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नगर निगम के अधिकारियों ने इंदौर को 'बदलापुर' में बदलते हुए उनकी कुर्की कराने वाले बुजुर्ग रविशंकर मिश्रा पर टूट पड़ने वाली कार्रवाई करते हुए बिल्डिंग सील कर दी। इतना ही नहीं उनके यहां जल विभाग वाले, फूड सैंपल लेने वाले तक पहुंच गए। यानी चौतरफा घेर लिया। इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव बुरी तरह भड़क गए हैं। सुबह जैसे ही उन्हें इसकी खबर मिली, वह दिल्ली से इंदौर एयरपोर्ट आकर सीधे मिश्रा के घर गए और सारी बातें सुनने के बाद अधिकारियों पर जमकर भड़के।
इस तरह अधिकारियों पर भड़के महापौर
महापौर ने मिश्रा से सारे कागज देखे और निगम के नोटिस और सील की कार्रवाई को देखा। फिर भड़कते हुए कहा कि यह मजाक नहीं है, यह इंदौर शहर है, यहां किसी तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फिर मीडिया से चर्चा में कहा कि- इंदौर में जनता के सहयोग से और जनता के कारण इंदौर हर बात में नंबर वन होता है। निगम के अधिकारियों की गलती के कारण द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई। बिना वैधानिक नोटिस दिए, किसी का पक्ष सुने ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाई हुई जो वैधानिक तरीके से कोर्ट में अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। जिसने भी द्वेषपूर्ण तरीके से यह कार्रवाई की है, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ, कर्मचारी नहीं अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। मंशा समझी जाएगी आखिर ऐसा क्यों कार्रवाई की गई। आम आदमी और नागरिक को ऐसे कोई परेशान करेगा तो कार्रवाई होगी।
जोनल अधिकारी बोली- निगमायुक्त, अपर आयुक्त को बता दिया था
नगर निगम के जोन 20 की बिल्डिंग ऑफिसर पल्लवी पाल ने बताया कि उनके जोन के अंतर्गत बहुमंजिला भवनों, कैफे व रेस्टोरेंट में फायर सिस्टम की कार्रवाई को लेकर पिछले सप्ताह ही आदेश मिले थे। उसके बाद मंगलवार को पहली कार्रवाई गणेशगंज में की गई थी। कार्रवाई के पूर्व मैंने और फायर ऑफिसर विनोद मिश्रा ने नगर निगम कमिश्नर और अपर आयुक्त को फोन करके जानकारी दी थी। उसके बाद ही कार्रवाई करने पहुंचे थे। वहीं, अपर आयुक्त लता अग्रवाल का कहना है कि गणेशगंज की कार्रवाई करने मैं नहीं बल्कि बिल्डिंग ऑफिसर पल्लवी पाल गई थी। मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
मंगलवार को यह किया निगम अधिकारियों ने
नगर निगम ने गणेशगंज निवासी रविशंकर मिश्रा की चार मंजिला बिल्डिंग के कमर्शियल हिस्से व बोरिंग को सील कर दिया। इस कार्रवाई के पीछे का कारण भी नगर निगम नहीं बता सका। उन्हीं की याचिका पर जिला कोर्ट ने दो करोड़ 24 लाख के मुआवजे मामले में निगमायुक्त और अपर आयुक्तों के वाहन और दफ्तर कुर्क करने के आदेश दिए थे। इससे बजट सत्र के दौरान निगम की जमकर भद पिटी थी। इसके बाद निगम ने हाईकोर्ट से स्टे लिया। जिला कोर्ट में भी निगम के वकीलों की फौज केस को ढंग से नहीं लड़ पाई थी। कुर्की का बदला मिश्रा पर कार्रवाई करते हुए लिया गया।
बार–बार पूछा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया
यह मुआवजा मिश्रा ने 2016-17 में गणेशगंज में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर टूटे उनके मकान के एवज में मांगा है। इसका कोर्ट केस भी चल रहा है। मुआवजा नहीं मिलने के इसी मामले में पिछले शुक्रवार 4 अप्रैल को कोर्ट ने निगमायुक्त का दफ्तर सील करवाने की कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। उक्त घटनाक्रम के 4 दिन बाद ही यानी मंगलवार को अपर आयुक्त के निर्देश पर फायर सेफ्टी विभाग की टीम कार्रवाई के लिए गणेशगंज में उन्हीं मिश्रा के घर पहुंची। नगर निगम के कर्मचारियों ने मिश्रा ने बार–बार पूछा कि कार्रवाई क्यों की, तो मौके पर मौजूद टीम ने मिश्रा से बस इतना ही कहा कि निगमायुक्त शिवम वर्मा से बात करो। खुद निगम अफसरों को नहीं पता कि उन्होंने यह कार्रवाई क्यों की। बार-बार पूछने पर अफसरों ने कहा कि रहवासी इलाका है और कमर्शियल एक्टिविटी कर रहे हैं। इस पर पीड़ित मिश्रा परिवार ने 1 लाख 40 हजार कमर्शियल टैक्स जमा करवाने की रसीद दिखा दी।
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पहले बिल्डिंग सील की फिर चिपकाया नोटिस
मिश्रा ने आरोप लगाया कि नगर निगम के कर्मचारियों ने दोपहर में बिल्डिंग सील करने के बाद जोन के भवन अधिकारी के नाम का नोटिस भी चस्पा किया गया, जिसमें मौखिक सूचना का हवाला दिया। यानी इसके पहले भवन मालिक को फायर सेफ्टी या अन्य दस्तावेज संबंधी कोई लिखित नोटिस नहीं दिया। नोटिस में लिखा कि मौखिक रूप से आपको भवन के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए कहा था, लेकिन दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए। 24 घंटे के अंदर सारे दस्तावेज लेकर उपस्थित हों।
बाद में बोले बिल्डिंग में फायर सेफ्टी का उल्लंघन
घटना के बाद शाम को नगर निगम की तरफ से जारी की गई जानकारी में बताया गया कि जी-3 से अधिक ऊंचाई वाले भवन में फायर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन पाए जाने व रहवासी के स्थान पर व्यावसायिक उपयोग करने और पार्किंग व्यवस्था नहीं होने पर कैफे को सील किया गया है। फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन करने पर यह कार्रवाई की गई है। वर्ष 2016-17 में बड़ा गणपति क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के तहत रोड बनी थी। तब मिश्रा का घर भी तोड़ा था, लेकिन मुआवजा नहीं दिया। कई साल से निगम टालमटोल करता रहा। मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
कार्रवाई की जानकारी नहीं दी
पीड़ित रविशंकर मिश्रा ने बताया कि हमारा कोर्ट केस चल रहा है। बाकायदा संपत्तिकर देते हैं। निगम की टीम आई जब नहीं बताया गया कि यह कार्रवाई क्यों हो रही है। हमने टीम से पूछा भी कि यह कार्रवाई किसलिए तो जवाब नहीं मिला।
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