भोपाल. व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं मामले के व्हिसल ब्लोअर डॉ.आनंद राय और सीएम के ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम के बीच कोल्ड वॉर छिड़ा हुआ है। डॉ.आनंद राय ने रानी दुर्गावती के सिक्के जारी किए जाने को लेकर पोस्ट की। इसमें मरकाम में अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए डॉ.आनंद राय को चेतावनी दी कि वे अपनी पोस्ट हटा लें। साथ ही लिखा कि डॉ.राय ने ऐसा नहीं किया तो एक और एफआईआर के लिए तैयार रहें। हालांकि बाद में मरकाम ने अपनी पोस्ट से एफआईआर वाली बात हटा दी, लेकिन तब तक उनकी मूल पोस्ट के स्क्रीन शॉट वायरल हो गए थे।
रानी दुर्गावती के सिक्कों को लेकर पोस्ट
दरअसल, पूरा मामला डॉ.आनंद राय की एक पोस्ट से शुरू हुआ। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, महाराणा प्रताप जी, दुर्गादास राठौड़ आदि पर 10 रुपए के सिक्के जारी किए गए हैं, किंतु महारानी दुर्गावती जो उनके काफी पहले शहीद हुई हैं, मेरी जानकारी में उनका कोई स्मारक सिक्का नहीं निकला है। समस्त जनता को यह प्रयास करना चाहिए कि उनकी स्मृति स्वरूप एक हजार रुपए या इससे अधिक का सिक्का जारी किया जाए, जिस सिक्के में उनकी युद्धरत छवि अंकित हो।
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मरकाम ने पोस्ट हटाने की दी चेतावनी
डॉ.राय की पोस्ट के जवाब में सीएम के ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम ने दो सिक्कों की फोटो शेयर करते हुए लिखा, पिछले साल रानी दुर्गावती जी के 500वें जन्म शताब्दी वर्ष के शुरू होने पर 500 रुपए का सिक्का प्रधानमंत्री ने जारी किया था। इंदौर के तथाकथित समाजसेवी डॉ.आनंद राय जी, 100 का भी नहीं 500 का सिक्का जारी हुआ है। भ्रामक पोस्ट हटाकर अपनी अनभिज्ञता अथवा मानसिक अल्पता के कारण इस फर्जी पोस्ट को जल्दी हटा लें, अथवा एक और एफआईआर के लिए तैयार रहें।
राय ने पूछा किसी के पास हो तो मुझे भेज दें
जब मरकाम और डॉ.आनंद राय के बीच शुरू हुए इस कोल्ड की खबर आई तो स्क्रीन शॉट्स वायरल होने लगे। हालांकि बाद में मरकाम ने अपनी पोस्ट से एफआईआर वाली बात हटा दी, लेकिन तब तक उनकी पुरानी पोस्ट के स्क्रीन शॉट्स सामने आ गए थे।बाद में डॉ.आनंद राय ने लिखा, सोशल मीडिया पर यह फोटो मुख्यमंत्री सचिवालय से प्राप्त हुई है।
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यह सिक्का किस किस के पास है, क्या आम लोगों तक विनिमय Exchange में, आपसी लेनदेन में, ATM या बैंक से किसी के पास यह सिक्का हो तो मुझ तक 20 सिक्के पहुंचाने की कृपा करें। कुछ लोगों ने बताया कि यह सिक्का कलकत्ता की टकसाल या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दिल्ली के अधिकृत एजेंट से मिल सकता है। क्या रानी दुर्गावती जी को अपना आराध्य मानने वाले गरीब आदिवासी समाज की पहुंच दिल्ली, कलकत्ता तक है, मुख्यमंत्री सचिवालय इस सिक्के को जनसामान्य तक पहुंचाने की कोशिश करे।
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खबर पोस्ट कर उठाए सवाल
बात यहीं नहीं थमी। इसके बाद मरकाम ने रानी दुर्गावती को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए एक खबर पोस्ट की। इसका शीर्षक था, 'लक्ष्मण राज सिंह मरकाम नातीराज सिंगौरगढ़ ने नानी दाई को पहली माला और गौड़ी परंपरा से गोंगो और हल्दी-चावल सहित भेंट अर्पित किया'। इसके बाद डॉ.आनंद राय ने उनकी इसी खबर को लिया। साथ में लिखा, सिंगौरगढ़ में ननिहाल होने मात्र से कोई नातीराजा नहीं बन जाता। न ही वह रानी दुर्गावती/राजा दलपत शाह का वैधानिक वंशज है। बस राजनीतिक लाभ पाने की नीयत से कोई राजमाता रानी दुर्गावती जी की विरासत को समेटना चाहता है तो यह गलत है। इसमें उन्होंने तमाम सवाल खड़े किए।
फिर मरकाम ने किया पलटवार
इसके बाद लक्ष्मण सिंह मरकाम ने लिखा, जिसके ना दादा गांधी थे, ना दादी गांधी थी, दादा जी यूनुस और मां विदेशी, जिस परिवार को अपने पुरखों का सरनेम और जाति लिखने में शर्म आती है, उनके तलवे चाटने वाले, कुछ फर्जी रायचंद, हमको इतिहास पढ़ा रहे हैं। उनका इशारा सीधे तौर पर डॉ.आनंद की राय पोस्ट की तरफ था। कुल मिलाकर दो दिन से दोनों के बीच इस तरह का कोल्ड वॉर छिड़ा हुआ है। दोनों सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।
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