इंदौर में एलन, कल्पवृक्ष, अनएकेडमी, कैटेलाइजर कोचिंग और स्कूल माफियाओं की सांठगांठ

शहर के नामी कोचिंग संस्थानाें एलन, कल्पवृक्ष, कैटेलाइजर और अनएकेडमी में जब हम पहुंचे तो यहां पहले फॉर्म देकर इंट्री करवाई गई। फिर कांच के छोटे से बने केबिन में बैठे काउंसलरों के पास भेज दिया गया।

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Vishwanath singh
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सीबीएसई बोर्ड द्वारा भले ही डमी बच्चों और स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही हो, लेकिन इंदौर में वह कार्रवाई बेअसर साबित हो रही है। यहां के कोचिंग संस्थानों द्वारा तो सीबीएसई के नियमों के खुलकर परखच्चे उड़ाए जा रहे हैं। शहर व देश के नामी कोचिंग संस्थानों में शुमार एलन, कल्पवृक्ष, अनएकेडमी और कैटेलाइजर जैसे संस्थान अपने ऑफिस से ही डमी एडमिशन के लिए ना केवल स्कूलों की लिस्ट उपलब्ध करवा रहे हैं, बल्कि एडमिशन कराने से लेकर पास कराने तक का ठेका भी ले रहे हैं। इस पूरे रैकेट का भांडाफोड़ ‘द सूत्र’ ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए किया है। द सूत्र के संवाददाता ने 11 वीं के छात्र का पालक बनकर 20 दिन तक शहर के अलग–अलग क्षेत्रों में स्थित कोचिंग संस्थानों में जाकर उनसे डमी एडमिशन को लेकर चल रहे स्टिंग किया। इससे इस खेल के चौंकाने वाले खेल का खुलासा हुआ। कोचिंग की फीस के साथ डमी स्कूल के लिए 40 हजार तक लिए जाते हैं। 

केबिन में होती है डमी स्कूल की डील 

शहर के नामी कोचिंग संस्थानाें एलन, कल्पवृक्ष, कैटेलाइजर और अनएकेडमी में जब हम पहुंचे तो यहां पहले फॉर्म देकर इंट्री करवाई गई। फिर कांच के छोटे से बने केबिन में बैठे काउंसलरों के पास भेज दिया गया। यहां पर काउंसलरों ने पहले तो जेईई परीक्षा और उनकी कोचिंग के बारे में जानकारी दी। साथ ही कोर्स के बारे में बताते हुए क्लास का टाईमिंग भी बताया। इसके बाद सबसे आखिरी में जब फीस की भी बात हो गई तब डमी एडमिशन का पत्ता खोला।

13 घंटे पढ़ाई का डर दिखा, बनाते हैं डमी एडमिशन का दबाव

असल में कोचिंग के काउंसलर ही डमी स्कूलों के दलाल बने हुए हैं। ये अपने यहां एडमिशन के लिए आने वाले पालकों को 13 घंटे तक पढ़ाई करने का डर बताते हैं। कल्पवृक्ष में काउंसलर ने बताया कि 13 घंटे की क्लास अटेंड करनी होगी। यहां बताया गया कि 11वीं में जो बच्चा कोचिंग में एडमिशन लेगा तो जब बच्चा सुबह 8 से रात के 9 बजे तक कोचिंग में ही रहेगा, ऐसे में वह स्कूल कैसे जा पाएगा। असल में इन कोचिंग वालों का डमी एडमिशन को प्रमोट करने का यही तरीका है। वे अपनी आधे घंटे की काउंसलिंग में पालकों को अपनी कोचिंग के बच्चों की ऑल इंडिया रैंकिंग में आने की जानकारी देते हैं। साथ ही यह भी कहते जाते हैं की यह पोजिशन 13 घंटे तक करके ही हासिल हुई है। डराने की कहानी पूरी होने के बाद आखिरी में वे डमी एडमिशन की लॉलीपॉप देते हैं। ताकि पालक अपने बच्चे को डमी एडमिशन कराने के लिए मजबूर हो जाएं।

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सीबीएसई छोड़िए, एमपी बोर्ड में करवा देते हैं एडमिशन

