इंदौर में नगर निगम ने गणेशगंज निवासी रविशंकर मिश्रा की चार मंजिला बिल्डिंग के कमर्शियल हिस्से व बोरिंग को सील कर दिया। इस कार्रवाई के पीछे का कारण तो नगर निगम के स्पष्ट नहीं कर पाए, लेकिन मिश्रा ने यह जानकारी जरूर दी कि उनके ही केस के संबंध में हाईकाेर्ट ने पिछले दिनों निगमायुक्त और अपर आयुक्तों के वाहन और दफ्तर कुर्क करने के आदेश दिए थे। तब निगमायुक्त ने बात करके कार्रवाई रुकवाई थी और कोर्ट से स्टे भी ले लिया था। मिश्रा का कहना है कि अब निगम ने बदले की भावना से कार्रवाई की है, जबकि उन्होंने 2 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग को लेकर कोर्ट चले गए थे। नगर निगम के इस कांड के बाद उसकी बुरी तरह भद पिट गई है और अब महापौर दिल्ली से आने के बाद खुद मिश्रा के घर जाएंगे।
यह कार्रवाई की थी निगम ने
नगर निगम की टीम ने मंगलवार दोपहर में जमकर दादागिरी मचाई। इसमें टीम के कर्मचारियों ने गुंडों के जैसी कार्रवाई करते हुए गणेशगंज निवासी रविशंकर मिश्रा की चार मंजिला इमारत में कमर्शियल हिस्सा और ट्यूबवेल सील कर दिया। आरोप है कि पानी नहीं होने से मिश्रा का परिवार भरी गर्मी में परेशान होता रहा। रात को खाना तक नहीं बना पाया। निगम का कहना था कि यह रूटीन कार्रवाई है, लेकिन इसमें एक खास बात है कि ये वही मिश्रा हैं, जिन्होंने करीब 2 करोड़ मुआवजे की मांग को लेकर निगम के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
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बार–बार पूछा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया
यह मुआवजा मिश्रा ने 2016-17 में गणेशगंज में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर टूटे उनके मकान के एवज में मांगा है। इसका कोर्ट केस भी चल रहा है। मुआवजा नहीं मिलने के इसी मामले में पिछले शुक्रवार को कोर्ट ने निगमायुक्त का दफ्तर सील करवाने की कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। उक्त घटनाक्रम के 4 दिन बाद ही यानी मंगलवार को अपर आयुक्त के निर्देश पर फायर सेफ्टी विभाग की टीम कार्रवाई के लिए गणेशगंज में उन्हीं मिश्रा के घर पहुंची। नगर निगम के कर्मचारियों ने मिश्रा ने बार–बार पूछा कि कार्रवाई क्यों की, तो मौके पर मौजूद टीम ने मिश्रा से बस इतना ही कहा कि निगमायुक्त से बात करो। खुद निगम अफसरों को नहीं पता कि उन्होंने यह कार्रवाई क्यों की। बार-बार पूछने पर अफसरों ने कहा कि रहवासी इलाका है और कमर्शियल एक्टिविटी कर रहे हैं। इस पर पीड़ित मिश्रा परिवार ने 1 लाख 40 हजार कमर्शियल टैक्स जमा करवाने की रसीद दिखा दी।
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पहले बिल्डिंग सील की फिर चिपकाया नोटिस
मिश्रा ने आरोप लगाया कि नगर निगम के कर्मचारियों ने दोपहर में बिल्डिंग सील करने के बाद जोन के भवन अधिकारी के नाम का नोटिस भी चस्पा किया गया, जिसमें मौखिक सूचना का हवाला दिया। यानी इसके पहले भवन मालिक को फायर सेफ्टी या अन्य दस्तावेज संबंधी कोई लिखित नोटिस नहीं दिया। नोटिस में लिखा कि मौखिक रूप से आपको भवन के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए कहा था, लेकिन दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए। 24 घंटे के अंदर सारे दस्तावेज लेकर उपस्थित हों।
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बाद में बोले- बिल्डिंग में फायर सेफ्टी का उल्लंघन
घटना के बाद शाम को नगर निगम की तरफ से जारी की गई जानकारी में बताया गया कि जी-3 से अधिक ऊंचाई वाले भवन में फायर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन पाए जाने व रहवासी के स्थान पर व्यावसायिक उपयोग करने और पार्किंग व्यवस्था नहीं होने पर कैफे को सील किया गया है। फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन करने पर यह कार्रवाई की गई है। वर्ष 2016-17 में बड़ा गणपति क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के तहत रोड बनी थी। तब मिश्रा का घर भी तोड़ा था, लेकिन मुआवजा नहीं दिया। कई साल से निगम टालमटोल करता रहा। मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
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कार्रवाई की जानकारी नहीं दी
पीड़ित रविशंकर मिश्रा ने बताया कि हमारा कोर्ट केस चल रहा है। बकायदा संपत्तिकर देते हैं। निगम की टीम आई जब नहीं बताया गया कि यह कार्रवाई क्यों हाे रही है। हमने टीम से पूछा भी कि यह कार्रवाई किसलिए तो जवाब नहीं मिला।