ऑपरेशन सूरत 2
संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर लोकसभा के लिए नाम वापसी के दिन सोमवार को सुबह से शुरू हुआ राजनीतिक ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब कलेक्टर कार्यालय इंदौर में दो निर्दलीय प्रत्याशी धरने पर बैठ गए हैं। इनका कहना है कि उन्होंने नाम अपना वापस ही नहीं लिया है, तो उनाक नाम फार्म वापस लेने वाली लिस्ट में कैसे आया? अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह दोनों ऑपरेशन लोटस का शिकार हुए हैं?
इन दो प्रत्याशियों का दावा
निर्दलीय प्रत्याशी और भूतपूर्व वायु सैनिक धर्मेंद्र झाला के साथ ही दिलीप ठक्कर का नाम भी नाम वापसी सूची में हैं। इसके बाद दोनों ने अधिकारियों से बात की, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो वह वहीं धरने पर बैठ गए। झाला का कहना है कि मैं तो चार बजे तक यहां आया ही नहीं था तो फिर मैं नाम वापस कैसे ले सकता हूं? नाम वापसी का अंतिम समय दोपहर तीन बजे तक था। उल्लेखनीय है कि नाम वापसी के लिए तय फार्मेट में आवेदन करना होता है और प्रत्याशी को खुद जिला रिटर्निंग अधिकारी जो कलेक्टर होते हैं, उनके सामने आवेदन करना होता है। यह पूरी प्रक्रिया अक्षय बम ने की थी।
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क्या दोनों शिकार हुए ऑपरेशन लोटस के
उल्लेखनीय है कि बम का नाम वापस होने के बाद इंदौर में सूरत-2 पर काम हो रहा था जिसमें सभी निर्दलीय के भी फार्म वापस कराए जाने थे। इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस के नेता कलेक्टर कार्यालय में ही आमने-सामने हो गए और जमकर हंगामा मचा। इसमें कांग्रेस के आरोप थे कि दबाव बनाकर सभी के फार्म वापस कराए जा रहे हैं। कांग्रेस से शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा थे जो बीजेपी से विधायक गोलू शुक्ला समर्थकों के साथ मौजूद थे। दोनों ओर से जमकर नारेबाजी, हंगामा हुआ। बाद में लिस्ट लगी तो बताया गया कि 23 में से 9 प्रत्याशी नाम वापस ले चुके हैं और केवल 14 ही मैदान में बचे हैं, लेकिन लिस्ट सामने आने के बाद झाला और ठक्कर ने आपत्ति ली है।