जब हम कोचिंग के काउंसलरों से ही एडमिशन की बात कर रहे थे तो उन्होंने हमें सीबीएसई के नियमों का डर दिखाया और कहा कि सर एमपी बोर्ड में करवा लीजिए एडमिशन। अभी थोड़ी सख्ती चल रही है। सीबीएसई में महीने में एक बार तो स्कूल जाना ही पड़ेगा, लेकिन एमपी बोर्ड में वह भी रियायत मिल जाएगी। मेडिमेथ कोचिंग के काउंसलर और टीचर ने तो यहां तक कहा कि उसने खुद अपने बच्चे को सीबीएसई से निकालकर 11वीं में डमी में एक एमपी बोर्ड के स्कूल में भर्ती करवाया है।

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कोचिंग वालों ने बना रखी डील वाले स्कूलों की पूरी लिस्ट

हमने जब कोचिंग वालों से स्कूलों में डमी एडमिशन की जानकारी मांगी तो एलन ने हमें सीबीएसई और एमपी बोर्ड के कुल 26 स्कूल की एक लिस्ट पकड़ा दी। काउंसलर ने कहा कि सर आप इसका फोटो खींच लीजिए हमें यह और लोगों को भी देना है। वहीं, कल्पवृक्ष कोचिंग के काउंसलर ने हमें ना केवल स्कूलों की लिस्ट दी, बल्कि टिफिन सेंटर और प्रॉपर्टी ब्रोकरों के नंबर भी दे दिए। ताकि अगर बच्चा इंदौर के बाहर का है तो उसे रहने के लिए यहीं से सुविधा मिल जाए। कैटेलाइजर ने तो केवल दो स्कूल एक सीबीएसई और एमपी बोर्ड के ही तय कर रखे हैं। इन्हीं में वे एडमिशन करवाते हैं और उनके नाम भी कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद ही बताते हैं। कैटेलाइजर में ही स्कूल की फीस भी जमा करवा ली जाती है। दूसरी तरफ अनएकेडमी ने तो अपने यहां स्कूल वालों को ही बैठने के लिए टेबल कुर्सी दे रखी है। जो बच्चा यहां जेईई की पढ़ाई के लिए आता है तो स्कूल में एडमिशन की प्रोसेस भी यहीं पर पूरी हो जाती है। इसके अलावा मेडिमेथ करियर इंस्टीट्यूट पर भी कोचिंग का ही एक व्यक्ति स्कूल वालों से डमी एडमिशन के लिए बात करवाता है।

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11 वीं के बच्चे देते हैं 12वीं वालों के साथ परीक्षा

एलन के काउंसलर ने दावा किया कि जो सुविधा इस कोचिंग में मिलेगी वह कहीं और कोचिंग में नहीं मिलेगी। जो 11वीं का बच्चा जेईई में एडमिशन लेगा तो उसे इसी साल प्रेक्टिस टेस्ट के तौर पर 12वीं के बच्चों के साथ ही जेईई के लेवल की परीक्षा देने का मौका मिल जाएगा। इस प्रेक्टिस टेस्ट में एलन के देशभर के बच्चों के साथ अन्य कोचिंग के लगभग तीन लाख बच्चे शामिल होते हैं। ऑल इंडिया टेस्ट में जहां पर भी परीक्षा होती है तो जेईई के वो सेंटर एलन ने ले रखे हैं। ऐसे में जो परीक्षा 11वीं के बच्चे को 12वीं के बाद देनी है वह परीक्षा वह पहले ही दे चुका होता है। जेईई के पेपर्स के बारे में पूछने पर काउंसलर ने बताया कि अगर आज जेईई की परीक्षा हो रही है तो उसी समय 11वीं का बच्चा भी सेंटर पर पहुंचेगा और परीक्षा देगा। इसे प्रेक्टिस टेस्ट के तौर पर लिया जाता है। 

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कोचिंग की फीस 4 लाख 20 हजार रुपए तक

