नर्मदापुरम वन विभाग में एक दिलचस्प और चौंकाने वाली घटना घटी है। यहां डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को उनके रिटायरमेंट के दिन ही नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। यह कार्रवाई 5 साल पुराने मामले में विभागीय जांच के बाद की गई।
मिश्रा की विदाई जहां सोमवार को सुबह कार्यालय में गर्मजोशी से हुई, वहीं दोपहर में उन्हें बर्खास्तगी का आदेश मिल गया। जानें क्यों किया गया मिश्रा को बर्खास्त...
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बर्खास्तगी के पीछे की वजह
मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने भ्रमण के नाम पर फर्जी बिल लगाए थे। यह मामला तब सामने आया जब सेवानिवृत्त फॉरेस्ट अधिकारी मधुकर चतुर्वेदी ने इसकी शिकायत की।
जांच के बाद मिश्रा पर लगे आरोप को सही पाए गया। इसके चलते मिश्रा को उनके रिटायरमेंट के दिन ही नौकरी से हटा दिया गया।
दरअसल, मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रमण कार्यक्रम के दौरान फर्जी बिल लगाकर 18 लाख रुपए की धोखाधड़ी की।
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रिटायरमेंट से पहले बर्खास्तगी
सोमवार को जहां मिश्रा को ऑफिस में विदाई दी गई, वहीं दोपहर में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (CCF) आशोक कुमार चौहान ने उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिए।
मिश्रा पर यह गबन का आरोप 2018 में इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के दौरान लगा था। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि 150 लोगों के भ्रमण में लगभग 18 लाख रुपये की अनियमितता की गई थी। यह मामला बानापुरा क्षेत्र में हुआ था।
विभागीय जांच में यह आरोप सही पाए गए। इसके बाद मिश्रा से जवाब भी लिया गया था, जो उन्होंने 24 जून को दिया था।
तत्कालीन डीएफओ पर भी है आरोप
मुख्य वन संरक्षक ने यह भी बताया कि इस मामले में तत्कालीन डीएफओ अजय पांडे पर भी आरोप हैं। इनकी विभागीय जांच अभी जारी है।
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