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Photograph: (thesootr)
जबलपुर में एक बड़े प्रॉपर्टी घोटाला का पर्दाफाश हुआ है, जिसने आम लोगों के विश्वास को हिलाकर रख दिया है। 'अर्थ बिल्डर्स एंड डेवलपर्स' के प्रोपराइटर नीरज ललित प्रताप सिंह के खिलाफ ग्राहकों, अनुबंधकर्ताओं और निवेशकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने के गंभीर आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।
जबलपुर एसपी की जानकारी के अनुसार आरोपी बिल्डर को गिरफ्तार कर लिया गया है। तहसीलदार, जबलपुर ग्रामीण के आदेश पर यह बड़ी कार्रवाई की गई है, इस मामले में उन ग्राहकों को कुछ राहत मिली है, जिनकी गाढ़ी कमाई अब खतरे में पड़ गई है।
सपनों को बेचकर बिछाया धोखाधड़ी का जाल
यह पूरा मामला जबलपुर के जोगीढाना और हर्रई गाँवों में 'अर्थ बिल्डर्स' द्वारा बेचे जा रहे 'फार्म लैंड' प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है। नीरज ललित प्रताप सिंह ने सुनियोजित तरीके से लोगों को गुमराह करने के लिए फर्जी लेआउट प्लान तैयार किए और आकर्षक, लेकिन झूठे विज्ञापनों का सहारा लिया। इन विज्ञापनों में 'कवर्ड कैंपस', 'बाउंड्री वॉल', '30-20 फुट रोड', 'इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई', 'पानी सप्लाई', 'गार्डन', 'सुरक्षा गार्ड', 'स्वीमिंग पूल' और 'पौधरोपण' जैसी भव्य सुविधाओं का वादा किया गया था।
इन खोखले वादों में फंसकर कई भोले-भाले निवेशकों ने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी से लाखों-करोड़ों रुपए लगाए, लेकिन उन्हें बदले में मिला सिर्फ धोखा। पैसे लेने के बाद, बिल्डर ने न तो उन्हें प्लॉट की रजिस्ट्री दी और न ही वादे के अनुसार ज़मीन पर कोई विकास कार्य किया।
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रजिस्ट्री से लेकर रकबे तक हर जगह धोखा
तहसीलदार के विस्तृत प्रतिवेदन पर आधारित जांच रिपोर्ट धोखाधड़ी के कई पहलुओं को उजागर करती है। यह सिर्फ पैसे लेकर रजिस्ट्री न करने का मामला नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा पेचीदा है। सुनील चौकसे, राजेश कुमार महोबिया, नितिन श्रीवास्तव, पीयूष दुबे, कृष्ण कुमार, राकेश साहू, राजेंद्र कुमार सोनी, प्रवीण कुमार सोनी और दीपक कुमार सावलानी जैसे कई पीड़ित निवेशकों ने शिकायत की है कि उन्होंने लाखों रुपये का भुगतान चेक, आरटीजीएस और ऑनलाइन माध्यमों से किया, लेकिन उन्हें आज तक उनके प्लाट की रजिस्ट्री नहीं मिली।
कुछ मामलों में तो यह भी सामने आया कि जो प्लॉट दिखाए गए थे, वे दरअसल सरकारी ज़मीन पर थे, जिसकी रजिस्ट्री बिल्डर कर ही नहीं सकता था। इससे भी गंभीर बात यह है कि हरीश कुमार सचदेव, अतुल कुमार अरोरा, दिलीपचंद यादव (उनके बेटे और नाती के नाम पर), और देवा शर्मा जैसे खरीदारों को रजिस्ट्री तो मिल गई, लेकिन जब वे नामांतरण (Mutation) के लिए तहसील कार्यालय पहुँचे, तो पता चला कि खसरे में उतनी ज़मीन बची ही नहीं है, जितनी उन्हें बेची गई थी।
बिल्डर ने कपटपूर्वक खसरे में दर्ज रकबे से कहीं ज्यादा भूमि बेच दी, जिससे खरीदार खुद को पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वहीं, अजय पेशवानी और पवन खत्री जैसे पीड़ितों ने बताया कि उन्हें मौके पर जो फार्म लैंड दिखाया गया था, वह रजिस्ट्री में दर्शाए गए खसरा नंबर और चौहद्दी (बाउंड्री) से बिल्कुल अलग निकला, इस तरह बिल्डर ने ग्राहकों से छल करके भूमि बेची। एक अन्य मामले में, उमाशंकर यादव को 20 लाख रुपये का निवेश 2 साल में दोगुना करने या उसके बदले फार्म लैंड देने का झांसा दिया गया, लेकिन बिल्डर ने वादे के मुताबिक न तो पैसे दोगुने किए और न ही एग्रीमेंट के अनुसार ज़मीन दी।
