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पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के बाद अब पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी ग्रामीण आजीविका मिशन में आईएफएस एमएल बेलवाल के खिलाफ आवाज उठाने के लिए खुलकर मैदान में आ गए हैं। जोशी ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि तीन आईएएस अफसरों की जांच में यह पाया गया है कि ग्रामीण आजीविका परियोजना में सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी नियुक्ति की गई थी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की है। इसके बावजूद जोशी ने सवाल उठाया है कि सरकार इस पर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।
सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी नियुक्ति पर गंभीर आरोप
पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने पत्र में यह भी कहा कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। जोशी ने बताया कि ईओडब्ल्यू ने 1 अप्रैल को सुषमा रानी शुक्ला और अन्य के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। उनका कहना था कि जून 2022 में आईएएस नेहा मारख्या की जांच में सुषमा रानी शुक्ला को दोषी पाया गया था। इसके बाद अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव के आदेश पर विकास आयुक्त कार्यालय ने भी इस मामले की जांच की थी, जिसमें शुक्ला फिर से दोषी पाई गई थी। इसके बावजूद सरकार द्वारा अब तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है।
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ईओडब्ल्यू की जांच और एफआईआर
ईओडब्ल्यू द्वारा इस मामले में जांच की गई और एफआईआर दर्ज की गई, जिसके बाद जोशी ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से सुषमा रानी शुक्ला की संविदा सेवा तत्काल समाप्त करने की मांग की है। जोशी का कहना है कि यह स्पष्ट है कि सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा दे रही है, यदि सुषमा रानी शुक्ला की सेवाएं तुरंत समाप्त नहीं की जाती हैं।
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सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
दीपक जोशी ने विभाग से यह सवाल भी किया है कि यदि तीन आईएएस अधिकारी सुषमा रानी शुक्ला को दोषी मानते हैं और ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है, तो फिर सरकार द्वारा उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जोशी का कहना है कि यह स्थिति विभाग की निष्क्रियता को दर्शाती है, और इसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।
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