सुप्रीम कोर्ट में किस बात पर भड़क गए जज अभय एस ओका, बोले- 'सारी फाइलें फेंक दूंगा'

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका ने कोर्ट में अनुशासनहीनता पर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि अगर वकील नहीं सुधरे तो वह फाइलें फेंक देंगे। यह पहला मामला नहीं था जब जस्टिस ओका ने वकीलों पर नाराजगी जताई।

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Sandeep Kumar
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका (Justice Abhay S. Oka) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट (Court) के भीतर अनुशासनहीनता को लेकर वकील पर गुस्से का इज़हार किया। जस्टिस ओका ने कहा, अगर कोर्ट के भीतर ऐसा ही माहौल रहा तो मैं सारी फाइलें फेंक दूंगा। 

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कब हुई ये घटना

यह घटना तब हुई जब एक मामले की सुनवाई के दौरान कई वकील एक साथ बोलने लगे और अपनी-अपनी दलीलें देने लगे। जस्टिस ओका ने वकीलों से शांत रहने और बारी-बारी से अपनी बात रखने को कहा, लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इस पर जस्टिस ओका का गुस्सा फूट पड़ा।

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अनुशासनहीनता देखकर तंग आ चुका हूं: जस्टिस

जस्टिस ओका ने कहा कि वह कोर्ट के भीतर अनुशासनहीनता देखकर तंग आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर वकील इस तरह की अनुशासनहीनता करते रहे तो एक नियम बनाना चाहिए, ताकि एक समय पर केवल एक ही वकील अपनी दलीलें दे सके। जस्टिस ओका ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, हम भी हाईकोर्ट में रह चुके हैं, लेकिन वहां कभी इस तरह की अनुशासनहीनता नहीं देखी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस तरह का माहौल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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वकीलों की प्रतिक्रिया

जस्टिस ओका के गुस्से के बाद वकील अपनी-अपनी दलीलें देने लगे और स्थिति को सुधारने की कोशिश की। हालांकि, कोर्ट का माहौल पहले जैसा ही रहा। जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि वकील कोर्ट के भीतर हमें बताते नहीं कि वे किसके लिए पेश हो रहे हैं, और यह एक गंभीर मुद्दा है।

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पूर्व में भी जताई थी नाराजगी

यह पहला मौका नहीं है जब जस्टिस ओका वकीलों पर गुस्सा हुए हैं। इससे पहले, जस्टिस ओका ने झूठी दलीलें देने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की थी। सितंबर 2024 में, जस्टिस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा था कि उनके सामने कई मामलों में वकीलों ने झूठी दलीलें दी थीं, जो अनुशासनहीनता को बढ़ावा देती हैं।

जस्टिस ओका का कड़ा संदेश

जस्टिस ओका ने यह स्पष्ट किया कि अब कोर्ट में अनुशासन की कोई कमी नहीं होनी चाहिए और यदि ऐसा हुआ, तो इसका कड़ा परिणाम होगा। उनके इस रुख को देखकर यह समझा जा सकता है कि वे कोर्ट की कार्यवाही को और अधिक व्यवस्थित और पेशेवर बनाना चाहते हैं।

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