नील तिवारी, JABALPUR. हाल ही में शिक्षा माफिया ( Education mafia ) को तोड़ने जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने ऐसे कदम उठाए जिसकी हर ओर तारीफ की गई। अभिभावकों को भी न्याय की एक उम्मीद नजर आने लगी थी, पर अब इस कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगता हुआ नजर या रहा है। दरअसल जबलपुर कलेक्टर ने स्कूलों की मनमानी फीस और किताबें, यूनिफॉर्म किसी खास दुकान से खरीदने के दबाव से अभिभावकों को बचाने के लिए एक व्हाट्सप्प नंबर जारी किया था। जिसमें अभिभावक अपनी शिकायतें गुप्त रूप से दे सकते थे। हजारों कि संख्या में शिकायतें मिलने के बाद कुल 65 स्कूलों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए। कई किताबों कि दुकानों मे छापे मारे मारे गए और महंगे दामों मे बिक रही फर्जी किताबों को भी जब्त किया गया। इसके बाद अभिभावकों को राहत दिलाने एक पुस्तक मेला भी लगाया था जहां किताबों सहित स्कूल बैग और यूनिफॉर्म भी मिल रही थी। इस पुस्तक मेले को ऐसा रुझान मिला था कि पांच दिन चलने वाला यह मेल 1 और दिन के लिए बढ़ा दिया गया था।
पुस्तक मेले में भी चला गड़बड़झाला
6 दिन चले पुस्तक मेले में भी अभिभावकों की शिकायतें आई। अधिकतर लोगों का कहना था कि उन्हें यूनिफॉर्म के लिए दुकान पर आने को कहा जा रहा है तो किताबें नहीं मिल रही हैं सिर्फ कॉपियां कम दामों मे मिल रही हैं। इसके बाद जिला कलेक्टर ने मंच से कहा था कि मेले में जो किताबें नहीं मिलेंगी वह पाठ्यक्रम में भी नहीं चलेंगी। अब जो स्कूल और पुस्तक विक्रेता कलेक्टर के नोटिस के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं या रहे वो भला एक मौखिक आदेश से कहां डरने वाले थे, सो उन्होंने मनमानी को जारी रखा। आखिरकार पुस्तक मेले के साथ ही शिक्षा माफिया के ऊपर कड़ाई भी खत्म होती दिख रही है।
सिर्फ नोटिस से क्या होगा साहब
जबलपुर मे कुछ दिनों की राहत के बाद अब शिक्षा की लूट फिर से शुरू हो गई है। इधर प्रशासन मतदान मे व्यस्त हुआ और स्कूलों सहित किताब दुकानदारों ने मनमानी फिर शुरू कर दी। जिसका कारण यह है कि स्कूलों पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ सिर्फ नोटिस जारी कर कार्यवाही की इतिश्री कर दी गई। अब शिक्षा माफिया फिर अपनी मनमानी मे उतरकर कलेक्टर के नोटिस का मजाक उड़ा रहे हैं।
उज्जैन जैसी पूरे प्रदेश में हो कार्रवाई
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मंच सहित वरिष्ठ नागरिक और महिला संगठन भी अब शिक्षा माफिया के विरोध ने खड़े हो गए हैं। समाजसेवी डॉ. पीजी नाजपाण्डे ने बताया कि उज्जैन कलेक्टर ने मनमानी करने वाले 3 निजी स्कूलों पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, पर जबलपुर में इनको सिर्फ नोटिस दिया गया है जिससे इस माफिया के हौसले बुलंद हैं। वहीं इन निजी स्कूलों द्वारा कई अन्य मनमानी भी की जाती है जिस पर प्रशासन ध्यान नहीं देता। जैसे कि निजी स्कूलों को फीस वृद्धि की जानकारी नियमानुसार शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले पोर्टल पर डाली जानी चाहिए, पर प्रदेश के हजारों स्कूल इस नियम का भी उल्लंघन कर रहे हैं। अब अभिभावक भी यही मांग कर रहे हैं कि जबलपुर मे भी निजी स्कूलों सहित पब्लिशर और किताब विक्रेताओं पर कड़ी कार्यवाही की जाए क्योंकि सिर्फ नोटिस जारी करना खानापूर्ति ही नजर आ रही है।