BHOPAL. मध्यप्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग एक नए विवादों से घिर गया है। अभी नर्सिंग कॉलेज घोटाले की आंच धीमी नहीं पड़ी है कि मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले डीएमई की नियुक्ति पर सवाल उठने लगे हैं। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के पद पर की गई नियुक्ति का मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर और जूनियर डॉक्टर विरोध जता रहे हैं। इसके साथ ही नियुक्ति निरस्त नहीं करने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन भी शुरू कर दिया गया है। चिकित्सा शिक्षक और जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में चिकित्सा महासंघ भी उतर आया है।
मेडिकल टीचर्स और जूडा नाराज
हाल ही में सरकार ने डीएमई के खाली पड़े पद पर डॉ.अरुणा कुमार की नियुक्ति का आदेश जारी किया है। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन प्रदेश में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाला पद है। वहीं सरकारी मेडिकल कॉलेजों में होने वाली नियुक्तियां, खरीदी सहित सभी काम डीएमई के निर्देशन में ही होते हैं। इस लिहाज से इस पद पर नियुक्ति भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में इस पद पर डॉ.अरुणा कुमार की नियुक्ति का आदेश साामने आते ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डीन, अधिष्ठाता, विभागाध्यक्षों के अलावा सीनियर प्रोफेसरों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
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मेडिकल कॉलेजों में हो रहा विरोध
मेडिकल कॉलेजों में डीएमई की नियुक्ति पर हो रहे विरोध में जूनियर डॉक्टरों के अलावा चिकित्सा शिक्षक भी उतर आए हैं। वहीं मध्यप्रदेश चिकित्सा महासंघ ने भी इस विरोध का समर्थन किया है। जिससे मामला गरमा गया है। सोमवार को प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया गया है। एक दिन पहले ही प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और जूडा (जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन) ने उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई थी।
जूनियर डॉक्टर ने की थी सुसाइड
जूडा का कहना है हमीदिया मेडिकल कॉलेज में डॉ.अरुणा कुमार की कार्यशैली और व्यवहार से परेशान होकर जूनियर डॉक्टर आत्महत्या कर चुकी है। डीएमई जैसे पद पर किसी वरिष्ठ और अनुभवी चिकित्सक को पदस्थ किया जाना चाहिए। जूडा ऐसा न होने पर सामूहिक त्यागपत्र की चेतावनी भी दे चुका है। जूडा की हड़ताल के बाद अब प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों से डीएमई डॉ.अरुणा कुमार को हटाने के लिए विरोध पत्र सीएम को सौंपने की तैयारी कर रहा है।
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