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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. आदिवासियों और अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की जमीन हड़पने के मामले में जांच के बाद गंगा पाठक सहित उनके रिश्तेदारों की पूरी गैंग का पर्दाफाश हुआ है। इसमें सामने आया है कि गंगा पाठक अपनी पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के साथ ही झूठे गवाह खड़े कर गरीबों की जमीन हथियाता था।
जबलपुर में भू-माफिया का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके आदिवासी और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया। इस मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि आरोपियों ने न सिर्फ जीवित लोगों की जमीन हड़पी, बल्कि मृतकों के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री करवा दी। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है और आदिवासी समुदाय में भारी आक्रोश है। पुलिस ने इस मामले में दो अलग-अलग थानों में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी
तिलवारा थाना क्षेत्र में हुई धोखाधड़ी की बात करें, तो यहां गंगा पाठक, ओमप्रकाश त्रिपाठी और द्वारका प्रसाद त्रिपाठी ने मिलकर आदिवासियों की जमीन हड़पने की एक विस्तृत योजना बनाई। इसमें उन्होंने बीरन सिंह गौड, बैसाबू सिंह गोड, पल्टू उर्फ संतोष गोड, वचन सिंह गोंड, धरमू सिंह गोड (मृत),श्रीमती समलो बाई (मृत) ,श्रीमती शकुंतला गोंड के नाम पर मौजूद भूमि 1.8400 हे.और 0.800 हे भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसके साथ ही असली मालिकों के नाम और जाति बदलकर फर्जी विक्रेता बनाए। उप पंजीयक कार्यालय में, इन फर्जी विक्रेताओं को असली मालिकों के रूप में पेश करके जमीन की फर्जी रजिस्ट्री करवा दी गई। जांच में यह भी पता चला कि आरोपियों ने कुछ मामलों में मृत लोगों के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री करवा दी थी, जो कि बेहद चौंकाने वाला है। इस पूरे षड्यंत्र में गवाहों ने भी फर्जी भूमि स्वामियों का सत्यापन करने में आरोपियों की मदद की, जिससे उनकी मिलीभगत भी स्पष्ट होती है। इस मामले में कई आदिवासी लोग धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं और उन्होंने न्याय की गुहार लगाई।
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पीड़ितों की जाति बदलकर की धोखाधड़ी
बरगी थाना क्षेत्र में भी इसी तरह की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां गंगा पाठक, ओमप्रकाश त्रिपाठी और उनकी पत्नी ममता पाठक ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके आदिवासियों और एक गैर-आदिवासी की जमीन हड़प ली। एक मामले में तो गंगा पाठक ने खुद गवाही देकर फर्जी भूमि स्वामी का सत्यापन किया, जो कि उनकी सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। इस मामले में भी कई आदिवासी और एक गैर-आदिवासी धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। जिनमें चंदर सिंह, सरजू (मृत),उजयार,किन्तो बाई (मृत), नन्हे लाल की जाति में राजपूत, वर्मा, यादव और ढीमर लिखकर इस पूरे फर्जीवाडे को अंजाम दिया गया है जबकि सभी अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आते हैं।
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पुलिस ने दर्ज किया मामला
जबलपुर में थाना तिलवारा में तहसीलदार नीलिमा राजलवाल ओर थाना बरगी में तहसीलदार पूर्णिमा खण्डायत की शिकायत पर गंगा पाठक ,द्वारका प्रसाद त्रिपाठी, ओमप्रकाश त्रिपाठी, नारायण प्रसाद श्रीवास, संतोष सोनी, भारत मेहरा ,ममता पाठक, संजीव श्रीवास्तव, दीपक मिश्रा, दीपक साहू, राजकुमार मांझी एवं अन्य पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419,420,467,468,471 भादवि. एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(च), 3 (छ), 3(2) (v) एससी/एसटी एक्ट तहत मामला दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।
5 पॉइंट में समझिए पूरा मामला
✅गंगा पाठक की गैंग का पर्दाफाश: आदिवासियों की ज़मीन हड़पने के आरोप में गंगा पाठक सहित 10 लोगों पर FIR दर्ज की गई। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों और झूठे गवाहों के जरिए ज़मीनों की रजिस्ट्री की।
✅धोखाधड़ी की योजना: गंगा पाठक और उनके सहयोगियों ने तिलवारा और बरगी क्षेत्र में आदिवासियों की ज़मीन हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए। इसके तहत मृतकों के नाम पर भी ज़मीन की रजिस्ट्री करवाई गई।
✅फर्जी स्वामित्व का सत्यापन: आरोपियों ने फर्जी गवाहों से स्वामित्व सत्यापित करवा कर ज़मीनें अपने नाम करवाईं। इसके साथ ही आदिवासियों की जाति बदलकर धोखाधड़ी की गई।
✅कई आदिवासी शिकार हुए: इस मामले में कई आदिवासी और एक गैर-आदिवासी को धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया है। इसमें उनके नाम को गलत तरीके से बदल कर उनकी ज़मीन पर कब्जा किया गया।
✅पुलिस जांच और FIR: पुलिस ने गंगा पाठक, ओमप्रकाश त्रिपाठी और उनके सहयोगियों के खिलाफ आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट की धारा के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। आरोपी ज़मीनों की धोखाधड़ी से करोड़ों की ज़मीन हड़प चुके हैं।
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बेशकीमती जमीनों की कि गई फर्जी रजिस्ट्री
जबलपुर एसडीम अभिषेक ठाकुर ने बताया है बरगी क्षेत्र जबलपुर के अंतर्गत रामपुर नकटिया, चूरिया कालादेही के अंतर्गत आदिवासियों की जमीनों की रजिस्ट्री को शून्य करने के आवेदन प्राप्त हुए जिसमें जांच के दौरान यह पाया गया कि इसके साथ तीन अन्य आवेदन भी लगे हुए हैं जिसमें पड़ताल में यह पाया गया कि फर्जी दस्तावेज , फर्जी आधार कार्ड और वास्तविक भू स्वामी की गैर मौजूदगी में फर्जीवाड़ा कर इन आदिवासियों की जमीनों की रजिस्ट्री की गई जिसमें पड़ताल के दौरान आदिवासियों की जमीन को बिना कलेक्टर की परमिशन के नामांतरण किए जाने की आपत्ति उठाए जाने पर जब पुराने रिकॉर्ड को देखा गया तब पाया गया कि तिलवारा और बरगी थाना क्षेत्र अंतर्गत कुल 11 फर्जी नामांतरण में लगभग 37 से 38 एकड़ जमीन को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री किए जाने पाया गया है जिसमें मुख्य रूप से चार आरोपी गंगा पाठक, ममता पाठक, ओम प्रकाश त्रिपाठी और द्वारका प्रसाद त्रिपाठी सहित रजिस्ट्री को प्रमाणित करने वाले गवाहों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई है। आरोपियों के द्वारा जालसाजी और धोखाधड़ी को अंजाम देकर करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीनों को अपने नाम रजिस्टर्ड करा कर शासन एवं आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी की गई है।
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