जेईई में कोचिंग में एडमिशन के लिए बच्चों को लाखों रुपए खर्चने पड़ रहे हैं। मेडिमेथ कोचिंग में जहां इसके लिए 1 लाख रुपए सालाना लिए जा रहे हैं तो कैटेलाइजर में दो साल का पैकेज 4 लाख 20 हजार रुपए का है। कल्पवृक्ष में 1 लाख 40 हजार रुपए सालाना है। एलन में 1 लाख 58 हजार रुपए फीस है तो अनएकेडमी में 1 लाख 54 हजार रुपए सालाना फीस है। वहीं, स्कूलों की बात करें तो सीबीएसई में 35 से 45 तो एमपी बोर्ड में 12 से 20 हजार रुपए तक फीस बताई गई। 

कोचिंग वाले डमी एडमिशन के लिए ऐसे पालकों को लेते हैं झांसे में

1. एलन कोचिंग: आपको लिस्ट दे देंगे उसमें से किसी भी स्कूल से कर लेना बात

रिपोर्टर: सर जेईई के लिए एडमिशन चाहिए।

काउंसलर: मिल जाएगा, बच्चा कौनसी क्लास में है?

रिपोर्टर: 11वीं में है, लेकिन डमी एडमिशन भी चाहिए।

काउंसलर: वो तो आप कहीं पर भी करवा लीजिए।

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एलन कोचिंग में काउंसलर समझाते हुए

 

रिपोर्टर: सर यहां के बच्चे जहां जाते हों वहीं हो जाए तो अच्छा है।

काउंसलर: हां तो ठीक है, हम आपको लिस्ट दे देंगे उसमें से स्कूल पसंद करके बात कर लीजिएगा।

रिपोर्टर: सर फीस कितनी होगी और एग्जाम का क्या होगा?

काउंसलर: सीबीएसई की 40 से 45 हजार और एमपी बोर्ड की 15 हजार तक रहेगी। 11वीं की एग्जाम तो सब स्कूल वाले ही मैनेज कर लेते हैं, लेकिन 12वीं में परीक्षा देने जाना पड़ता है।

रिपोर्टर: सर कोई दिक्कत ताे नहीं होगी?

काउंसलर: नहीं होगी। यहां एक और फायदा है आपके 11वीं के बच्चे को 12वीं के बच्चों के साथ जेईई के प्रेक्टिस टेस्ट में शामिल किया जाएगा। 

रिपोर्टर: वो कैसे होगा, उसके लिए अलग से फीस लगेगी क्या?

काउंसलर: वो आपके डेढ़ लाख के पैकेज में ही शामिल है। जेईई के जो देशभर में सेंटर हैं वो एलन ने ले रखे हैं। 

 

2. कल्पवृक्ष: 13 घंटे यहां पढ़ोगे तो एडमिशन डमी में ही लेना

रिपोर्टर: मैडम कोर्स तो ठीक है, लेकिन डमी स्कूल का भी बता दीजिए?

काउंसलर: सर उसके लिए हम आपको लिस्ट दे देंगे। आप उसमें से स्कूल सिलेक्ट कर लेना।

रिपोर्टर: फीस कितनी रहेगी और परीक्षा का क्या होगा?

काउंसलर: सीबीएसई और एमपी बोर्ड दोनों की अलग–अलग है। आप 15 से 40 तक में मान लो। परीक्षा के समय स्कूल की बस आ जाती है। यहीं से बच्चे परीक्षा देने चले जाते हैं। 

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कल्पवृक्ष में 13 घंटे पढ़ाई का बताते हुए

 

रिपोर्टर: मैडम फिर पर्सेंटेज तो अच्छे बन जाते हैं ना?

काउंसलर: सर, यहां के और भी बच्चे जाते हैं। हमारा जिन स्कूल से टाईअप है वहां पर पर्सेंटेज की दिक्कत नहीं होती है। हमें भी पता है कि जेईई के लिए अच्चे नंबर चाहिए होते हैं।

रिपोर्टर: कोचिंग का समय क्या रहेगा?

काउंसलर: सर बैच तो शुरू हो गई है और कोचिंग का समय सुबह 8 से रात 9 बजे तक लगभग 13 घंटे रहेगा। इसलिए बच्चा स्कूल तो जा ही नहीं पाएगा तो डमी में ही एडमिशन लेना होगा।

रिपोर्टर: अगर हम अपने हिसाब से कोई और स्कूल देख लें तो?

