मध्य प्रदेश में हुए बड़े धान उपार्जन घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) अब सख्त कार्रवाई मोड में है। जांच के दौरान 50,000 क्विंटल धान की हेराफेरी सामने आई है, और ईओडब्ल्यू ने आठ जिलों में 38 समितियों के 145 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस घोटाले में शासकीय धान की मिलिंग में अनियमितताओं और घपलों का खुलासा हुआ है, और मामले की जांच जारी है।
मध्य प्रदेश में धान उपार्जन घोटाले को लेकर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बड़े पैमाने पर जांच की और 38 FIR दर्ज कीं। इन एफआईआर में 145 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के दौरान बालाघाट, सतना, सीधी, मैहर, डिंडोरी, सागर, पन्ना, और सिवनी जिले शामिल हैं, जहां धान की 50,000 क्विंटल हेराफेरी का पर्दाफाश हुआ है।
शंका के बाद मुख्यमंत्री ने दिया ईओडब्ल्यू को आदेश
इस घोटाले का खुलासा उन शिकायतों के बाद हुआ जो किसानों और संबंधित अधिकारियों ने की थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ईओडब्ल्यू को इन शिकायतों की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसके बाद मार्च 2025 के पहले सप्ताह में ईओडब्ल्यू की टीम ने 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउस पर छापे मारे, जहां भारी अनियमितताएं पाई गईं।
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शरुआत में मिलीं हेराफेरी की कई गड़बड़ियां
ईओडब्ल्यू की जांच में कई जगहों पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। विशेष रूप से शरुआत में सिवनी की शकुंतला देवी राइस मिल पर गहरी जांच की गई। यहां 2024-25 में मिलिंग के लिए मिली धान की 3184 क्विंटल की कमी पाई गई, और मिल में कई अन्य राज्यों से आयातित चावल की बड़ी मात्रा मिली।
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घोटाले में संलिप्त समितियों और व्यक्तियों की सूची
ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में संलिप्त कई समितियों और व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इनमें प्रमुख नाम हैं: सीधी जिले की संतोषी महिला स्वसहायता समूह, बालाघाट की आदिम जाति सेवा सहकारी समिति, सतना जिले के उर्पाजन केंद्र सहकारी संस्था दलदल, मैहर में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति, सिवनी जिले की शकुंतला देवी राइस मिल, और अन्य।
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आगे की कार्रवाई और जांच
ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई जारी रखते हुए अधिकारियों को और अधिक छापे मारने का आदेश दिया है। इसके अलावा, ईओडब्ल्यू ने जांच के लिए अतिरिक्त टीमों की तैनाती की है ताकि इस घोटाले से जुड़े सभी आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने और सजा दिलवाने में मदद मिल सके।
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