भारत में एक नई तकनीक के जरिए कैंसर जैसी घातक बीमारी की पहचान की जाएगी। भारत में अब यूरिन की बूंदों डिटेक्शन किट पर डालने से ही कैंसर का पता लगेगा। साउथ कोरिया की कंपनी ECDS ग्रुप कैंसर की शुरुआती स्टेज का पता लगाने वाली डिटेक्शन किट बनाने के लिए उज्जैन में एक यूनिट स्थापित करने जा रही है। इस किट से यूरिन की कुछ बूंदों से आठ प्रकार के कैंसर का पहली स्टेज पर ही पता लग सकेगा। इस किट का उद्देश्य कैंसर के लक्षणों को शुरुआती स्टेज पर ही पहचानना है, जिससे मरीजों को समय रहते इलाज मिल सके और इलाज की लागत कम हो सके।
साउथ कोरिया से आई टीम की मुख्यमंत्री से मुलाकात
दरअसल, सोमवार को भोपाल में साउथ कोरिया के ईसीडीएस ग्रुप के निवेशकों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर चर्चा की थी, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश में मेडिकल उपकरणों, बायो पॉलीमर, मेडिकल एआई नैनो टेक्नोलॉजी और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश करने की इच्छा व्यक्त की। इस दौरान यह बात सामने आई कि साउथ कोरिया में इस प्रकार के डिटेक्शन किट के टेस्ट शुरू हो चुके हैं, जिनकी सफलता दर 92% तक रही है। इस तकनीक का उपयोग कर, कैंसर की पहचान आसान और सस्ती होगी, जिससे मरीजों को समय रहते इलाज मिल सकेगा।
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उज्जैन में किट यूनिट का निर्माण
सीएम मोहन यादव से मुलाकात के बाद साउथ कोरिया से 8 सदस्यीय दल मंगलवार को उज्जैन के विक्रम उद्योगपुरी आया, यहां एमपीआईडीसी (मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के निदेशक राजेश राठौड़ ने उनका स्वागत किया और उद्योग क्षेत्र की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। साउथ कोरिया से पहुंची टीम को एमपीआईडीसी ने उद्योग के लिए प्रजेंटेशन दिखाया। साथ ही उन्हें उद्योगपुरी में बढ़ती उद्योगों की संभावना की उपयोगिता भी बताई। साथ ही कंपनी को उद्योग लगाने में मदद का भरोसा भी दिया।
आठ प्रकार के कैंसर की होगी पहचान
इस यूनिट में अर्ली कैंसर डिटेक्शन किट का निर्माण होगा, जिसे दुनिया भर में भेजा जाएगा। यूनिट के निर्माण के लिए लगभग 21 एकड़ जमीन पर काम शुरू होगा। इस किट में आठ प्रकार के कैंसर की पहचान की जा सकेगी, जिनमें ब्रेस्ट, स्टमक, लंग्स, लिवर, प्रोस्टेट, ब्लेडर, क्लोरेक्टल और पैंक्रियाटिक कैंसर शामिल हैं। इस यूनिट से 480 लोगों को रोजगार मिलेगा। इस किट की निर्माण प्रक्रिया अक्टूबर 2025 तक पूरी हो जाएगी। यह किट साउथ कोरिया में पहले ही सफल परीक्षण से गुजर चुकी है, और अब इसे भारत में उज्जैन में निर्मित किया जाएगा।
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अर्ली स्टेज ऑफ कैंसर की पहचान करेगी किट
MPIDC के निदेशक राजेश राठौड़ ने बताया कि कैंसर की जांच वाली किट की यह यूनिट उज्जैन में लगाई जाएगी। इस यूनिट में अर्ली कैंसर डिटेक्शन किट बनाई जाएगी। ग्रुप के मेंबर 4 मार्च (मंगलवार) को यूनिट लगाने के लिए जमीन देखने पहुंचे थे। उन्होंने आगे बताया कि करीब 21 एकड़ जमीन पर किट निर्माण की यूनिट तैयार की जाएगी। जहां यूरिन से कैंसर के लक्षणों की पहचान करने वाली किट बनाई जाएगी।
किट से लगेगा कैंसर का पता, टाइम पर होगा इलाज
साउथ कोरिया के ईसीडीएस ग्रुप के फाउंडर राजेश भारद्वाज ने बताया कि यह किट देश की पहली किट होगी, जिसे कैंसर के अर्ली स्टेज की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस किट से मरीजों को शुरुआती लक्षणों में ही कैंसर का पता चलेगा और इलाज समय पर शुरू हो सकेगा। इस प्रकार, यह डिटेक्शन किट भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात कर सकती है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों के जल्दी पहचानने में मदद करेगा और लाखों लोगों की जान बचा सकेगा। हालांकि, इस तरह की किट से साउथ कोरिया में टेस्ट शुरू हो चुके हैं। जिससे 92% तक सफलता मिली है।
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विशेषज्ञों की राय
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सीएम त्रिपाठी ने बताया कि अगर कैंसर का पता लगाने वाली कोई किट आ रही है तो यह मरीजों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह की किट का उपयोग अब तक नहीं देखा गया है, लेकिन यदि यह सफल होती है तो यह देश में कैंसर के इलाज के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है।
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