काउंसलर: तो फिर सर बच्चे के टाइमिंग को लेकर आपको ही मैनेज करना होगा। हम तो बैच के टाइम के हिसाब से ही उसे छोड़ेंगे। वैसे आप क्यों परेशान हो रहे हैं। हमारे यहां से जो लिस्ट मिलेगी उससे काम हो जाएगा आपका।

 

3. कैटेलाइजर: हम लिस्ट नहीं रखते, दो ही स्कूल हैं हमारे पास

रिपोर्टर: सर कोर्स में एडमिशन का तो जम गया है आप डमी स्कूल का बता दीजिए?

काउंसलर: उसकी चिंता आप छोड़ दीजिए, आप तो पहले एडमिशन करवाईये।

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कैटेलाइजर में दो ही डमी स्कूल का बताते हुए

 

रिपोर्टर: स्कूल का भी साथ में ही पता चल जाता तो ठीक रहता।

काउंसलर: हम ऐसे स्कूल के बारे में जानकारी डिस्क्लोज नहीं करते हैं। हम स्कूल का एडमिशन के बाद ही बताते हैं।

रिपोर्टर: सर दूसरे कोचिंग वाले तो लिस्ट दे रहे हैं। उससे सहूलियत हो जाती है। 

काउंसलर: हम लिस्ट नहीं देते हैं। हमारे पास तो केवल दो ही स्कूल हैं। एक सीबीएसई और एक एमपी बोर्ड का है। इन दोनों में से आप जो बोलेंगे उसी में एडमिशन हो जाएगा।

रिपोर्टर: फीस क्या रहेगी और परीक्षा का कैसा रहेगा?

काउंसलर: फीस तो सीबीएसई की 40 के आसपास और एमपी बोर्ड की 15 के करीब रहेगी। परीक्षा की भी दिक्कत नहीं है, यहीं से सब हो जाएगा मैनेज।

 

4. अन एकेडमी: हमारे ऑफिस में ही बैठते हैं स्कूल वाले, मिलवा देते हैं

रिपोर्टर: मैडम डमी स्कूल का भी बता दीजिए तो फाइनल कर लेते हैं?

काउंसलर: सर हमारे ऑफिस में ही एक सर बैठते हैं उनसे मिलवा देती हूं।

रिपोर्टर: फीस कितनी होगी और जाना तो नहीं पड़ेगा स्कूल?

काउंसलर: अरे सर डमी में स्कूल जाने की क्या जरूरत। फीस की बात तो आप उनसे ही कर लेना, ज्यादा नहीं होगी। ये सर का आए हैं आप इनसे कर लीजिए बात।

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अनएकेडमी में समझाते हुए काउंसलर

 

रिपोर्टर: बताएं सर कैसे करेंगे एडमिशन की प्रोसेस?

काउंसलर: सर, एडमिशन तो आपका यहीं से हो जाएगा। आप स्कूल विजिट करना चाहते हैं तो मैं पता बता देता हूं आप चले जाओ।

रिपोर्टर: एग्जाम के लिए तो नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि बच्चे को पूरा दिन तो यहीं हो जाएगा।

काउंसलर: सर फिर एक काम करिए आप, एमपी बोर्ड में करवा लीजिए। सीबीएसई में फीस भी ज्यादा रहेगी और महीने में एक दिन तो जाना पड़ेगा स्कूल।

रिपोर्टर: अरे सर आप सीबीएसई का ही कुछ जमाईये ना, ऐसा करिए कि स्कूल न जाना पड़े।

काउंसलर: ठीक है सर आप इतना बोल रहे हैं तो एक सीबीएसई स्कूल में जमा देता हूं आपका काम। फीस भी दूसरों से कम 35 के आसपास रहेगी।


अगली किस्त में देखिए: शहर के बड़े रसूखदारों (जिसमें एक विधायक का भी स्कूल) के स्कूलों में किस तरह से चल रहा है डमी एडमिशन से लेकर पास कराने तक का गंदा खेल। कैसे आपका बच्चा बिना 11वीं दिए भी सीधे जा सकता है 12वीं में। इसके लिए करना पड़ता है कितना खर्चा। कैसे करते हैं पास होने की डील।

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