चुनाव में 6 करोड़ की ज्वेलरी जब्ती पर हाईकोर्ट से चुनाव अधिकारी, IT अधिकारी-कलेक्टर पर 50 हजार की कास्ट

2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 6 करोड़ की ज्वेलरी जब्त की गई थी, जिसे बाद में मुक्त करने का आदेश दिया गया। चुनाव अधिकारियों पर आचार संहिता का पालन न करने का आरोप था।

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Sanjay Gupta
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मप्र में अक्टूबर-नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारियों ने 6 करोड़ की ज्वेलरी जब्त की। इस कार्रवाई को लेकर अधिकारियों पर तीखी टिप्पणी की गई है। साथ ही 50 हजार की कास्ट लगाकर याचिकाकर्ताओं को देने के आदेश दिए हैं। 

इन पर लगाई गई कास्ट

यह कास्ट अरिहंज ज्वेलर्स, सिक्वल लॉजीस्टिक, इस लाजिस्टिक के कर्मचारी अमित शर्मा की याचिका पर प्रतिवादियों पर 50 हजार की कास्ट लगाई है। प्रतिवादियों में प्रिंसीपल कमिशनर इंकमटैक्स इंदौर, डिप्टी कमिशनर इंकमटैक्स से्ंट्रल टू,  डिप्टी डायरेक्टर इन्वेस्टीवेशन विंग इंदौर, चीफ इलेक्टोरेल आफिसर भोपाल, संभागायुक्त इंदौर, जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर रतलाम, चीफ इलेक्टोरल आफिसर जिला परिषद रतलाम, नोडल आफिसर एक्सपेंडीचर और जिला कोषालय अधिकारी है। 

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क्या है पूरा मामला?

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान 23 अक्टूबर 2023 को एक बोलेरा गाड़ी जो सिक्वल लाजीस्टिक थी। इसे रोका गया इसमें इस कंपनी के कर्मचारी अमित शर्मा भी थे। एसएसटी रतलाम द्वारा की गई कार्रवाई में इसमें 110 किलो चांदी के साथ ही 6 करोड़ की ज्वेलरी के कुल 37 सील पैकेट जब्त किए।

जिला चुनाव कमेटी ने कुछ दिन बाद 110 किलो चांदी तो छोड़ दी लेकिन ज्वेलरी नहीं छोड़ी। इसकी जानकारी आयकर विभाग को दे दी। आयकर विभाग ने इसमें जांच शुरू कर दी। तभी से ज्वेलरी जब्ती में थी। इसे लेकर याचिकाएं दायर की गई।

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉  23 अक्टूबर 2023 को रतलाम जिले में चुनाव आयोग की एसएसटी ने सिक्वल लॉजीस्टिक कंपनी की बोलेरा गाड़ी को रोका। गाड़ी में 110 किलो चांदी और 6 करोड़ रुपए की ज्वेलरी के 37 पैकेट थे।

👉  कुछ दिनों बाद, चुनाव कमेटी ने 110 किलो चांदी को छोड़ दिया, लेकिन ज्वेलरी को जब्त रखा। इसके बाद आयकर विभाग को मामले की सूचना दी गई और उन्होंने इस मामले में जांच शुरू कर दी। 

👉  याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ज्वेलरी के पास सभी वैध दस्तावेज थे, फिर भी उसे जब्त किया गया। चुनाव आयोग के स्टैंडर्ड ऑपरेटर प्रोसिजर्स (SOP) का पालन नहीं किया गया। आयकर विभाग ने इसे अघोषित संपत्ति मानकर जांच शुरू कर दी।

👉  चुनाव आयोग ने कहा कि जब वैध दस्तावेज वाली संपत्ति होती है, तो उसे जब्त नहीं किया जाता। आयोग ने यह भी कहा कि इस ज्वेलरी का कोई राजनीतिक लिंक नहीं था और यह कोई अघोषित संपत्ति नहीं थी।

याचिकाकर्ताओं और शासन का यह कहना था

इसमें याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ती अजय बागड़िया,  पीएम चौधरी, जय कंसारा ने पक्ष रखा। इसमें कहा गया कि चुनाव आयोग की स्टेंडर्स प्रोसीजर्स का पालन नहीं किया गया। जब इसमें इस ज्वेलरी को लेकर सभी वैध दस्तावेज थे तो इसे जब्ती में लेने की जरूरत ही नहीं थी और इसके बाद आयकर विभाग ने भी इसमें अलग से जांच शुरू कर दी। 

चुनाव आयोग का सफ कहना है कि जो वैध दस्तावेज वाली संपत्ति है उसे नहीं पकड़ा जाएगा, इस पूरी सामग्री में कोई राजनीतिक लिंक नहीं था और ना ही कोई अघोषित संपत्ति थी। लेकिन आयकर विभाग ने इसे अघोषित संपत्ति मानकर कर्मचारी अमित शर्मा के भी रिटर्न की जांच शुरू कर दी। 

अरिहंत ज्वेलर्स का कहना था कि जब्त पैकेट में उनके भी 1.7 किलो की मूल्य एक करोड़ की ज्वेलरी थी जिसे अभी तक नहीं छोड़ा गया है और जांच चल रही है। इसी तरह इसमें साउथ इंडियन ज्वेलर्स, धीरज ज्वेलर्स, अनमोल ज्वेलर्स, अनमोल रत्नम, मिडास डाययमंड प्रालि, कटारिया धूलचंद पन्नालाल ज्वेलर्स, केजीके क्रिएशंस, अनमोल रतलाम, एमराल्ड, गोल्डन कार्ट, मेहता गोल्ड, जेपी एक्सपोर्ट , प्रियेस कैलाश चंद्र शर्मा, केपी संघवी ज्वेलस, आरएस डायमंड,  जेएमडी ज्वेलर्स आदि की ज्वेलरी भी थी। 

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हाईकोर्ट ने यह पाया, प्रक्रिया का पालन नहीं किया

इंदौर हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी ने अपने आदेश में लिखा कि- इंकमटैक्स सेंट्रल टू ज्वेलरी को रिलीज करे। चुनाव आयोग की एसएसटी, जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर (तब आईएएस भास्कार लाक्षाकार रतलाम कलेक्टर थे), डायरेक्टर जनरल आईटी ने आचार संहिता की एसओपी/सर्कुलर का पालन नहीं किया। इस कारण बेवजह इस ज्वेलरी को जब्त किया गया। इसके लिए याचिकाकर्ताओं को 50 हजार की कास्ट दिए जाने के आदेश दिए जाते हैं जो प्रतिवादी द्वारा दिए जाएंगे।

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