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कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) की परीक्षाएं संकट में हैं। सिपाही भर्ती परीक्षा में साल्वर बैठाकर चयन होने का मामला तो खुलकर सामने आ चुका है और सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी इस पर चिंता जताते हुए एआईटी गठित कर दी। लेकिन इस घोटाले को अंजाम देने वाले सबसे बड़े मास्टरमाइंड अमिताभ रावत और श्यामसिंह मीणा ने केवल इसी परीक्षा को टारगेट नहीं किया था। पटवारी भर्ती परीक्षा में वह डील करके चयन करा चुके हैं। इसके साथ ही दो परीक्षाएं जो हाल ही में हुई हैं, इनमें ग्रुप पांच की स्टाफ नर्स, एएनएम पैरामेडिकल के लिए फरवरी में हुई परीक्षा और साथ ही वर्ग टू की परीक्षा के लिए भी यह डील कर चुके हैं। यानी इसमें वह पहले ही सेंध लगा चुके हैं।
100 करोड़ के घोटाले का खुलासा हम कर चुके
इसके पहले द सूत्र ने रविवार को सिपाही भर्ती परीक्षा में मास्टरमाइंड रावत, मीणा के साथ ही अन्य छोटी गैंग द्वारा 100 करोड़ से ज्यादा घोटाला करने का खुलासा किया था। अब हम बता रहे हैं कि कितनी और परीक्षा, चयन संदिग्ध हैं और आगे किन परीक्षाओं में करोड़ों की डील पहले ही हो चुकी है।
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समूह 5 की परीक्षा में सेंध का यह रहा सबूत-
समूह पांच की स्टाफ नर्स, एएनएम पैरामेडिकल के लिए 23 फरवरी 2025 परीक्षा हुई। इंदौर के ही परीक्षा सेंटर एमबी खालसा कॉलेज में राहुल चौधरी को पकड़ा जो साल्वर था।
अब इसमें घोटाले या डील की बात क्यों उठ रही है, क्योंकि साल्वर राहुल चौधरी और किसी के नहीं बल्कि मास्टरमाइंड अमिताभ रावत के मुरैना जिले में ही सबसे चर्चित तहसील जौरा के ही उम्मीदवार पवन रावत की जगह बैठने के लिए यहां आया था। यह वहीं जौरा है जहां से पटवारी भर्ती परीक्षा में टॉपर निकले थे और जिसकी जांच हुई थी। वहीं सिपाही भर्ती तक के अंतिम चयन में कई उम्मीदवार चयनित हुए हैं। इसमें पटवारी भर्ती को तो दबा दिया गया लेकिन सिपाही भर्ती में कई उम्मीदवार पकड़ाए जा चुके हैं।
वर्ग टू की परीक्षा में सेंध लगने का ये सबूत-
इसी तरह अब वर्ग टू की बात करते हैं। इंदौर के ही पलासिया क्षेत्र स्थित इस्लामिया करीमिया कॉलेज में सहायक शिक्षक वर्ग टू परीक्षा के दौरान 28 अप्रैल 2025 को साल्वर पकड़ाया। साल्वर आशीष पिता विवेकानंद ग्राम बारा थाना देवहर बिहार से था। यह एक कोचिंग संचालक था जो साल्वर बन गया और इसने 1 लाख रुपए में यह डील की थी। यह किसी और के नहीं बल्कि मुरैना जिले के ही गांव टोली का पुरा के अंकुर पिता साहेब सिंह की जगह परीक्षा देने आया था। यहां भी फोटो में अंतर होने के चलते यह संदिग्ध हुआ और पकड़ाया था।
यह सभी परीक्षाएं संदिग्ध और सभी के तार मुरैना से जुड़े-
पटवारी भर्ती परीक्षा-
इस भर्ती परीक्षा को लेकर सबसे बड़ा बवाल हुआ था। जुलाई 2023 में रिजल्ट के साथ ही सामने आया कि परीक्षा में टॉप टेन उम्मीदवार में से सात केवल एनआरआई कॉलेज सेंटर ग्वालियर से ही थे। इसमें भी अधिकांश टॉपर ग्वालियर-चंबल बेल्ट और मुरैना से ही जुड़े थे। इसमें टॉपर पूजा शर्मा जो सहायक विस्तार अधिकारी बनी वह सिपाही भर्ती परीक्षा में पकड़ाए गौरव शर्मा के ही करीबी रिश्तेदार हैं। टॉप टेन में आए पूजा रावत, दीपा रावत, पूनम राजावत, अंकिता मीणा, कृष्णा कुशवाह, नीरज रावत, सब इसी एरिया से ही थे।
जेल प्रहरी परीक्षा-
जेल प्रहरी परीक्षा में तो रिकार्ड बना, राजा भैय्या प्रजापति नाम के उम्मीदवार ने तो 100 में से 101.7 अंक हासिल किए। लेकिन इसकी कोई जांच ही नहीं हुई, जबकि द सूत्र जब इस मुद्दे को उठाया तो इतना जरूर किया गया कि नार्मलाइजेशन फार्मूले को बदला गया और साथ ही रिजल्ट में अंक देने की जगह पर्सेंटाइल का सिस्टम ला दिया ताकि कोई सवाल नहीं उठे। वहीं 112 उम्मीदवार इसमें भी संदिग्ध हैं, जिनके रिजल्ट होल्ड हैं। इनके भी आधार, बायोमेट्रिक पर सवाल उठे हैं, जिसकी जांच चल रही है। लेकिन राजा भैय्या ज्वाइन कर चुके हैं।