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सरकारी जमीन पर भी 'अर्थ बिल्डर्स' का अवैध कब्जा
धोखाधड़ी का यह जाल सिर्फ निजी निवेशकों तक सीमित नहीं है, बल्कि 'अर्थ बिल्डर्स' ने सरकारी ज़मीन को भी नहीं बख्शा। जांच में यह भी सामने आया है कि नीरज ललित प्रताप सिंह ने जबलपुर के जोगीढाना में खसरा नंबर 4, 9, 11, 12, 13, 15, 16 और 33 जैसी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया।
कुल 6.47 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर उसने न केवल अवैध निर्माण किए, बल्कि उसे खुर्द-बुर्द भी कर दिया। इस पर पक्के गेट, बाउंड्री वॉल, गार्डन, रास्ते और फार्म हाउस तक बनाए गए। यह एक गंभीर अपराध है, जिसके संबंध में तहसीलदार न्यायालय, जबलपुर में पहले से ही प्रकरण क्रमांक 0011/अ-68/2024-25 दर्ज कर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही चल रही है। यह दिखाता है कि बिल्डर का दुस्साहस किस हद तक पहुंच चुका था।
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1.11 करोड़ की धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों का खेल
तहसीलदार की जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष बेहद चौंकाने वाले हैं। यह साफ हो गया है कि 'अर्थ बिल्डर्स' के प्रोपराइटर नीरज ललित प्रताप सिंह ने सुनियोजित तरीके से फर्जी लेआउट तैयार किए और झूठा प्रचार कर लोगों को लालच दिया। बिल्डर ने लगभग 1,11,11,320/- रुपये ( एक करोड़ ग्यारह लाख ग्यारह हजार तीन सौ बीस रुपए ) की मोटी रकम ग्राहकों और अनुबंधकर्ताओं से प्राप्त की, लेकिन विक्रय पत्र निष्पादित नहीं किए। इसके अलावा, हर्रई में उसने ऐसी जमीन बेचने का अनुबंध किया, जिसका वह खुद वैध मालिक ही नहीं। था। बिल्डर ने झूठे और जाली कागजों और तथ्यों के आधार पर फर्जी कॉन्ट्रैक्ट लेटर तैयार किए और इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
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ठगी के शिकार लोगों को जागी न्याय की उम्मीद
इस बड़े प्रॉपर्टी घोटाले के खुलासे के बाद, जबलपुर पुलिस ने नीरज ललित प्रताप सिंह के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। अब आखिरकार उसपर पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया है। आरोपी बिल्डर नया बस स्टैंड, समान हुजूर, रीवा का रहने वाला है जिसने जबलपुर में अपना ठिकाना पचौरी टॉवर राइट टाउन, सतपुड़ा एवेन्यू, संजीवनीनगर, गढ़ा में बनाया हुआ था। यह मामला उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो प्रॉपर्टी में निवेश करने का सोच रहे हैं।
यह दिखाता है कि कैसे कुछ लालची बिल्डर्स आम लोगों की गाढ़ी कमाई और उनके सपनों को रौंदने से भी नहीं हिचकिचाते। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है, क्या नीरज ललित प्रताप सिंह गिरफ्तार होते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण, क्या पीड़ितों को उनकी मेहनत की कमाई वापस मिल पाती है या उन्हें न्याय मिल पाता है।