/sootr/media/media_files/2025/04/23/tRyNp6bw2jwe5ZpQO0eJ.jpeg)
The sootr
MP News : ग्वालियर में डिजिटल अपराध के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। ठगों ने प्रयागराज स्थित इंडसइंड बैंक के जरिए कुल 1.30 करोड़ रुपए की ठगी की। यह राशि तुरंत ही आठ अलग-अलग राज्यों में स्थित 20 से ज्यादा बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी गई।
ठगी की रकम का तेजी से ट्रांसफर
जांच के दौरान क्राइम ब्रांच की टीम को पता चला है कि जिन खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए, वे खाते अलग-अलग राज्यों में फैले हुए हैं। अब पुलिस उन सभी खातों की डिटेल्स जुटा रही है खाताधारकों के नाम, पते और बैंक शाखाओं की जानकारी मांगी गई है।
ये खबर भी पढ़ें : Online Fraud से परेशान व्यापारी, Digital Payment नहीं लेने के लगा दिए बोर्ड
किराए के बैंक अकाउंट्स पर शक
पुलिस को संदेह है कि ये बैंक खाते नागदा के बंधन बैंक केस की तरह किराए पर लिए गए होंगे। संभव है कि यहां भी एक पूरी टीम या नेटवर्क इस साइबर ठगी के पीछे हो, जो ऑनलाइन फ्रॉड को अंजाम देने के लिए काम कर रही हो।
दिल्ली और नोएडा में 6.5 लाख की ट्रेसिंग
जांच में जुटी को यह भी पता चला है कि दिल्ली और नोएडा के कुछ खातों में 6.5 लाख रुपए की रकम ट्रांसफर की गई है। इस सुराग के आधार पर एक विशेष टीम को दिल्ली रवाना कर दिया गया है ताकि आगे की जानकारी और कनेक्शन सामने लाए जा सकें।
ये खबर भी पढ़ें : Madhya Pradesh के ग्वालियर में BSF इंस्पेक्टर हुआ Digital Arrest का शिकार, ठगों ने वसूले लाखों
तुषार ने कबूला - 60 चेक से निकाले तीन करोड़ रुपए
उज्जैन के नागदा में बंधन बैंक से जुड़ी बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। इस मामले में गिरफ्तार असिस्टेंट मैनेजर, महिला कैशियर समेत सभी आरोपियों ने माना है कि इस पूरे गैंग का सरगना उदयराज है। आरोपी उसे ही बैंक से निकाली गई नकदी सौंपते थे। उदयराज उस कैश को डिजिटल करेंसी में बदलकर ठगों तक पहुंचाता था।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि उदयराज का सबसे करीबी सहयोगी तुषार गोमे है, जो फिलहाल पुलिस हिरासत में है। पूछताछ में तुषार ने स्वीकार किया है कि उसने बंधन बैंक के कई खातों से बीते कुछ महीनों में करीब 60 चेक के जरिए तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकालकर उदयराज को दी है। तुषार और उसके साथी इस रकम पर कमीशन पाते थे, जबकि असली धनराशि उदयराज के पास जाती थी और वही इसे ठगों तक पहुंचाता था।
ये खबर भी पढ़ें : Digital Arrest गैंग के पास मिले इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन पेंशनधारकों के डेटा
पुलिस की एक टीम उदयराज की तलाश में
यह मामला बहुत गंभीर और हैरान करने वाला है। इसमें साफ दिखता है कि किस तरह से भोले-भाले आम लोगों के नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाकर साइबर या आर्थिक अपराधों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
कुछ अहम बातें जो इसमें उभरकर आ रही हैं-
अकाउंट होल्डर का इस्तेमाल: सब्जी विक्रेता राहुल कहार का नाम फर्जी तरीके से इस्तेमाल हुआ है। उसे शायद यह अंदाजा भी नहीं था कि उसका अकाउंट किस स्तर पर उपयोग हो रहा है। उसे हर महीने 5,000 रुपए देकर उसका खाता ऑपरेट किया जा रहा था यह "मुंहदेखा अकाउंट होल्डर" वाला केस है।
बैंक के कर्मचारी भी शामिल : रतलाम के बैंक असिस्टेंट मैनेजर और उज्जैन की कैशियर की गिरफ्तारी से यह बात सामने आती है कि बैंकिंग सिस्टम के अंदर से भी सहयोग मिल रहा था, जो बहुत ही चिंताजनक है।
बड़े स्तर की मनी लॉन्ड्रिंग या साइबर फ्रॉड : सिर्फ ग्वालियर से ही 10 लाख रुपए इस खाते में ट्रांसफर हुए थे, लेकिन अकाउंट का पैटर्न बताता है कि लाखों रुपए का लेन-देन पहले से चल रहा था।
फर्जीवाड़े का नेटवर्क : उज्जैन, नागदा और रतलाम में दबिश देकर लोगों को पकड़ा गया है, इसका मतलब है कि एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा था – जिसमें टेक्निकल जानकारी रखने वाले, फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले, बैंक से जुड़े लोग और मोहरा बनने वाले सामान्य लोग भी सभी शामिल हैं।
ये खबर भी पढ़ें : Digital Arrest करने वाली गैंग के पास इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन का डेटा | दिल्ली से गिरफ्तार
1.30 करोड़, 20 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर
ग्वालियर स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद से धोखाधड़ी कर 26 दिनों के भीतर 2.53 करोड़ रुपए की ठगी की गई। इस राशि को देशभर के कई राज्यों में फैले 50 से अधिक बैंक खातों में बांटा गया। इनमें से सबसे बड़ी रकम 1.30 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित इंडसइंड बैंक के एक करंट अकाउंट में ट्रांसफर की गई।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि यह खाता किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं, बल्कि एक शेल कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है। पुलिस को कंपनी का नाम और पता भी मिल गया है और टीम वहां पहुंच चुकी है।
आगे की जांच में यह सामने आया है कि इंडसइंड बैंक में जमा हुए 1.30 करोड़ रुपए को तुरंत आठ अलग-अलग राज्यों के 20 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया गया। अब पुलिस इन सभी खातों की जानकारी जुटा रही है, साथ ही यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जिस खाते में यह रकम सबसे पहले भेजी गई थी, उसका वास्तविक मालिक कौन है।
देशभर के 50 से अधिक बैंक खातों पर पुलिस की नजर
ग्वालियर में हुई अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल ठगी की जांच में पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। जांच के दौरान सामने आया है कि ठगी की गई रकम सबसे पहले कुछ खास बैंक खातों में भेजी गई थी, जिसके बाद यह राशि देशभर के 10 से अधिक राज्यों के करीब 50 बैंक खातों में ट्रांसफर कर निकाल ली गई। अब ग्वालियर पुलिस, क्राइम ब्रांच और साइबर एक्सपर्ट्स की टीम मणिपुर, केरल, उत्तराखंड, असम, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के इन संदिग्ध बैंक खातों की तलाश में जुट गई है।