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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. विवाह सहायता योजना घोटाला : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मध्यप्रदेश के भोपाल, विदिशा, कटनी और छतरपुर जिलों में सात स्थानों पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई का लक्ष्य जनपद पंचायत सिरोंज के पूर्व CEO शोभित त्रिपाठी और उनके सहयोगियों को निशाना बनाना था, जो मध्य प्रदेश सरकार की विवाह सहायता योजना के तहत करोड़ों रुपए के गबन में शामिल थे।
यह योजना पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के परिवारों को विवाह के समय वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए थी। त्रिपाठी और उनके सहयोगियों ने इस योजना का दुरुपयोग किया और अयोग्य लाभार्थियों को धन हस्तांतरित किया। ED की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
घोटाले का हुआ खुलासा
ED की जांच में पाया गया कि शोभित त्रिपाठी ने डेटा एंट्री ऑपरेटर योगेंद्र शर्मा और हेमंत साहू के साथ मिलकर सरकारी पोर्टल पर धोखाधड़ी से डेटा अपलोड किया। इस धोखाधड़ी के कारण कई अयोग्य लाभार्थियों के बैंक खातों में धन हस्तांतरित किया गया। इसके बाद, यह धन कई किश्तों में एटीएम के माध्यम से निकाला गया और त्रिपाठी के परिवार के सदस्य और अन्य संबंधित संस्थाओं के खातों में डाला गया।
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गबन की राशि का वैध बनाना
गबन किए गए धन को त्रिपाठी ने रिश्तेदारों के बैंक खातों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के माध्यम से सफाई करने की कोशिश की। इसके बाद, यह धन वैध आय के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह धन शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और अचल संपत्तियों की खरीद के लिए निवेश किया गया।
म्यूचुअल फंड और दस्तावेज जब्त
ED ने अपनी छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए। इसके अलावा, त्रिपाठी और अन्य के 21.7 लाख रुपये के बैंक खातों और म्यूचुअल फंड को फ्रीज कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद, ED ने मामले की गहन जांच जारी रखी है और अधिक खुलासे की उम्मीद जताई है।
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विवाह सहायता योजना में 30 करोड़ का गबन
मध्य प्रदेश की विवाह सहायता योजना के तहत 2019 से नवंबर 2021 के बीच 30.18 करोड़ रुपये का गबन हुआ। योजना का उद्देश्य असंपन्न निर्माण श्रमिकों के परिवारों को विवाह के अवसर पर आर्थिक मदद देना था, लेकिन शोभित त्रिपाठी और उनके सहयोगियों ने इसका दुरुपयोग किया।
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ED की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय की त्वरित और कड़ी कार्रवाई ने यह स्पष्ट किया कि वह वित्तीय अपराधों को रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। ED ने भ्रष्टाचार और सार्वजनिक प्रशासन में वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं, जो भारतीय प्रशासन के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।