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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने बैंक ऑफ इंडिया, भोपाल जोन की शिकायत पर बड़ी बैंक धोखाधड़ी का राज खोला है। जांच में सामने आया कि दो बैंक कर्मचारियों ने अपने पांच परिचित खाताधारकों के साथ मिलकर सरकारी पेंशन और राहत राशि वाले खातों में करोड़ों के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।
पेंशन खातों में धोखाधड़ी
जिन खातों में सालों से लेनदेन नहीं हुआ और जो निष्क्रिय स्थिति में थे, आरोपियों ने पहले उन्हीं को टारगेट बनाया। इन खातों में समाजिक सुरक्षा पेंशन और राहत राशि जमा होती थी। यही वह पैसा था जिसे पहचान छिपाकर चुपचाप निकाल लिया जाता था
फिनेकल सिस्टम का दुरुपयोग
जांच में सामने आया कि बैंक कर्मचारी फिनेकल सिस्टम में अपनी और अपने सहकर्मियों की लॉगइन आईडी का दुरुपयोग करते थे। निष्क्रिय खातों को गुप्त रूप से ACTIVE कर देते और फिर वहीं जमा सरकारी राशि को अपने परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर देते थे।
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ATM कार्ड से रातों–रात खाली किए खाते
जिन परिचितों के खातों में पैसा भेजा जाता था, उनके ATM कार्ड एक आरोपी कर्मचारी दीपक जैन के पास मिले। इन कार्डों से लगातार नकद निकाली जाती रही। तीन साल तक राशि की हेराफेरी का यह सिलसिला बिना किसी रुकावट चलता रहा।
70:30 फॉर्मूला में बांटते थे चोरी का पैसा
EOW की जांच में पता चला कि धोखाधड़ी से निकाली गई रकम बैंक कर्मचारियों और उनके साथियों के बीच 70:30 के अनुपात में बांटी जाती थी। इसमें दो बैंक कर्मचारी मुख्य भूमिका में थे, जबकि चार खाताधारक पैसे ट्रांसफर कराने में सहयोग करते थे।
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तीन साल में 227 खातों में हेराफेरी
जनवरी 2016 से मार्च 2019 तक विभिन्न शाखाओं मंडी, हमीदिया रोड, एमपी नगर, भेल एरिया, प्रोफेसर्स कॉलोनी और सैफिया कॉलेज में यह फर्जीवाड़ा चलता रहा। इस दौरान 227 बचत खातों से कुल 44.11 लाख रुपए अवैध रूप से निकाल लिए गए।
पहली शिकायत से खुला खेल
मार्च 2019 में सैफिया कॉलेज शाखा में एक महिला ने अपने दिवंगत पति के खाते से अवैध निकासी की शिकायत की। शाखा प्रबंधक की जांच में पहला संकेत मिला कि लेनदेन बैंक कर्मचारी दीपक जैन और अजय परिहार द्वारा किया गया है। बाद में विजिलेंस और विभागीय जांच में धोखाधड़ी के कई और मामले सामने आए।
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जांच ने खोली अनियमितताओं की परतें
EOW ने फिनैकल लॉग, CCTV फुटेज, ATM विथड्रॉल, ऑडिट ट्रेल और शाखा रिकॉर्ड की जांच में निम्न तथ्य प्रमाणित किए। दो कर्मचारियों ने कुल 212 खातों को अवैध रूप से ACTIVE किया।
इनमें से 64 खाते सहकर्मियों की ID का गलत इस्तेमाल कर दीपक जैन ने खुद सक्रिय किए। जैन ने अपने चार परिचित खुशबू खान, कल्पना जैन, ललिता ठाकुर, अफरोज खान के खातों में पैसा भेजा। ATM कार्डों से नियमित नकद निकासी कर पैसे बांटे गए।
दीपक जैन और उनकी पत्नी हेमलता जैन के खातों में संदिग्ध बड़ी रकम जमा मिली। अजय परिहार के खातों में भी कई अनियमित लेनदेन सामने आए। SOP का गंभीर उल्लंघन और supervisory control की भारी कमी पाई गई। साइबर फ्रॉड और अनधिकृत पहुंच जैसे अपराधों के प्रमाण मिले।
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EOW ने दर्ज की FIR
जांच पूरी होने पर 9 दिसंबर 2025 को EOW ने 7 नामजद आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की। इनमें बैंक कर्मचारी दीपक जैन, अजय सिंह परिहार, खातेधारक खुशबू खान, अफरोज खान, ललिता ठाकुर, कल्पना जैन और हेमलता जैन शामिल हैं। धारा 420 धोखाधड़ी, 409 आपराधिक विश्वासघात, 120-B आपराधिक साजिश आईटी एक्ट 66(C), 66(D) पहचान/डेटा दुरुपयोग एवं साइबर फ्रॉड की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
सालों तक लूटा सरकारी पैसा
यह मामला बताता है कि बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों और आंतरिक नियंत्रण की कमी का लाभ उठाकर सरकारी पेंशन राशि में कैसे योजनाबद्ध तरीके से धोखाधड़ी की गई। EOW की जांच ने न सिर्फ गबन का बड़ा नेटवर्क उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि ऐसे मामलों में सख्त निगरानी कितनी जरूरी है।
क्या है फिनेकल सिस्टम
फिनेकल सिस्टम एक कोर बैंकिग समाधान के रूप में काम करता है। फिनेकल 94 से ज्याद देशों में बैंकिंग कार्यों को संचालित करता है और 848 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों को सहायता प्रदान करता है जो दुनिया की वयस्क बैंकिंग आबादी का लगभग 16.5% है। जैसे-जैसे वित्तीय सेवा उद्योग तेजी से डिजिटल परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है, फिनेकल आधुनिक बैंकों के लिए एक पसंदीदा बैंकिंग समाधान के रूप में उभरा है।
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