द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने सोमवार को इंदौर में मीडिया से बात कर अपने विचार व्यक्त किए। खुदाई में लगातार मंदिर सामने आने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यदि यह प्रमाणित हो जाए कि किसी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बनाया गया है, तो वे ऐसे स्थल को वापस करने के लिए तैयार हैं।
मंदिर की खोज प्रमाणों से हो रही है
उन्होंने कहा कि मंदिरों की खोज किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं है, बल्कि प्रमाण और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर हो रही है। उन्होंने कहा कि कई प्राचीन धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। इन स्थानों को वापस पाने की प्रक्रिया विवादित नहीं है। शंकराचार्य सदानंद ने कहा कि हमारे पास धार्मिक और ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध हैं। जो लोग इन प्रमाणों को स्वीकार नहीं करते, उनके लिए पुरातत्व विभाग का सहारा लिया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि यह प्रमाणित हो जाए कि किसी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बनाया गया है, तो ऐसे स्थल को वापस करने के लिए तैयार हैं।
जाति से ही उम्मीदवार तय होते हैं
उन्होंने समाज में जाति व्यवस्था के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था को समाप्त करना संभव नहीं है, क्योंकि सरकारें खुद जाति के आधार पर अपने उम्मीदवार तय करती हैं। नेताओं के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए संतों और महात्माओं को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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ऐसे व्यक्तियों से रहें सावधान
शंकराचार्य सदानंद ने यह भी कहा कि कुछ संगठन और शासन में बैठे लोग अपने स्वार्थ के लिए नकली आचार्यों का निर्माण कर रहे हैं, जो धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। ऐसे व्यक्तियों से सतर्क रहने और मीडिया से इन्हें प्रचारित न करने की अपील की है। उन्होंने सनातन धर्मावलंबियों से कुंभ मेले में गंगा स्नान (गंगा में नहाना) करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गंगा में स्नान से पहले ही पाप खत्म होने लगता है और यह स्नान सभी के लिए जरूरी है।
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