सिपाही भर्ती परीक्षा-
सिपाही भर्ती परीक्षा में तो द सूत्र खुलासा कर ही चुका है और यह तो रिकार्ड पर आ गया है। इसमें अभी तक 8 जिलों में 17 एफआईआर में 61 आरोपी चिन्हित हुए और 20 से ज्यादा पकड़े जा चुके हैं। इसमें उम्मीदवार, साल्वर से लेकर आधार कार्ड में बदलाव करने वाले वेंडर शामिल हैं। मास्टरमाइंड सरपंच पति अमिताभ रावत और मीणा फरार हैं और इन दोनों पर ईनाम घोषित हो चुका है। दोनों ही मुरैना से हैं।
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दो तरह से हो रहे हैं घोटाले-
ईएसबी की परीक्षा में घोटाले क्यों हो रहे हैं और गैंग इसमें सेंध क्यों लगाती है। इस सवाल का जवाब है कि इसमें उम्मीदवारों की संख्या लाखों में होती है। औसतन पांच से दस लाख तक उम्मीदवार इसमें शामिल होते हैं। ऐसे में उम्मीदवारों को टारगेट करना और डील करना आसान होता है। वहीं ईएसबी की लगातार परीक्षाएं आती रहती हैं।
विशेषज्ञ गोपाल प्रजापत बताते हैं कि इस घोटाले को करने का पहला तरीका तो परंपरागत है जो पीएमटी घोटाले से ही चल रहा है और वह है अपनी जगह साल्वर बैठाना। आधार कार्ड बायोमैट्रिक में खेल करके दूसरे को बैठाने का काम आज नहीं हुआ यह पटवारी भर्ती परीक्षा से लेकर हर चयन परीक्षा में हो रहा है। हम लगातार इसकी जांच मांग करते रहे हैं, लेकिन पटवारी भर्ती परीक्षा की तो सरकार ने रिपोर्ट तक उजागर नहीं की और सभी को क्लीन चिट देते हुए तत्काल भर्ती दे दी।
प्रजापत बताते हैं कि दूसरा तरीका है सेंटर से डील करके वहीं के वहीं सही आंसर भर देना। इसके लिए अलग गैंग चल रही है। यह गैंग अमिताभ रावत और श्याम मीणा की गैंग से अलग है। यह तकनीकी गैंग है जो सेंटर पर ही मिलीजुली सांठगांठ करते हुए यह खेल करती है। इसी गैंग ने ही जेल प्रहरी परीक्षा में राजा भैय्या प्रजापति को 100 में से 101.7 अंक दिलाकर टॉप कराया। इसी प्रजापति को अगली ही परीक्षा में सेटिंग नहीं करने के कारण केवल 40 अंक मिले थे, वह दो महीने में ही टॉपर से जीरो हो गया था। इसी गैंग ने ही पटवारी भर्ती परीक्षा में एक ही सेंटर एनआरआई ग्वालियर से टॉप 10 में से टॉप 7 उम्मीदवार निकाल दिए।
ईएसबी कर रहा अब फेस, आईरिस पहचान लागू करने की पहल
इस पूरे घोटाले में ईएसबी की भूमिका नहीं है, ईएसबी की समस्या केवल यही है कि वह अभी भी घोटाले को रोकने के पुख्ता व्यवस्था नहीं कर पा रही है। वहीं मामला संज्ञान में आने पर भी इनके रिजल्ट को होल्ड करके जांच नहीं की जा रही है। अब ईएसबी इस मामले में आधार, बायोमैट्रिक पहचान के बाद सेंटर पर आईरिस पहचान और फेस पहचान लागू करने पर विचार कर रही है। इसे प्रयोग के तौर पर छोटी परीक्षा में लागू किया जाएगा और फिर इसे बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारी है।
ईएसबी इन सरनेम वालों, एरिया वालों की करे पूरी जांच
यदि ईएसबी ज्यादा कुछ नहीं केवल इस परीक्षा में चयनित होने वालों के एरिया देखकर उनकी ही जांच कर लें तो कई संदिग्ध पकड़ में आ जाएंगे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि यहां ईमानदार, मेहनत से पास होने वाले उम्मीदवार नहीं हैं लेकिन यह भी उतना ही सच है कि इन एरिया में ही मास्टरमाइंड शामिल थे और उन्होंने कई लोगों से डील की थी। ऐसे में मुरैना यहां भी खासकर जौरा, सबलगढ़ तहसील से, भिंड जिला, श्योपुर और ग्वालियर जिले के उम्मीदवारों को लेकर जांच करना चाहिए। इसमें भी रावत, मीणा, जाटव इन कैटेगरी में कई लोग संदिग्ध तौर पर सामने आए हैं। इन सभी के रिजल्ट व पुराने रिकार्ड की जांच जरूरी है। ताकि ईमानदार और मेहनती उम्मीदवारों को उनका हक मिल सके।
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