उज्जैन के पास बीकानेर–बिलासपुर ट्रेन अग्निकांड : रेलवे का इंटेलीजेंट फायर फाइटिंग सिस्टम फेल
रेलवे में लगातार हो रहे हादसों से सबक लेते हुए रेल मंत्रालय अब इसे काफी हाईटेक करते जा रहा है। इसी कड़ी में देश व दुनिया की हाईटेक तकनीक का उपयोग राहत व बचाव कार्य के साथ ही रेलवे अपने सिस्टम में भी उपयोग कर उसे अपग्रेड कर रहा है।
इंदौर के कोचिंग डिपो में आए बीकानेर–बिलासपुर ट्रेन के पावर कार की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इसकी प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं वे काफी चौंकाने वाले हैं। दो दिन पूर्व उज्जैन के पास तराना में जब ट्रेन की पावरकार में आग लगी तो उसको लेकर रेलवे की तरफ से तीन गंभीर लापरवाहियां सामने आई हैं। पावरकार में जब आग लगी तो फायर स्मोक डिटेक्शन सप्रेशन सिस्टम सक्रिय ही नहीं हुआ। दूसरा कि सभी फायर बॉल ब्लास्ट ही नहीं हुई और घटना के दौरान पावरकार के साथ चल रहे निजी सुपरवाइजर की शैक्षणिक योग्यता इस काम के मुताबिक नहीं थी।
बीकानेर रेल मंडल अफसरों की घोर लापरवाही उजागर
रेलवे में लगातार हो रहे हादसों से सबक लेते हुए रेल मंत्रालय अब इसे काफी हाईटेक करते जा रहा है। इसी कड़ी में देश व दुनिया की हाईटेक तकनीक का उपयोग राहत व बचाव कार्य के साथ ही रेलवे अपने सिस्टम में भी उपयोग कर उसे अपग्रेड कर रहा है। हालांकि रेलवे के इस इंटेलीजेंस सिस्टम की पोल उस समय खुल गई जबकि बीकानेर रेल मंडल की ट्रेन बीकानेर-बिलासपुर(20846) के पावरकार में शॉर्ट सर्किट से अचानक आग लग गई। इस दौरान रेलवे का आग बुझाने के लिए पावरकार में लगाया गया इंटेलीजेंट फायर फाइटिंग सिस्टम काम ही नहीं कर पाया।
रेलवे अफसरों के मुताबिक यह ट्रेन का रैक बीकानेर रेल मंडल की है। हालांकि आग लगने की घटना रतलाम मंडल के उज्जैन स्टेशन के पास हुई इसलिए इसे प्रारंभिक जांच के लिए रतलाम मंडल के इंदौर स्थित कोचिंग डिपो में लाया गया। यहां पर सोमवार सुबह मुबंई और रतलाम मंडल के अफसरों ने मामले की जांच शुरू कर दी। साथ ही अफसरों ने पावरकार का निरीक्षण भी किया। अफसरों ने जांच की तो पता चला कि फायर फाइटिंग को लेकर पावरकार में कई खामियां हैं। पावरकार की जांच के बाद उसे वापस बीकानेर के लिए रवाना कर दिया है।
अफसरों के मुताबिक धुंआ, चिंगारी या आग का संकेत मिलते ही फायर स्मोक डिटेक्शन सप्रेशन सिस्टम में लगे सेंसर सक्रिय हो जाते हैं। अलार्म बजने के साथ दोनों सिलेंडर क्रियाशील होकर प्रेशर बनाने लगते हैं। कुछ देर में नाइट्रोजन और पानी का मिश्रण पाइपों में प्रवाहित होने लगता है। दबाव बढ़ते ही वाल्व खुल जाते हैं और नाइट्रोजन और पानी की बौछार शुरू हो जाती है।
सूत्रों के मुताबिक पावर कार में एक सिस्टम के फेल हो जाने पर आग पर काबू पाने के लिए एक अन्य विकल्प भी फायर बॉल के रूप में उपलब्ध रहता है। यह सिस्टम तब काम करता है जबकि सेंसर आग लगने का संकेत देते हैं। इसके बाद फायर बॉल ब्लास्ट हो जाती है और उसके अंदर का नाइट्रोजन व अन्य केमिकल का मिश्रण पूरी जगह पर फैल जाता है। जो कि आसपास के क्षेत्र को ठंडा कर देता है, जिससे आग पर तत्काल काबू पा लिया जाता है। इस मामले में कई सारी फायर बॉल ब्लास्ट ही नहीं हुई। इस पर आग को मैन्यूअल ही बुझाना पड़ा।
