INDORE. इंदौर के सीनियर सिटीजन पेंशनधारक खतरे में हैं। यह खबर सभी के लिए सचेत होने वाली है। डिजिटल अरेस्ट की गैंग के लोगों के पास इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन पेंशनधारकों के डेटा मिले हैं। वहीं देश के लाखों लोगों के डेटा इस गैंग के पास हैं, जिसे ये फोन कर धमकाकर करोड़ों रुपए की वसूली कर रहे हैं। इस गैंग को दिल्ली में छापा मारकर इंदौर की क्राइम ब्रांच ने पकड़ा है। इसकी जांच में यह चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
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क्राइम ब्रांच ने पहले मदरसा समिति वालों को पकड़ा
इंदौर पुलिस कमिशनर संतोष सिंह के निर्देश पर दौर क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित NCRP पोर्टल पर 65 वर्षीय वृद्ध महिला इंदौर निवासी फरियादिया ने डिजिटल अरेस्ट के नाम से ऑनलाइन ठगी की शिकायत की। इसमें गैंग ने महिला से सीबीआई व अन्य जांच एजेंसियों के नाम पर डराकर 46 लाख ट्रांसफर करा लिए। जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने सतौरा कन्नौज उत्तरप्रदेश राज्य से फलाह दारेन मदरसा समिति का प्रबंधक (1).आरोपी अली अहमद खान, एवं सह–प्रबंधक (2) असद अहमद खान को 5 दिसंबर को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बताया कि वह ग्राम सतौरा कन्नौज उत्तरप्रदेश में मदरसा चलाना अपना व्यवसाय बताते हुए ऑनलाइन ठगी करने वाली गैंग को अपने मदरसा समिति का बैंक खाता 50 प्रतिशत कमीशन पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा था।
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दिल्ली में मिला डार्क रूम, यहीं से हो रहे थे फर्जी कॉल
फर्जी डिजिटल अरेस्ट प्रकरण में इंदौर क्राइम ब्रांच को अन्य आरोपी की दिल्ली पटेल नगर के आसपास की लोकेशन मिली, जहां क्राइम ब्रांच मौके पर पहुंची। वहां 50 से अधिक मल्टी थी, तब क्राइम ब्रांच की अलग–अलग टीम (महिला एवं पुरुष) के द्वारा सभी मल्टियों के आसपास चाय, नाश्ता, पान की दुकान, कैनोपी लगाकर सिमकार्ड बेचने वाले, रिचार्ज करने वाले सभी की जानकारी ली। जिन संस्थानों में कई चाय नाश्ता एक साथ जा रहे थे और वहां कोई ऑफिस बोर्ड नहीं था, ऐसे सभी स्थानों पर रैकी कर उक्त ऑफिस की वर्किग को वॉच किया। मौके की रैकी कर आरोपी का डार्क रूम, जहां से देश भर में सिनियर सीटीजन को टार्गेट करते हुए कॉल कर उन्हें फर्जी डिजिटल अरेस्ट कर डराकर धोखाधड़ी की जा रही थी, उक्त कॉल सेंटर पर दबिश दी गई, जहां से आरोपी ऋतिक कुमार जाटव उम्र 22 वर्ष निवासी नेहरू नगर दिल्ली को गिरफ्तार किया।
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आरोपी के पास मिली स्क्रिप्टेड स्पीच, कैसे ठगना है
(1) GSM fixed wireless phone –07 (Lanshuoxing कंपनी का 01, एवं Beetel कम्पनी के 06)
(2) लोगों को ठगने हेतु स्क्रिप्टेड स्पीच लिखी 10 डायरी, जिसमें लोगों से क्या बात करना है, कैसे अपना परिचय देना है, पहले से लिखकर रखते थे।
(3) Attendence, salary, देश भर के फर्जी VI simcard के कुल 03 रजिस्टर।
(4) 01– मॉनिटर, 01– प्रिंटर।
(5) 07 की–पैड फोन (क्लोनिंग हेतु सिम को एक्टिवेट करने के उपयोग होने वाले)।
(6) कलिंग में अवरोध न हो, इसलिए 01 Network Booster डिवाइस का उपयोग किया जाता था।
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आरोपी के पास मिले सीनियर सिटीजन के डेटा
आरोपी से पूछताछ करते हुए बताया कि वह BA की पढ़ाई किया हुआ है और उक्त स्थान से आरोपी अपनी फर्जी डिजिटल गैंग के अन्य साथी आरोपियों के साथ मिलकर देश भर में सीनियर सिटीजन को कॉलिंग करते थे। आरोपी के कब्जे से उक्त सेंटर से इंदौर के 20 हजार सीनियर सिटीजन पेंशनधारियों का डेटा सहित देश के लाखों सीनियर सिटीजन का निजी डेटा मिला है, जिसमें उनके आधार नंबर, पैनकार्ड, फैमिली डिटेल्स, जॉब की डिटेल्स आदि की जानकारी मिली। आरोपी ने ऑनलाइन ठगी वर्ष 2019 से करते हुए करीब 3 हजार से ज्यादा सिमकार्ड ऑनलाइन ठगी हेतु उपयोग करना स्वीकार किया है।
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