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BHOPAL. गृह विभाग ने चार साल बाद मध्यप्रदेश में नए सिरे से डायल 100 सेवा के संचालन की तैयारी कर ली है। प्रदेश में पहले से इस सेवा के तहत दौड़ रहे पुलिस के फास्ट रिस्पांस व्हीकल अब खटारा हो चुके हैं। इस वजह से कई जगह जरूरतमंदों को पुलिस की मदद मिलने में देरी हो रही है। इसकी शिकायतें भी पुलिस मुख्यालय और डायल- 100 कॉल सेंटर के साथ ही गृह विभाग तक पहुंच रही हैं। इसको देखते हुए सरकार ने नए वित्त वर्ष में डायल-100 सेवा को बेहतर बनाने 1565 करोड़ का भारी भरकम बजट भी स्वीकृत किया है।
इस राशि से प्रदेश में नए वाहन और संसाधन जुटाए जाएंगे। सरकार के निर्देश पर ही गृह विभाग द्वारा नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ाई है। जिसके पहले चरण में तीन कंपनियां सामने आई हैं। इनमें से एक कंपनी प्रदेश में कुछ साल पहले तक 108 एम्बुलेंस का संचालन कर चुकी है जबकि शेष दो वर्तमान में डायल-100 और 108 एम्बुलेंस चला रही हैं।
खटारा वाहनों लड़खड़ाई सेवा
मध्यप्रदेश पुलिस के डायल- 100 वाहन और 108 एम्बुलेंस आमजन के लिए महत्वपूर्ण सेवा बन चुके हैं। इनके माध्यम से हर दिन हजारों लोगों को पुलिस और चिकित्सकीय मदद उपलब्ध हो पा रही है। लेकिन लंबे अरसे तक सड़कों पर दौड़ रहे डायल- 100 वाहन अब खटारा हो चुके हैं और उन्हें बदले जाने का इंतजार है।
अभी प्रदेश में डायल- 100 सेवा का संचालन बीवीजी यानी भारत विकास ग्रुप के हाथ में है। इसकी टेंडर अवधि साल 2020 में ही खत्म हो चुकी है। हांलाकि कोरोना काल के चलते कंपनी को लगातार एक्सटेंशन मिलता रहा है। पुराने और खटारा वाहनों के कारण पुलिस रिस्पांस को लेकर आ रही शिकायतों के बाद अब गृह विभाग इस सेवा के लिए नए सिरे से कंपनी का चयन करने जा रहा है। इसके लिए हाल ही में टेंडर भी बुलाए गए हैं।
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तीन कंपनियों के बीच मुकाबला
गृह विभाग द्वारा डायल- 100 सेवा के लिए जो टेंडर बुलाए गए हैं उसमें तीन कंपनियां आगे आई हैं। वर्तमान में डायल- 100 वाहन चला रही बीवीजी कंपनी के अलावा 108 एम्बुलेंस की वर्तमान संचालक जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेज और पूर्व में इस सेवा का संचालन कर चुकी जीवीके कंपनी ने टेंडर भरे हैं।
सरकार के स्तर पर गृह विभाग द्वारा डायल- 100 सेवा के लिए कंपनी का चयन अंतिम चरण में है। वहीं विभाग भी नई कंपनी को काम सौंपने तक बीवीजी को काम करते रहने का इशारा कर चुका है। ऐसे में अगस्त महीने में प्रदेश में डायल- 100 सेवा नए हाथों में आने की संभावना जताई जा रही है।
नए वाहन देंगे पुलिस रिस्पांस को तेजी
प्रदेश में डायल- 100 सेवा के वाहन 6 साल से भी पुराने हो चुके हैं। इस वजह से ज्यादातर वाहन खटारा और कबाड़ हालत में हैं। ऐसे में पुलिस की मदद निर्धारित समय में जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही और उसमें काफी समय लग जाता है। पुराने वाहन अकसर मौके पर पहुंचने से पहले ही रास्ते में बंद पड़ रहे हैं या दूसरी तकनीकी खामियां आने से थानों में ही खड़े रहते हैं। नए टेंडर के बाद सरकार 1565 करोड़ रुपए इस सेवा पर खर्च करेगी। इससे पुलिस को 1200 नए एफआरवी मिलेंगे जिससे पुलिस रिस्पांस में तेजी आएगी।
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टेंडर के दस्तावेजों में तकनीकी पेंच
गृह विभाग द्वारा डायल- 100 सेवा के लिए जो टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है उसमें दो कंपनियों के टेंडर दस्तावेजों में कुछ तकनीकी दिक्कतें सामने आई हैं। इस स्थिति को देखते हुए एनआईसी और विभाग के तकनीकी अधिकारी पड़ताल में जुटे हुए हैं। वहीं इस टेंडर में शामिल छत्तीसगढ़ की कंपनी जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेज पर एम्बुलेंस वाहनों के पंजीयन के करोड़ों रुपए बकाया हैं।
परिवहन आयुक्त कार्यालय ने बकाया 15 करोड़ रुपए की वसूली के लिए न केवल कंपनी बल्कि स्वास्थ्य विभाग और एनएचएम को भी पत्र जारी किया है। ऐसे में वाहनों के पंजीयन के करोड़ों रुपए की बकायादार कंपनी के टेंडर में शामिल होने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं गृह विभाग डायल- 100 सेवा के संचालन के लिए बीवीजी कंपनी द्वारा 16 फीसदी दर वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है।