दिग्विजय ने पीएम मोदी को लिखा पत्र , नर्सिंग घोटाले की जांच ईमानदार अफसरों से कराने की मांग

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने नर्सिंग घोटाले की जांच सीबीआई के ईमानदार अफसरों से कराने की मांग की है।

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Ravi Singh
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nursing scams : मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) के पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ( Digvijay Singh ) ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा ( Wrote a letter to Prime Minister Narendra Modi ) है। पत्र में उन्होंने नर्सिंग घोटाला ( nursing scams ) की जांच सीबीआई के ईमानदार अफसरों से कराने की मांग की है। इतना ही नहीं दिग्गी ने राज्य सरकार के मंत्री और अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि न खाऊंगा - न खाने दूंगा के नारे को CBI के अफसरों ने हवा में उड़ा कर नर्सिंग कॉलेजों का भंडाफोड़ करने की जगह दलालों के माध्यम से करोड़ों रुपए ले लिए है।

पत्र में ये भी लिखा है

दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा कि एमपी में विगत एक दशक से गूंच रहे व्यापम भर्ती घोटाले की स्याही अभी सूखी भी नहीं कि एक और नर्सिंग कॉलेज घोटाले ने राज्य की साख को तार-तार किया है। इस मामले में राज्य सरकार की जिम्मेदार एजेंसियों और शीर्ष स्तर के राजनेता से लेकर नौकरशाह तक पूर्ण रूप से लिप्त और हिस्सेदार रहे हैं। हाल ही में आपकी बहुचर्चित एजेंसी CBI के अफसरों ने भी करोड़ों रुपए की रिश्वत खाकर म.प्र. उच्च न्यायालय के आदेश पर अब तक की गई जांच को संदिग्ध बनाया है।


दिग्विजय सिंह ने लगाए ये आरोप

पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी मंत्री विश्वास सारंग इस नर्सिंग घोटाले से बच निकलने के लिए लगातार प्रयास में लगे हैं। उनकी नाक के नीचे और संरक्षण प्राप्त नौकरशाहों ने करोड़ो रुपए का लेनदेन कोरोना काल में सारे मापदंडों के विरूद्ध जाकर सैकड़ों की तादाद में नर्सिंग कॉलेज खोलने की अनुमति शिक्षा माफिया को प्रदान कर दी। तत्कालीन मंत्री परिषद के सदस्यों की शह पर अफसरों ने म.प्र. नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता अधिनियम 2018 की धज्जियां उड़ाते हुए 300 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को खुलवा दिया।

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दिग्गी ने आगे लिखा है कि मैंने इस मामले की जांच के लिए महामहिम राज्यपाल महोदय को 10.09.2023 को पत्र लिखकर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की लोकायुक्त या EOW से जांच कराने की मांग करी थी। लेकिन जांचों की परतों में फंसने के डर से शीर्ष राजनेता और मंत्री इस व्यापम-2 जैसे घोटाले से बचने की कोशिश करते रहे हैं। इस बीच अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और NGO में काम करने वाले लोगों ने HC की ग्वालियर बेंच में उच्च स्तरीय जांच के लिए याचिका लगाई। जिस पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। मामला CBI की स्थानीय ईकाई के पास जांच के लिये आया। भ्रष्टाचार में गले - गले तक डूबे राज्य सरकार के अफसरों और फर्जी कॉलेजों को बचाने के लिये कॉलेज संचालकों ने सीबीआई अफसरों को ही रिश्वत के जाल में समेट दिया।

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नारे काे हवा में उड़ा दिया है

आपका नारा है कि न खाऊंगा - न खाने दूंगा की बात को CBI के अफसरों ने हवा में उड़ा दिया और नर्सिंग कॉलेजों का भंडाफोड़ करने की जगह दलालों के माध्यम से करोड़ों रुपए बटोर चुके हैं। वो तो भला हो दिल्ली में बैठे सीबीआई अफसरों का जिन्होंने भोपाल में कार्यरत CBI के अधिकारियों को पर्याप्त साक्ष्य व दस्तावेज एकत्र कर रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली मुख्यालय से दोषी अफसरों को सेवा से बर्खास्त कर FIR दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। डायरेक्टर CBI का यह कदम स्वागत योग्य है। लेकिन करोड़ों के इस भ्रष्टाचार में चुप्पी साधे बैठी मध्यप्रदेश सरकार ने अपने यहां के दोषी कर्मचारियों को सेवा से बेदखल नहीं किया है। 

दिग्विजय सिंह ने की ये मांग

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मांग की है कि दिल्ली मुख्यालय में पदस्थ ईमानदार पुलिस अफसरों की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित कर माननीय उच्च न्यायालय के माननीय सिटींग जज की देखरेख में समय - सीमा तय करते हुए मध्यप्रदेश में संचालित समस्त मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजों की जांच करानी चाहिए। क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार फंसने के डर से मामले की गहराई से जांच कराना नहीं चाहती।

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