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Photograph: (the sootr)
JABALPUR.जबलपुर जनपद पंचायत में वेतन घोटाला सामने आया है। कर्मचारियों ने बिना किसी शासकीय अनुमति अपना ही वेतनमान बढ़वा लिए। सालों तक मोटी तनख्वाह लेते रहे। अब जांच खुलते ही एक-एक करके 50 लाख से अधिक की रिकवरी के आदेश जारी होने लगे हैं। इस मामले में आपराधिक मामले दर्ज न होने पर सवाल उठ रहे हैं।
जुगाड़ से बढ़वाया वेतनमान, सालों तक उठाया अवैध लाभ
जबलपुर जनपद पंचायत में सामने आया यह घोटाला किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वर्ष 2006 से कर्मचारियों ने बिना किसी शासकीय आदेश के समयमान वेतनमान का लाभ लेना शुरू कर दिया। यह लाभ नियम अनुसार जनपद कर्मचारियों को मिलता ही नहीं है।
स्थापना शाखा की लिपिक साधना अवस्थी, कर्मचारी राजकुमार, मनोरमा श्रीवास्तव और ऑपरेटर मनीराम ने यह लाभ लिया। इनके खिलाफ जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इन सभी ने वर्षों तक बढ़े हुए वेतन का फायदा उठाया।
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सीईओ अभिषेक गहलोत ने की पुष्टि
जबलपुर जिला पंचायत सीईओ अभिषेक गहलोत ने पुष्टि की कि यह लाभ नियम विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि समय मान और वेतनमान का लाभ यह कर्मचारी ले रहे थे। जनपद कर्मचारियों को यह लाभ मिलता ही नहीं है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में इस तरह की जांच चल रही है। जबलपुर में जो कर्मचारी दोषी पाए गए, उनके खिलाफ रिकवरी आदेश निकाले जा रहे हैं।
खुद प्रोसेस की अपनी फाइल और बढ़ा लिया वेतन
विभागीय सूत्रों के अनुसार साधना अवस्थी ने नस्ती बनाकर अपनी समयमान-वेतनमान की फाइल प्रोसेस कर दी। इसके साथ ही अन्य कर्मचारियों की फाइल भी प्रोसेस की गई। विभाग में दबदबे के चलते यह फाइल अप्रूव भी हो गई। इसके बाद सालों तक यह आरोपी कर्मचारी बड़े हुए वेतन पर मौज काटते रहे। बीते कुछ सालों में इन्होंने विभाग को लाखों रुपए का चूना लगाया है।
रिकवरी के आदेश,बढ़ सकती है सूची
जनपद पंचायत के CEO विनोद पांडे के अनुसार जांच प्रतिवेदन पूरा हो चुका है। आदेश जारी होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
जनपद पंचायत कार्यालय के सूत्रों के अनुसार:
साधना अवस्थी – ₹16 लाख रिकवरी
राजकुमार – ₹15 लाख रिकवरी
मनोरमा श्रीवास्तव – ₹8 लाख रिकवरी
ऑपरेटर मनीराम – रिपोर्ट आज, रिकवरी जल्द तय
जनपद कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि अंतिम आदेश के बाद इस सूची में और नाम भी जुड़ सकते हैं, क्योंकि कई फाइलें अभी जांच में हैं।
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FIR पर खामोशी-दबाव की चर्चाओं ने बढ़ाए सवाल
बड़ा सवाल है कि इतने बड़े आर्थिक अपराध के बावजूद जनपद पंचायत ने अभी तक कोई आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं किया? विभाग के अंदरखाने की चर्चा है कि साधना अवस्थी के खिलाफ कार्रवाई रोकने के लिए भारी दबाव बनाया गया था।
मामले को दो महीने तक रोकने की कोशिश इस आधार पर हुई कि हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट के बाद रिकवरी पर रोक लगा रखी है। साधना अवस्थी भी जल्दी ही रिटायर होने वाली थीं।
लेकिन जैसे ही मामला भोपाल तक पहुंचा तब जांच हुई। अब द सूत्र ने इस मामले को उजागर कर दिया है। अब कार्रवाई को रोकने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। कानूनी विशेषज्ञ इस पूरे मामले को पद का दुरुपयोग कर किया गया आर्थिक अपराध बता रहे हैं। जिसमें आगे चलकर आपराधिक धाराओं में FIR भी हो सकती है।
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