। यह आदेश खबरों की सुर्खियां भी बना था और आम जनता ने भी राहत महसूस की थी। अब समय बीतते ही वह प्रतिबद्धता केवल सरकारी फाइलों में सिमट कर रह गई है। न तो जमीन पर कोई कार्रवाई हो रही है और न ही जनता की शिकायतों पर कोई सुनवाई होती है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव का पहला आदेश
सीएम मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को पदभार ग्रहण करने के बाद पहला आदेश जारी किया था। कुछ ही घंटों बाद लाउड स्पीकर की तेज आवाज पर अंकुश लगा दिया था। इस आदेश के मुताबिक, धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लाउड स्पीकर अगर निर्धारित डेसिबल से अधिक आवाज में बजता सुनाई देगा तो इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इस आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का हवाला दिया गया था। इसके साथ ही पुलिस और जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया कि वे स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग टीम बनाएं और नियमित रूप से कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार को भेजें।
ये खबर भी पढ़िए... मंत्री पुराण बनाम बजट चर्चा में उलझा सदन, कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
कुछ दिन चला अभियान, फिर सब हुए सुस्त
आदेश के बाद, कुछ सप्ताहों तक पुलिस की सक्रियता देखने को मिली। कई मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से बिना अनुमति लगे लाउडस्पीकर हटवाए गए। कई जिलों में पुलिस ने बाकायदा नोटिस भी चिपकाए कि बिना अनुमति के लगाए गए ध्वनि यंत्रों को हटाएं वरना कार्रवाई की जाएगी। लेकिन समय के साथ इस सख्ती में ढील आती चली गई। अब इसके पीछे का करना स्थानीय या राजनीतिक हस्तक्षेप हो लाउडस्पीकरों की आवाजें एक बार फिर आसमान छूने लगीं। आज हालत यह है कि पुराने ढर्रे पर सब कुछ लौट आया है और मुख्यमंत्री का सख्त आदेश भी धीरे-धीरे मध्य प्रदेश पुलिस की स्मृति से गायब हो चला है।
ये खबर भी पढ़िए... वकीलों ने पुलिस अभद्रता के विरोध में एसपी कार्यालय का घेराव, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
पुलिस वेबसाइट पर ‘लाउडस्पीकर शिकायत’ बनी शोपीस
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर "लाउडस्पीकर शिकायत" के लिए एक अलग सेक्शन भी बनाया था। इसका उद्देश्य था कि नागरिक सीधे ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकें और उन पर त्वरित कार्रवाई हो, लेकिन वास्तविकता बेहद निराशाजनक है। हमने अगस्त 2024 से लेकर अप्रैल 2025 तक कई बार इस पोर्टल पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ शिकायतें दर्ज कीं। पर न तो किसी शिकायत का स्टेटस अपडेट हुआ, न किसी तरह की कार्रवाई हुई। जिससे यह साबित हो गया कि आज स्थिति यह है कि पोर्टल पर शिकायत दर्ज करना एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गया है। शिकायतें दर्ज होती हैं, लेकिन उन पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं देता और न ही नागरिकों को यह जानकारी दी जाती है कि उनकी शिकायत पर क्या निर्णय लिया गया।
ये खबर भी पढ़िए... रायसेन में सरकारी गेहूं के घोटालेबाजों पर जांच समिति भी मेहरबान
पुलिस कर रही सरकारी आदेश की अनदेखी
आम जनता, जिसने मुख्यमंत्री मोहन यादव के आदेश का स्वागत किया था, अब खुद को ठगा सा महसूस कर रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या मध्य प्रदेश में पुलिस चीफ मिनिस्टर के आदेश को भी नजरअंदाज कर रही है या ग्रह मंत्रालय से जारी यह आदेश केवल शुरुआती दिखावे तक ही सीमित था। यदि समय रहते इन शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं हुई, तो यही साबित होगा कि मध्य प्रदेश में पुलिस सरकार से भी ऊपर है।
ये खबर भी पढ़िए... MPPSC ने दिया एक और झटका, 17 साल बाद निकली फूड सेफ्टी आफिसर की भर्ती रद्द