इंदौर सत्य साईं स्कूल के चेयरमैन डॉ. रमेश बाहेती को 50 करोड़ की जमीन देने की दिलचस्प कहानी

इंदौर के उद्योगपति डॉ. रमेश बाहेती की जमीन आवंटन की फाइल दो महीने से कलेक्टोरेट से भोपाल तक घूम रही है। जमीन की कीमत की गणना के लिए कई कमेटियां बनाई गईं और कीमत 1 रुपए से लेकर 22 करोड़ से ज्यादा तक पहुंची।

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Sanjay Gupta
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इंदौर के जाने-माने उद्योगपति और सत्य साईं स्कूल के चेयरमैन डॉ. रमेश बाहेती को करीब 50 करोड़ की जमीन आवंटन की एक दिलचस्प फाइल दो महीने से कलेक्टोरेट इंदौर से लेकर भोपाल राजस्व विभाग के आला अधिकारियों के चेंबर में यहां से वहां घूम रही है। यह जमीन 1 रुपए से शुरू हुई थी और फिर 4 करोड़, इसके बाद 44 करोड़, फिर 14 करोड़ और इसके बाद 22 करोड़ तक पहुंची। यह पूरी कहानी बाहेती के लिए तो रोलर कोस्टर जैसी है। 

पहले समझते हैं क्या है मामला 

रमेश बाहेती बच्चों के हृदय रोग के लिए सौ बैड का अस्पताल खोलना चाहते थे। इसके लिए दिसंबर 2019 में मध्य प्रदेश शासन से उनकी बात हुई और कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते उन्हें 12 मार्च 2020 को बड़ा बांगड़दा में यह जमीन मिल गई। क्योंकि वह कांग्रेस शासन काल के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के के बेहद करीबी रहे हैं।

ऐसे में फाइल भी तेजी से चली और उन्हें सर्वे नंबर 216, 217, 218 और 224 में से कुल 2.231 हेक्टेयर जमीन मात्र 1 रुपए की प्रीमियम पर उनके सत्यसांई मेडिकल एंड हेल्थ केयर ट्रस्ट स्कीम 54 इंदौर के नाम पर आवंटित हो गई। इस जमीन की बाजार कीमत तो 50 करोड़ से ज्यादा थी लेकिन उनके परोपकार काम के लिए 1 रुपए में मिल गई। 

अब हुआ क्या

अब हुआ यह कि यहां पर आ गया मास्टर प्लान की रोड का पेंच। तकनीकी कारण से यहां पर 100 बैड का अस्पताल बनना संभव नहीं हुआ। इसके चलते टीएंडसीपी से नक्शा पास ही नहीं हुआ। वहीं लीज शर्तों के अनुसार उन्हें एक साल में काम करना था, जो नहीं हुआ इसके चलते जिला प्रशासन ने उन्हें साल 2023 में नोटिस पर नोटिस थमा दिए कि क्यों ना आपसे जमीन वापस ले ली लाए। इन सभी से तंग आकर बाहेती ने परोपकार काम के लिए ली जमीन को सरेंडर कर दिया और मप्र शासन को नया प्रस्ताव दिया कि वह यहां पर सत्यसाईं जैसा स्कूल खोल सकते हैं। उन्हें यह जमीन स्कूल के लिए आवंटित कर दी जाए। 

फिर चली जमीन की कीमतों को कम-ज्यादा करने की फाइल 

अब यहीं से असली पिक्चर शुरू होती है। डॉ. बाहेती को अधिकारियों ने बताया कि जमीन ऐसे ही शिफ्ट नहीं हो सकती, नजूल (आबंटन) नियमों के अनुसार फिर से आवेदन करना होगा और इसकी कुल कीमत का 25 फीसदी प्रीमियम और फिर सालाना लीज रेंट देय होगा। रमेश बाहेती ने ओके किया तो जमीन की कीमत की गणना हुई।

25 फीसदी कीमत में बाहेती को मिली जमीन

पंजीयन विभाग के उप पंजीयक ने चलताऊ अंदाज में खेती की हेक्टेयर के हिसाब से जमीन का भाव लगाकर प्रशासन को दे दिया इसमें जमीन की कीमत केवल दो करोड़ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करीब सवा चार करोड़ रुपए आंका गया और प्रस्ताव भोपाल चला गया। सवा चार करोड़ का मतलब था इसके 25 फीसदी यानी करीब एक करोड़ की राशि में बाहेती को जमीन मिल जाती।

पीएस राजस्व विवेक पोरवाल ने आपत्ति ली

भोपाल में यह भाव देखा तो पीएस राजस्व विवेक पोरवाल ने आपत्ति ली कि यह तो कम भाव है। सही गणना करें। उन्होंने वापस इंदौर फाइल भेज दी। फिर इंदौर में जमीन की कीमत देखने के लिए पंजीयन विभाग की कमेटी बनी और गणना की गई। इस बार पास की कॉलोनी का कमर्शियल प्लाट भाव लगा दिया और भाव निकला 44 करोड़ रुपए से ज्यादा का। यानी इसके 25 फीसदी के तौर पर बाहेती को 10 करोड़ रुपए से ज्यादा देने थे।

रमेश बाहेती भोपाल पहुंचे

फाइल भोपाल पहुंची तो साथ ही बाहेती भी पहुंच गए और आपत्ति ली कि यह तो बहुत ज्यादा राशि है पहले तो मुझे 1 रुपए में मिली थी, इसे कम कराओ। फाइल फिर इंदौर आ गई, भोपाल के अधिकारियों ने प्रशासन को फोन घुमा दिए कि सही से गणना करो। इसके बाद तय हुआ कि फिर कमेटी बनाई जाए। 

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कीमत निकली 14 करोड़

इसके बाद फिर कमेटी बनी इस बार पंजीयन विभाग के साथ प्रशासन के अधिकारी भी शामिल थे। गणना हुई। फिर इस बार नए सिरे से दूसरी कॉलोनी के आवासीय भाव निकाले गए और कीमत निकली 14 करोड़ रुपए। इस कीमत पर भोपाल से इंदौर तक सहमति बनी। 

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इसी बीच एक और नया पेंच आ गया

यह 14 करोड़ कीमत तय हुई थी इसके 25 फीसदी पर बाहेती को केवल 3.5 करोड़ रुपए देने होते, लेकिन इसमें भी बाहेती ज्यादा सहमत नहीं थे और वह फिर भोपाल पहुंचे कि इसे कम किया जाए। उधर इसी बात एक अप्रैल लग गई और गाइडलाइन ही बदल गई और जो जमीन की कीमत 14 करोड़ आंकी थी वह नए गाइडलाइन में बढ़कर 22 करोड़ से ज्यादा हो गई। यानी अब बाहेती को 5.50 करोड़ रुपए से ज्यादा चुकाने होंगे और करीब 20 हजार रुपए प्रति साल लीज रेंट लगेगा। अब बाहेती जी फिर कलेक्टोरेट से लेकर भोपाल तक चक्कर लगा रहे हैं कि कैसे भी करके दाम कम कर सकें।

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