प्रारंभिक जांच में यह खामी भी सामने आई कि पावर कार में दो सुपरवाइजर मौजूद रहते हैं। जिसमें से एक रेलवे की तरफ से होता है और दूसरा निजी व्यक्ति होता है जो कि उस पावरकार काे मॉनिटर करता रहता है। ये दोनों लोग पावरकार में किसी भी प्रकार की तकनीकी खामी आने पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे ठीक करते हैं। इस मामले में पता चला कि जो कि प्राइवेट सुपरवाइजर पावरकार में चल रहा था वह योग्य नहीं था। वह केवल आईटीआई पास ही था। बताया गया कि उसकी शैक्षणिक योग्यता इस काम के लिए उपयुक्त नहीं थी।
यह है जांच का पूरा सिस्टम
रेलवे अफसरों के मुताबिक इस तरह की जब भी कोई घटना होती है तो रेल प्रशासन द्वारा यह देखा जाता है कि घटना किस रेल मंडल के अंतर्गत हुई है। ऐसे में उसी संबंधित रेल मंडल के कोचिंग डिपो व यार्ड में पावरकार या रैक को ले जाया जाता है। इसके बाद उसी रेल मंडल के वरिष्ठ अफसरों की एक टीम तैयार की जाती है जो कि घटनास्थल और दुर्घटना से संबंधित साक्ष्यों का निरीक्षण कर उसकी जांच शुरू करती है। इसके बाद जांच रिपोर्ट तैयार कर संबंधित रेल मंडल को भेज दी जाती है। फिर संबंधित रेल मंडल के अफसर कार्रवाई कर उस रेल मंडल के अफसरों को सूचित करते हैं जहां पर घटना हुई थी। बीकानेर–बिलासपुर ट्रेन अग्निकांड के मामले में भी यहीं प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें रतलाम मंडल के अफसर जांच कर रहे हैं और फिर रिपोर्ट बनाकर बीकानेर रेल मंडल को भेज देंगे।
यह था पूरा घटनाक्रम
उज्जैन के पास तराना में रविवार शाम को बिलासपुर-बीकानेर एक्सप्रेस (20846) ट्रेन में आग लग गई। आग ट्रेन के एसएलआर (जनरेटर डिब्बे) में लगी। धुआं उठने से अफरा-तफरी मच गई। आग लगने के बाद का वीडियो भी सामने आया था। जिसमें कुछ लोग कोच के कांच फोड़ कर और पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि कुछ देर बाद आग वाले कोच को अलग कर गाड़ी को रवाना कर दिया गया।
आग लगी तब काली सिंध नदी के ब्रिज पर थी ट्रेन
आग लगने की सूचना मिलते ही ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए थे। ग्रामीणों ने बताया कि ट्रेन में आग उस समय लगी जब वो काली सिंध नदी के ब्रिज पर थी। इस दौरान रेलवे के कर्मचारियों के साथ मिलकर पावर कोच में लगी आग को बुझाने के लिए पानी और अन्य साधनों से प्रयास किए गए थे।
शॉट सर्किट के कारण लगी थी आग
रतलाम मंडल के डीआरएम अश्विनी कुमार ने बताया कि सोमवार को कोचिंग डिपो में पावरकार का निरीक्षण भी किया गया है। पावरकार में आग लगने का प्राथमिक कारण शॉर्ट सर्किट सामने आया है। साथ ही उसमें आग बुझाने के लिए लगी फायर बॉल पूरी तरह से काम नहीं कर पाई। इसके कारण आग को मैन्यूअल रूप से बुझाना पड़ा। हालांकि अभी इसकी जांच चल रही है, जो कि जल्दी ही पूरी करके उसे बीकनेर मंडल को भेज दिया जाएगा। वहीं, से आगे की कार्रवाई की जाएगी।