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Saurabh Sharma Photograph: (the sootr )
INDORE : आरटीओ के जिस पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा पर लोकायुक्त के छापे में करोड़ों की संपत्ति, चांदी की सिल्लियां, सोना मिल रहा है वह करोड़ों रुपए कमाने वाला इकलौता शख्स नहीं है। यह मूल रूप से कमाई है परिवहन चौकियों पर हर ट्रक से की जाने वाली वसूली का हिस्सा है, इसके साथ ही चौकियों पर ट्रांसफर-पोस्टिंग से हुई कमाई है। लेकिन इसमें अकेले सौरभ नहीं है, बस वह एक मजबूत प्यादा है। यह कुल चार लोगों का नेटवर्क है, जिसके मुखिया एक वकील साहब रहे और उनके ऊपर फिर मजबूत राजनीतिक संरक्षण। इसमें से एक सिपाही डीएस यानी दशरथ सिंह पटेल की लिखित शिकायत चार साल से लोकायुक्त के पास लंबित है। इसमें बताया गया था कि पटेल एक दिन में 70 से 80 लाख की अवैध वसूली करते हैं, यानी एक माह की 24 करोड़ रुपए।
47 चौकियों का उठता था ठेका
मप्र में कुल 47 परिवहन चौकियां थी, जिसमें वसूली सीएम डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में जाकर एक जुलाई 2024 से बंद हुई है। इन 47 में से 16 चौकियां सबसे कमाउ वाली थी इसमें भी सेंधवा, नयागांव, मुरैला, कवासा, मुलताई, पिटोल, चिरूला, मोतीनाल सबसे ज्यादा कमाउ वाली रही। इन 16 चौकियों से हर दिन औसतन 5 तो बाकी अन्य से एक करोड़ इस तरह करीब हर महीने 150 करोड़ की अवैध वसूली ट्रकों से होती थी। इन चौकियों की कमाई संभालने के लिए चार लोग ठेके लेते थे। इसमें सबसे प्रमुख नाम सौरभ शर्मा का था, यह ग्वालियर रीजन की सभी अहम चौकियां लेता था। बाकी तीन सिपाही और थे जो आरटीओ में थे।
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यह चार लेते थे चौकियों का ठेका
1. सौरभ शर्मा आरक्षक आरटीओ, यह वीआरएस ले चुका था एक साल पहले।
2. डीएस यानी दशरथ सिंह पटेल, आरक्षक आरटीओ, यह मालवा रीजन में चौकियां लेता था, एक साल पहले रिटायर हो चुका।
3. इसके साथ ही वतर्मान में नौकरी में मौजूद आरक्षक आरटीओ तुमराम का नाम है तो एक और आरक्षक किसी बघेल का नाम है। यह चारों मिलकर ही मप्र की चौकियों का अवैध वसूली का ठेका लेते थे। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा शर्मा और तुमराम के पास था।
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इन चारों को मैनेज करते थे वकील साहब
इन चारों से ठेकों के पैसों का पूरा हिसाब-किताब वकील साहब के नाम से प्रसिद्ध एक श्रीवास्तव जी रखते थे और जो विभाग के मुखिया की आंख-कान-नाक सब कुछ थे। इन ठेकों के बदले में इन चौकियों पर कौन नियुक्त होगा क्योंकि यह नियुक्ति तीन से छह माह के लिए होती थी, वह यह ठेके लेने वाले और वकील साहब ही मैनेज करते थे। बाद में ठेके की राशि के ऊपर का मामला यह चार ठेकेदार रखते थे और ठेके की राशि को कहां ठिकाने लगाना है यह वकील साहब के जिम्मे होता था।
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ठेके लेने वाला ही सब कुछ मैनेज करता था
यह चौकियों के ठेके लेने वाले ही सब कुछ मैनेज करते थे। इन्हें उस क्षेत्र के राजनीतिक लोग हो या अन्य विभागों के भ्रष्ट अधिकारी हो यहां तक की मीडिया वाले, सभी को मैनेज करते थे। ऊपर से यह आश्वासन था कि खुलकर वसूली करो कोई रोक-टोक औऱ एक्शन किसी स्तर से नहीं होगी। इसलिए ठेके की राशि से कई गुना निकालने के लिए इन्होंने ट्रकों की वसूली रसीद जो पहले 400-500 रुपए होती थी वह धीरे-धीरे पांच सालों में दो से तीन हजार तक कर दी थी और पहले मप्र के ट्रक से राशि नहीं ली जाती थी लेकिन ठेकों के बाद उन्हें भी नहीं छोड़ा गया। इस तरह यह वसूली राशि ठेके से कई गुना ज्यादा होने लगी। जो सौरभ शर्मा पर लोकायुक्त छापे में बाहर आई है।
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डीएस पटेल के खिलाफ लोकायुक्त में चार साल से शिकायत
यह मामला ऐसा नहीं है कि किसी को पता नहीं है। हालत यह है कि डीएस पटेल के खिलाफ तो ट्रांसपोर्टस ने मिलकर चार साल पहले भी लोकायुक्त में मय शपथपत्र और 56 के हस्ताक्षर के साथ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन लोकायुक्त ने बयान लेने के बाद भी इस शिकायत को संबंधित परिवहन विभाग की होना बताकर वहां ट्रांसफर कर दी। वहां भी यह बयान दे चुके थे लेकिन इसके बाद भी यह शिकायत अभी विभाग में जारी है और लोकायुक्त में भी कहीं फाइलों में बंद पड़ी हुई है।
दशरथ पटेल की हर दिन की कमाई 80 लाख रुपए
लोकायुक्त में 29 दिसंबर 2020 को यह लिखित शिकायत पटेल के खिलाफ हुई थी। इसमें था कि दशरथ यानी डीएस पटेल और राहुल कुशवाहा द्वारा अवैध रूप से चालान बनाने की धौंस जीजाती है और एक से तीन हजार रुपए तक अवैध राशि लेकर वाहन चेकपोस्ट से छोड़ा जाता है। बालसमंद चेक पोस्ट पर परिवहन निरीक्षक दशरथ पटेल व सहयोगी द्वारा हर दिन 70-80 लाख रुपए की अवैध वसूली की जाती है। जांच के लिए कई बार पत्र लिखा है लेकिन विभाग द्वारा खानापूर्ति की जाती है। दशरथ और राहुल ने चेक पोस्ट से अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति कमाई है जो इनके ज्ञात स्त्रोत से एक हजार गुना अधिक है इसकी जांच कराई जाए। इसके साथ ही पैनड्राइव में ड्राइवर के बयान, वसूली की रसीद, शिकायत पत्र, सूचना के अधिकार में मिली सभी जानकारी दी गई थी। लेकिन यह मामला लोकायुक्त और परिवहन विभाग के बीच में ही पत्राचार में उलझ गया।
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