एमपी बिजली विभाग में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश, फर्जी डॉक्यूमेंट से अधिकारियों ने 12 साल तक लूटी सैलरी

मध्य प्रदेश के बिजली विभाग से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां दो अधिकारियों ने फर्जी डाॅक्यूमेंट के आधार पर 12 साल तक नौकरी की और लाखों वेतन लिया।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के जबलपुर बिजली विभाग से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां दो अधिकारियों ने फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर नौकरी हासिल की। इसके साथ ही पिछले 12-13 सालों से यहां कार्य करते रहे। इस दौरान उन्होंने लाखों रुपए वेतन के रूप में प्राप्त किए। यह मामला हाल ही में सामने आया जब कंपनी ने दोनों अधिकारियों के डॉक्यूमेंट की जांच शुरू की और फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

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फर्जी जाति प्रमाणपत्र का खुलासा

दोनों अधिकारियों के जाति प्रमाणपत्रों की जांच के बाद यह सामने आया कि दोनों के प्रमाणपत्र फर्जी थे। इसके बाद कंपनी ने उन्हें निलंबित कर दिया और मामले की गहन जांच शुरू कर दी। एक अधिकारी का नाम विनोद है, और दूसरे का नाम अमित है। विनोद के मामले में कंपनी ने हाल ही में पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से कंपनी ने आयोग से जरूरी जानकारी मांगी है, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

दोनों अधिकारियों के विभाग में पद

विनोद सिंह राजपूत बिजली विभाग के लेखाधिकरी पद पर कार्यरत है। विनोद ने 17 मार्च 2012 को इस पद को संभाला था। वहीं अमित केवट विभाग में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत थे। अमित की नौकरी 2 नवम्बर 2011 में लगी थी।

फर्जी डॉक्यूमेंट से की 12 साल नौकरी, एक नजर में समझें...

  • मध्य प्रदेश के बिजली विभाग में दो अधिकारियों, विनोद और अमित, ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल की और 12-13 सालों तक वेतन प्राप्त किया।

  • कंपनी ने अधिकारियों के प्रमाणपत्र की जांच की, जिससे फर्जीवाड़ा सामने आया और एक को निलंबित कर दिया गया।

  • विनोद के मामले में पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखकर प्रमाणपत्र की वैधता की जानकारी मांगी गई है।

  • अमित को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन वह सही प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर सका।

  • दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कारण बताओ नोटिस जारी

अमित को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन अब तक वह ऐसा कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सका है, जिससे यह साबित हो सके कि उसका जाति प्रमाणपत्र सही था। इस मामले में जांच जारी है, और अधिकारियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया है।

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पिछड़ा वर्ग आयोग को लिखा पत्र

विनोद के मामले में कंपनी ने पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा है। इसमें यह जानकारी मांगी गई है कि उनके प्रमाणपत्र की वैधता की पुष्टि कैसे की जा सकती है। आयोग से जानकारी मिलने के बाद इस मामले में और कार्रवाई की जाएगी।

एक को निलंबित, एक पर जांच जारी

कंपनी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी अमित को निलंबित कर दिया है। वहीं विनोद पर जांच जारी है। इन अधिकारियों ने पिछले 12-13 सालों में लाखों रुपए वेतन के रूप में प्राप्त किए। अगर इनकी जाति प्रमाणपत्र सही होते तो ये अधिकारी पदों पर भर्ती नहीं हो पाते।

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