महाकुंभ भगदड़ में बिछड़ा MP का बुजुर्ग दंपती, तीन दिन बाद पैदल चलकर घर पहुंचे
महाकुंभ मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ में बिछड़े सतना जिले के बुजुर्ग दंपति ने चार दिन बाद 55 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर वापसी की। उन्होंने इस हादसे की आपबीती साझा की और बताया कि किस तरह वे सुरक्षित लौटे।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित महाकुंभ मेला क्षेत्र में मौनी अमावस्या के दौरान हुए भगदड़ की घटना ने हजारों श्रद्धालुओं को प्रभावित किया। इस भगदड़ में कई लोग बिछड़ गए और कइयों की जान भी चली गई। इसी हादसे का शिकार हुए सतना जिले के किचवरिया गांव के एक बुजुर्ग दंपती ने चार दिन बाद अपने घर वापसी की। दंपती ने बताया कि उस घातक हादसे के बाद वे किसी तरह अपने जीवन की सुरक्षा करते हुए घर लौटने में सफल रहे।
बता दें कि, महाकुंभ में हुए हादसे के दौरान 70 वर्षीय बलिकरण सिंह और उनकी 60 वर्षीय पत्नी गंगा देवी सिंह अपने समूह से अलग हो गए। भगदड़ के कारण उनका सारा सामान खो गया और वे अपने साथी श्रद्धालुओं से भी बिछड़ गए। दंपती किसी तरह से घटनास्थल से बचकर निकलने में सफल रहे, लेकिन घर लौटने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। सारे रास्ते बंद हो गए थे और किसी भी वाहन की व्यवस्था नहीं हो रही थी। ऐसे में दंपती ने अपनी जान की सलामती के लिए 50 से 55 किलोमीटर तक पैदल चलने का साहस दिखाया।
महाकुंभ के बाद की कठिन यात्रा
सतना जिले के इस बुजुर्ग दंपती ने बताया कि जब सारे रास्ते बंद हो गए और घर लौटने के कोई साधन नहीं मिल रहे थे, तो उन्होंने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर करीब 55 किलोमीटर पैदल चलने का फैसला किया। जब वे फूलपुर पहुंचे, तो वहां से उन्हें सरकारी बस की मदद मिली, जिससे वे बार्डर चाकघाट पहुंचे। इसके बाद दंपती को ढाबे में 24 घंटे इंतजार करना पड़ा, क्योंकि बार्डर बंद था। जैसे ही बार्डर खुला, दंपती ने बस से सफर करते हुए सेमरिया, टिकरी और फिर किचवरिया गांव तक का सफर तय किया।
जब ये बुजुर्ग दंपती अपने घर लौटे, तो उनके परिजनों, रिश्तेदारों और गांववालों की चिंता की कोई सीमा नहीं थी। चार दिनों तक घर से कोई संपर्क न होने के कारण सब लोग घबराए हुए थे। दंपती के घर पहुंचने के बाद पूरे गांव में खुशी का माहौल था। उनकी यह यात्रा और संघर्ष किसी पुनर्जीवित होने की तरह था, जिससे यह साबित हुआ कि इस दंपती ने मौत के मुंह से वापस आकर अपने परिवार के पास लौटने की कहानी लिखी।