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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में सहकारिता क्षेत्र की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की 4536 प्राथमिक सहकारी समितियों में से लगभग 3800 (80%) समितियां पूरी तरह से ओवरड्यू हैं और भारी घाटे में चल रही हैं। इन समितियों में चुनाव नहीं हो रहे हैं, जबकि नियमों के अनुसार हर 5 साल में चुनाव होना चाहिए। इसके विपरीत, सरकार ने इनमें प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर रहे हैं।
सहकारी बैंकों की स्थिति बेहद खराब
सिंह ने जानकारी दी कि 38 जिला सहकारी बैंकों में से 13 बैंक इतने कमजोर हो चुके हैं कि वे अपने सदस्यों को 2,000 तक का भुगतान करने में असमर्थ हैं। यह स्थिति साफ तौर पर वित्तीय प्रबंधन और निगरानी की कमी को दर्शाती है।
लोकतंत्र की अनदेखी : दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि सरकार ने कानून में बदलाव करके यह रास्ता निकाल लिया कि यदि चुनाव न हो सकें, तो प्रशासक अनिश्चित काल तक काम कर सकते हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और आरोप लगाया कि प्रशासकों के माध्यम से मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। राज्यसभा में चल रही सहकारिता से जुड़े बिल पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह सवाल उठाया और आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में चुनाव टालकर प्रशासक बैठाने की आदत बन गई है।
अमित शाह पर भी साधा निशाना
सिंह ने सहकारिता मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “अमित शाह जी जो खुद को सरदार पटेल का दूसरा रूप कहते हैं, उनके नेतृत्व में सहकारिता आंदोलन कमजोर हो रहा है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक पर 12 बार गबन की शिकायतें हुई हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर शिकायतें गंभीर हैं, तो जांच और जवाबदेही क्यों नहीं सुनिश्चित की जा रही?
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