इंदौर में पुरानी मार्कशीट को एडिट कर बना रहे थे फर्जी, कैफे संचालक के पास से सैंकड़ों मिली

पुलिस टीम द्वारा उक्त कैफे पर पहुंच कर सैंकड़ों मार्कशीट बरामद कर उक्त आरोपी के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की गई। जिसके आधार पर 2 आरोपी को और पकड़ा गया।

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Sanjay Gupta
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इंदौर में फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक बड़े रैकेट का खजराना पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। इसमें एक कैफे संचालक मुख्य मास्टरमाइंड निकला। इसके पास पुलिस ने छापा मारा तो सैंकड़ों फर्जी मार्कशीट पाई गईं। यह पुरानी ओरिजनल मार्कशीट को एडिट कर उसकी नई कॉपी निकाल देते थे। इस मामले में तीन आरोपियों को पकड़ा गया है।

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पुलिस ने छापे में सौ से ज्यादा फर्जी मार्कशीट जब्त की हैं और जानकारी जुटाई जा रही है कि कितने लोगों ने यह ली हैं और इसका कहां उपयोग किया गया है। मूल रूप से सामने आया है कि गल्फ कंट्री में जाने के लिए यह फर्जी मार्कशीट बनवाते थे। ऐसे ही एक फरियादी की शिकायत पर यह भंडाफोड़ हुआ। 

यह आरोपी पकड़े गए

  1. जावेद पिता अब्दुल रऊफ खान निवासी श्रीनगर काकड़ इंदौर । (यह कैफे संचालक है और निजी स्कूल में शिक्षक भी) 

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2.मोहम्मद अजरूद्दीन पिता मोहम्मद शमसुद्दीन निवासी 18 ए हिना पैलेस इंदौर। ( कियोस्क इसी के नाम पर है)

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3. मोहम्मद रियाज पिता मोहम्मद शमसुद्दीन निवासी 18 ए हिना पैलेस इंदौर । (यह अजहरूद्दीन का भाई है और नगर निगम इंदौर में कर्मचारी)

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इस तरह हुई कार्रवाई 

पुलिस कमिशनर संतोष कुमार सिंह,एडिशनल सीपी अमित सिंह, डीसीपी जोन टू अभिनय विश्वकर्मा, एडिशनल डीसीपी अमरेन्द्र सिंह, एसीपी कुंदन मण्डलोई के निर्देशन में टीआई खजराना मनोज सिंह सेंधव द्वारा यह पूरी कार्रवाई की गई। सेंधव ने बताया कि जानकारी मिली थी कि साइबर कैफे चलाने वाला व्यक्ति जावेद खान फर्जी तरीके से मार्कशीट बना रहा है।

पुलिस टीम द्वारा उक्त कैफे पर पहुंच कर सैंकड़ों मार्कशीट बरामद कर उक्त आरोपी के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की गई। जिसके आधार पर 2 आरोपी को और पकड़ा गया। टीआई के साथ टीम में सउनि सुरेंद्र सिंह रघुवंशी, प्रआर. पंकज सांवरिया ,अजीत यादव,नरेश चौहान आर.प्रदीप सूर्यवंशी , शुभम सिंह भी शामिल रहे। 

गल्फ कंट्री में जाने के लिए बनवा रहा था फर्जी मार्कशीट

इस कांड के खुलासे की भी इनसाइड स्टोरी है। पीड़ित मुस्तकीम को 30 हजार रुपए वापस करने के लिए आरोपी जावेद खान 6 साल से टरका रहा था। फरियादी को गल्फ कंट्री जाना था इसके लिए यह दसवीं की मार्कशीट की जरूरत थी। जब उसे यह मार्कशीट मिली, वह पासपोर्ट आफिस  गया तो वहां यह रिजेक्ट हो गई कि यह नकली है। इसके बाद वह जावेद से राशि वापस मांग रहा था या असली मार्कशीट देने का बोल रहा था। दोनों ही नहीं हुए। 

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कुवैत में जाकर करनी थी नौकरी

मुस्तकीम पेशे से ड्राइवर है। 2016 में जुनैद से उसकी इंदौर में मुलाकात हुई थी। जुनैद अब कुवैत में काम करता है, उसने मुस्तकीम से कहा कि यहां आ जाओ ड्राइवर की नौकरी दिलवा दूंगा। लेकिन उसके पास दसवीं की मार्कशीट नहीं थी। मुस्तकीम को साइबर संचालित करने वाले अजहर ने आरोपी जावेद खान से मिलवाया था।

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जावेद ने उससे फार्म भी भरवाया

जावेद ने मुस्तकीम से दसवीं की परीक्षा में बैठने के लिए कहा और भरोसा दिया कि बाकी काम वह संभाल लेगा। इसके बदले में 30 हजार रुपए लिए। फरवरी 2016 में पीड़ित ने एग्जाम दी। यह एग्जाम नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से दिलाई गई। जावेद ने एक मार्कशीट देते टाइम 15 हजार रुपए और लिए।

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