चुनावी शोरगुल के बीच बंटवा दी करोड़ों की 1388 ई-स्कूटी

मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना गरीब ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है,लेकिन परियोजना क्रियान्वयन से जुड़े अफसरों को अपनी खुद की आजीविका की चिंता अधिक रही।

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Ravi Awasthi
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THE SOOTR

e-scooty Photograph: (THE SOOTR)

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BHOPAL. अवैध नियुक्तियों से घिरे मप्र ग्रामीण आजीविका परियोजना  में हुए घपले-घोटाले अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं। मिशन में अवैध नियुक्तियां,सिलाई व अगरबत्ती बनाने के प्रशिक्षण ही नहीं पर्यावरण के नाम पर भी करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए। वह भी ऐसे वक्त जब राज्य विधानसभा के चुनाव चल रहे थे और राज्य में चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू थी। 

पर्यावरण सखियों को बांट दी 1388 ई-स्कूटी

साल 2023 में राज्य की 16वीं विधानसभा के चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हुए। इसके लिए 9 अक्टूबर को चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। जो नवंबर के पहले सप्ताह में नतीजे आने तक लागू रही। इससे ठीक दो माह पहले मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन ने पर्यावरण मित्र योजना तैयार की। इसमें पर्यावरण सखी यानी चुनिंदा जिलों की स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को ई-स्कूटी दिया जाना तय हुआ।

मिशन में बजट की व्यवस्था नहीं होने पर मंत्रालय में उच्च स्तरीय दबाव कायम करवा कर पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन यानी एप्को से करीब 17 करोड़ रुपए मंजूर करवाए गए।

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चुनाव के ठीक पहले हो गया बजट आवंटन

सूत्रों के मुताबिक,अगस्त में मिशन का प्रस्ताव एप्को को मिला।एप्को ने भी बजट देने में देरी नहीं की। बल्कि दो किस्तों में 16 करोड़ 83लाख 20 हजार रुपए मिशन को आवंटित कर दिए। सितंबर में मिशन ने करीब साढ़े बारह करोड़ रुपए ई-स्कूटी खरीदने सीएलएफ यानी समूहो के क्लस्तर को थमा दिए। इनमें कहीं स्कूटी खरीदी गई और कहीं नहीं। आवंटित राशि का वास्तविक उपयोग हुआ या नहीं इस मामले में मिशन के अधिकारी अब चुप्पी साधे हुए हैं।

चुनावी शोरगुल के बीच ट्रेनिंग,प्रचार-प्रसार भी

योजना में तय किया गया कि स्कूटी पाने वाली महिलाएं ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण सुधार के लिए काम करेगी। इनमें खेती-किसानी से जुड़े काम,जल संरक्षण,भूमि व पशु प्रबंधन आदि शामिल हैं। इसके लिए चुनावी शोरगुल के बीच ही 313 महिलाओं का राज्य,750 को जिला  व 15,650 को विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण भी दे दिया गया। योजना का प्रचार-प्रसार,दीवार लेखन व नुक्कड़ नाटक आदि काम कर लिए गए। इन तमाम कामों पर बकाया करीब सवा चार करोड़ रुपए फूंक दिए गए।

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एप्को ने निगरानी से पल्ला झाड़ा

इस योजना का सबसे रोचक पहलू यह कि मिशन ने इसकी निगरानी व परिणाम की जिम्मेदारी एप्को पर थोपी,लेकिन एप्को ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उसके पास तो न तो  मैदानी स्तर पर कार्यालय हैं,न ही अमला। ऐसी स्थिति में योजना के प्रभाव जानने व निगरानी का काम मिशन स्वयं करे। 

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प्लानिंग लंबी थी,लेकिन निजाम बदल गया

ई-स्कूटी के जरिए पर्यावरण जागरूकता को लेकर मिशन की प्लानिंग लंबी है। उसने अपने प्रस्ताव में तीन वर्षों में करीब डेढ़ लाख पर्यावरण मित्र तैयार करने का खाका तैयार किया था,लेकिन चुनाव बाद सरकार के मुखिया भी बदल गए और मंत्रालय में भी बड़ा बदलाव हो गया। इसी बीच,सरकार का रुख सख्त हुआ तो संविदा पर डटे मिशन सीईओ एलएम बेलवाल की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। मिशन में अवैध नियुक्तियां का मामला तूल पकड़ा तो ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज हो गया।  इसके बाद,मिशन के कारनामे अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं।

इसमें महिलाओं को सिलाई व अगरबत्ती प्रशिक्षण के नाम पर हुई धांधली के बाद अब ई-स्कूटी वितरण का मामला भी शामिल हो गया है। इन मामले में मिशन के अधिकारी अब चुप्पी साधे हुए हैं।  इलेक्ट्रिक स्कूटी | एमपी हिंदी न्यूज

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