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सालभर ED, IT और CBI की रेड, अरबों की नकदी-जेवर जब्त Photograph: (BHOPAL)
BHOPAL. साल 2024 में मध्य प्रदेश देश की नामचीन जांच एजेंसियों की कार्रवाई की जद में रहा। रियल एस्टेट कारोबारी, उद्योगपतियों से लेकर नेता और अफसर भी ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों की छापामार कार्रवाइयों में उलझे रहे। सालभर में हुई छापामार कार्रवाइयों में प्रदेश से बेहिसाब-बेनामी संपत्ति, अरबों की नकदी के साथ ही सोना-चांदी, हीरे भी जब्त किए गए हैं। छापामार कार्रवाईयों ने प्रदेश में सरकार की नाक के नीचे चल रहे नेता-अफसर और कारोबारियों के नेक्सस की परतें खोलकर रख दी हैं।
एक साल में 1000 करोड़ से ज्यादा राशि जब्त
इन कार्रवाइयों से यह भी साफ हो गया है कि सरकारी खजाने की लूट के लिए कैसे खुला खेल चल रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से लगातार हड़कंप मचा हुआ है, इसके बावजूद हर महीने करोड़ों रुपए जब्त किए जा रहे हैं। शायद ही कोई छापामार कार्रवाई ऐसी रही है जिसमें जांच एजेंसियों को करोड़ दो करोड़ न मिले हों। इस तरह की कार्रवाइयों में एक साल में 1000 करोड़ से ज्यादा राशि पकड़ी गई है।
भ्रष्टाचारियों के सिंडीकेट का खुला खेल
भ्रष्टाचारियों के सिंडीकेट की नजर प्रदेश सरकार के खजाने के साथ ही योजनाओं पर खर्च होने वाली राशि पर भी है। निर्माण कार्यों के टेंडर से लेकर भुगतान तक कमीशनखोरी से लेकर सरकार के टैक्स की चोरी तक सिंडीकेट का शिकंजा कसा हुआ है। प्रदेश में केंद्रीय जांच एजेंसियों के छापे हर महीने सामने आए हैं जिनमें चंद साल में कौड़ियों से करोड़ों का साम्राज्य खड़ा करने वालों पर कसावट हुई है। ऐसे ही कुछ बड़ी छापामार कार्रवाइयां ऐसी हैं जो पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रही हैं।
चर्चित कारोबारी ग्रुप के ठिकानों पर रेड
फरवरी: कारोबारी हब इंदौर में 2 फरवरी 2024 में इनकम टैक्स विभाग ने एक चर्चित रियल एस्टेट कारोबारी ग्रुप के 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। बालचंद मेहता ग्रुप यानी बीसीएम समूह रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े प्रोजक्टों पर काम करता है। यही उसकी पहचान भी है। इस ग्रुप का नाम तब भी चर्चा में आया था जब अंबानी परिवार के रिलायंस समूह न इंदौर में बड़े अस्पताल की शुरूआत की थी। बीसीएम ग्रुप ने ही इस अस्पताल के लिए जमीन का सौदा कराया था। ग्रुप कागज पर कम कीमत दिखाकर जमीनों के मंहगे सौदे कराने और करोड़ों का टैक्स बचाने की आशंका के चलते इनकम टैक्स की नजर में आया था।
जब CBI की प्रतिष्ठा को हुई धूमिल...
मई: प्रदेश के हेल्थ एजुकेशन सेक्टर में खलबली मचा रहे नर्सिंग घोटाले ने इस साल भी हड़कंप मचाया है। करोड़ों रुपए के लेन-देन के बदले नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और केंद्रीय गाइडलाइन को ताक पर रखने के इस मामले की जांच CBI कर रही है। 20 मई 2024 को इस घोटाले के जिन्न ने केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को भी अपनी जकड़ में ले लिया। घोटाले की जांच कर रही CBI के डीएसपी आशीष प्रसाद, निरीक्षक राहुल राज एवं सुशील कुमार मजोका, ऋषिकांत असाथे और अन्य को लाखों की रिश्वत वसूली में गिरफ्तार किया गया था। ये जांच के दौरान गिरोह बनाकर कॉलेजों से वसूली कर रहे थे। रिश्वत कांड ने CBI की प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर दिया था।
इस साल प्रदेश में गूंजी ED की धमक
अगस्त: भ्रष्टाचार के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ED की धमक भी इस साल प्रदेश में गूंजती रही। 6 अगस्त 2024 को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने छापेमारी कर एक करोड़ से ज्यादा नकद, तीन करोड़ की एफडी के साथ ही बेनामी संपत्ति और कारोबार से जुड़े दस्तावेज जब्त किए थे। ये छापा इंदौर नगर निगम में टेंडर घोटाले से संबंधित था। घोटाले में ठेकेदार, निगम के अधिकारी, वेंडर और ऑडिट_अकाउंट शाखा की मिलीभगत से करोड़ों की हेराफेरी की गई थी। ईडी की टीमें ग्रीन कंट्रक्शन, किंग कंट्रक्शन और नीव कंट्रक्शन के मो. साजिद, मो. जाकिर, और मो. सिद्दीकी के अलावा अकाउंटेंट अनिल गर्ग, अभय राठौर के ठिकानों पर भी पहुंची थीं।
कई शहरों में कार्रवाई, 417 करोड़ से ज्यादा संपत्ति जब्त
अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय भोपाल की टीम ने अक्टूबर में राजधानी के मे.रेपिड ट्रेवल्स को संचालित करने वाले धीरज आहुजा और विशाल आहूजा के ठिकानों पर छापे मारे थे। हेराफेरी की कड़ियां जोड़कर ईडी ने दतिया में प्रॉपर्टी डीलर रामसहाय दुबे के ठिकानों पर कार्रवाई की थी। प्रॉपर्टी कारोबारी रामसहाय बीजेपी पार्षद अक्कू दुबे का चाचा है। 15 अक्टूबर 2024 को राजधानी में हुई कार्रवाई से कनेक्शन के आधार पर ईडी ने रियल एस्टेट, प्रॉपर्टी ब्रोकरेज के जरिए सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाले कारोबारियों के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के कई शहरों में कार्रवाई कर 417 करोड़ से ज्यादा संपत्ति जब्त की थी।
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आर्थिक हेराफेरी के मामले में ED का एक्शन
नवंबर: भोपाल ईडी की टीम ने 7 नवंबर 2024 को 42 करोड़ रुपए की आर्थिक हेराफेरी के मामले में अरेरा कॉलोनी स्थित CA फर्म सहित पांच स्थानों पर छापा मारा था। प्रवर्तन निदेशालय ने साल 2020 में CBI द्वारा लोन न चुकाने पर दर्ज मामले के आधार पर फर्म और उसके अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। वाहन निर्माता कंपनी की डीलर फर्म ने कई बैंक और कंपनियों से लोन हासिल कर आर्थिक गड़बड़ी की थी। साल 2014 में बैंक ऑफ इंडिया से मिल 42 करोड़ के लोन को भी नहीं चुकाया था।
धार और इंदौर जिले में IT की कार्रवाई
दिसंबर: धार और इंदौर जिले में अलग-अलग शहरों में 5 दिसंबर 2024 को इनकम टैक्स की टीम 12 ठिकानों पर छापा मारा था। इस कार्रवाई से कई दिन हड़कंप मचा रहा। कार्रवाई करने पहुंची टीमें 28 वाहनों से पहुंची थीं जिनमें 70 से ज्यादा अधिकारी शामिल थे। छापेमारी में इनकम टैक्स विभाग ने मनावर के प्रमुख कारोबारी आरसी जैन, प्रॉपर्टी ब्रोकर अमित शर्मा, राजेश शर्मा, कालू उर्फ बब्बू टेलर, जहीर शेख, पंकज गोधा और क्रिकेट सट्टा कारोबारी के करीबी गोलू पहाड़िया के घर, दुकान, दफ्तर और पेट्रोल पम्प से अवैध संपत्ति और टैक्स चोरी संबंधी दस्तावेज जब्त किए थे। इसी रेड के आधार पर इनकम टैक्स विभाग ने राजगढ़ में भी 4 ज्वेलरी फर्म पर छापा मारा था। इन छापों में भी बेनामी कारोबार के साक्ष्य जांच एजेंसी के हाथ आए हैं।
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राजधानी में इनकम टैक्स की बड़ी कार्रवाई
दिसंबर: आयकर विभाग ने 18 दिसंबर 2024 को सुबह 6.45 बजे माइन और कंस्ट्रक्शन फर्म त्रिशूल से जुड़े राजेश शर्मा के 52 ठिकानों पर छापा मारा था। इनकम टैक्स की टीमों के साथ CISF जवान भी रेड में शामिल थे। रेड में शर्मा के ठिकानों से सोने-चांदी और हीरे के जेवर भी मिल हैं। भोपाल में नीलबड़, एमपी नगर, कस्तूरबा नगर, होशंगाबाद रोड, 10 नंबर मार्केट, मेंडोरी, मेंडोरा, आरपीएम टाउन के साथ ही शर्मा के करीबी आदित्य गर्ग के इंदौर और रामवीर सिकरवार के ग्वालियर स्थित ठिकानों पर छापे मारे गए थे। खनन और कंस्ट्रक्शन कारोबार से जुड़े शर्मा की प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और पूर्व मंत्री से नजदीकी रही है। इसी के दम पर उसकी फर्म को करोड़ों के टेंडर मिलते थे। वह राजधानी के प्रॉपटी के कारोबार में भी दखल रखता है।
रुचि सोया के पूर्व मालिक पर एक्शन
इंदौर दो दिन पहले 19 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने तेल कारोबारी फर्म रुचि सोया के पूर्व मालिक उमेश शाहरा के ठिकानों सर्चिंग की थी। शाहरा पर 58 करोड़ के लोन घोटाले को लेकर दर्ज एफआईआर के चलते ईडी पड़ताल कर रही है। शाहरा के खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा के डीजीएम ने तीन साल पहले यानी 2021 को केस दर्ज कराया था। अब शाहरा कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी के कारोबार में उतर चुका है। रुचि सोया इंडस्ट्रीज के मालिक कैलाश शाहरा, एक डायरेक्टर सहित कंपनी को वित्तीय लाभ पहुंचाने में मददगार रहे वाणिज्यिक कर विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त और महाराष्ट्र के 4 एजेंट्स के खिलाफ ईओडब्लू ने भी केस दर्ज किया है। रिजर्व बैंक की विलफुल डिफॉल्टर लिस्ट में भी कैलाश शाहरा का नाम है। शाहरा पर तो चार साल पहले 188 करोड़ के बैंक घोटाले में CBI भी केस दर्ज कर चुकी है।
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