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मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (MP State Rural Livelihood Mission) में अनियमित नियुक्तियों और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप में पूर्व IFS बेलवाल पर एफआईआर दर्ज की गई है। इस कार्रवाई का मुख्य आधार आईएएस नेहा मारव्या (IAS Neha Marwya) की जांच रिपोर्ट और कैग (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट बनी है।
एफआईआर में नामजद अफसर
आजीविका मिशन घोटाले को लेकर पूर्व आईएफएस समेत कई लोगों पर FIR हुई है। इस FIR में पूर्व IFS ललित मोहन बेलवाल (तत्कालीन सीईओ), विकास अवस्थी, सुषमा रानी शुक्ला (राज्य परियोजना प्रबंधक पद ) के नाम शामिल हैं।
किन योजनाओं में गड़बड़ियां?
ईओडब्ल्यू (EOW - आर्थिक अपराध शाखा) को जांच में पता चला है कि बेलवाल के कार्यकाल में कई योजनाओं में अनियमितताएं हुईं। जिसमें स्कूल गणवेश सिलाई योजना (School Uniform Stitching Scheme), कम्युनिटी बेस्ड माइक्रो बीमा योजना (Community Based Micro Insurance Scheme), अगरबत्ती मशीन खरीदी (Incense Stick Machine Purchase) शामिल हैं। इसके अलावा तहसील स्तर पर भी कई गड़बड़ियां हुईं।
नियुक्तियों में कैसे हुई अनियमितता?
नेहा मारव्या की 58 पन्नों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर संविदा नियुक्तियां की गईं।नियुक्तियों की चयन पद्धति, योग्यता, और अनुभव के नियम मिशन कार्यालय ने अपने स्तर पर ही तय किए थे। सुषमा रानी शुक्ला को अनुचित लाभ पहुंचाते हुए उन्हें राज्य परियोजना प्रबंधक (State Project Manager) जैसे उच्च पद पर नियुक्त किया गया। अब आईएएस नेहा मारव्या की रिपोर्ट के आधार पर सभी मामलों की जांच होगी।
सुषमा रानी शुक्ला को कैसे दिया गया फायदा?
सुषमा रानी शुक्ला को जानबूझकर चयन परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक (40/50) दिए गए। मूल्यांकन पत्र पर मूल्यांकनकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे। आवेदन में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान हैदराबाद का फर्जी प्रमाण पत्र टैच किया गया।
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