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नीमच के 16 साल पुराने फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर मामले में फरार चल रहे पुलिस अधिकारियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस मामले में दो महीने पहले डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं एएसआई दुर्गाशंकर तिवारी ने 22 अप्रैल को सरेंडर किया था।
अब इस मामले में शामिल अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी सीबीआई के आवेदन पर जिला न्यायालय ने वारंट जारी किए हैं। सीबीआई इन सभी की तलाश कर रही है। गिरफ्तारी से बचने के लिए अब बड़वानी के एडिशनल एसपी अनिल पाटीदार ने इंदौर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है।
हाईकोर्ट में पाटीदार की ओर से यह रखे गए तर्क
इस मामले में पाटीदार की ओर से पेश वकील ने कहा कि पाटीदार सरकारी अधिकारी हैं और सीबीआई जांच में लगातार दस सालों से मदद कर रहे हैं। अभी तक आए 6-7 समन के दौरान उपस्थित भी हुए हैं। अब आशंका है कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करेगी, क्योंकि इसके पहले वह डीएसपी ग्लेडविन को गिरफ्तार कर चुकी है। इसलिए गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए और अग्रिम जमानत दी जाए।
सीबीआई से मांगी केस डायरी, नहीं तो खुद हों पेश
हाईकोर्ट ने इस पर सीबीआई से केस डायरी मांगी। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि डायरी दिल्ली में है और अभी नहीं आई है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह केस यहां दस दिन से लगा हुआ है और केस डायरी अभी तक नहीं आई है। जिला कोर्ट में डायरी चार दिन में आ गई थी। वहां से क्यों नहीं बुलाई गई।
सीबीआई की ओर बताया गया कि दिल्ली से केस डायरी आएगी। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि 23 जून को अगली सुनवाई होगी और तब केस डायरी नहीं आती है तो फिर जांच अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर पेश हों। पाटीदार के वकील ने जब तक गिरफ्तारी की रोक की मांग रखी लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश में राहत नहीं दी है।
इसके पहले जिला कोर्ट से इन्हें भी नहीं मिली राहत
इसके पहले इस केस में गिरफ्तार अधिकारियों को जिला कोर्ट से जमानत नहीं मिली। वहीं पीथमपुर सीएसपी विवेक गुप्ता, एसीपी क्राइम भोपाल मुख्तार कुरैशी के साथ ही पाटीदार की भी अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है। अब गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट ही रास्ता बचा है।
बंशी गुर्जर केस में पाटीदार ने ही बनाईं थी दो टीम
इस मामले में सीबीआई ने बताया कि मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार ने इस मामले में दो टीम गठित की थी। पहली टीम में पहली में निरीक्षक परमार, एसआई मुख्तार कुरैशी, प्रधान आरक्षक श्यामलाल बेणीराम, आरक्षक अनोखीलाल, अनवर, मंगलसिंह थे।
दूसरी टीम में टीआई ग्लेडविन कर, एसआई विवेक गुप्ता, एसडीओपी अनिल पाटीदारा, प्रधान आऱक्षक भगवान सिंह, आरक्षक नीरज प्रधान, फतेहसिंह, दुर्गाशंकर, मुनव्वर उददीन और चालक कमलेंद्र थे।
ग्लैडविन, गुप्ता और पाटीदार ने गोली मारी थी। बाद में मृतक की पहचान बंशी गुर्जर के रूप में की। जो बाद में पुलिस द्वारा जीवित पकड़ा गया और इसमें जांच के लिए के सीबीआई के पास आया। समन के बाद भी यह उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
2009 का है चर्चित फर्जी एनकाउंटर कांड
नीमच के 16 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने एक अप्रैल को इंदौर से दो अहम गिरफ्तारी की थी। इसमें पन्ना में पदस्थ डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कर और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान है। इस 7 फरवरी 2009 के चर्चित कांड को लेकर यह सीबीआई जांच उज्जैन के गोवर्धन पंडया और नीमच के मूलचंद खींची द्वारा हाईकोर्ट इंदौर में लगाई गई याचिका पर साल 2013-14 में हुए आदेश से शुरू हुई।
इस एनकाउंटर केस में पुलिस द्वारा लिखी FIR में यह है
इस एनकाउंटर मामले में पुलिस ने जो रामपुरा थाने नीमच में एफआईआर लिखी जो तत्कालीन थाना प्रभारी ग्लैडविन ने ही लिखवाई थी। इसके अनुसार बात करें तो- ग्लैडविन रामपुरा टीआई थे, मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार थे।
सात फरवरी 2009 को एसपी वेदप्रकाश शर्मा ने जानकारी दी कि बंशी गुर्जर गांधीसागर की ओर से छिपा हुआ है और रात को अपने घर पर पेशन मोटरबाइक से नलवा जा रहा है। इसके पास हथियार रहते हैं। थाना प्रभारी कुकडेशवर पीएस परमार और टीआई बघाना मुख्त्यार कुरैशी व मनासा टीआई विवेक गुप्ता को भी खबर दी गई।
गुर्जर की गिरफ्तारी के लिए दो दल बने
गुजर्र को पकड़ने के लिए दो दल बने एक में टीआई परमार, कुरैशी के साथ प्रधानआरक्षक श्याम पाल सिंह, वेणीराम, आर अनोखी लाल, आर अनवर, मंगल सिंह थे। दूसर दल में ग्लेडविन, विवेक गुप्ता, अनिल पाटीदार, भगवान सिंह, नीरज प्रधान, फतेह सिंह दुर्गाशंकर तिवारी, आर मनुरव्दीन, कमलेंद्र थे।
इस तरह हुआ एनकाउंटर
दोनों दलों ने जगह तय कर प्लानिंग बनाकर तैयारी कर ली। ग्लैडविन द्वारा लिखवाई एफआईआर में है कि हमारा दल एक बाइक की जांच कर रहा था तभी पहले दल के लोगों की आवाज आई गुर्जर सरेंडर कर दो। उनकी बात सुनकर हमने बाइक वाले को देखा और आवाज लगाई सरेंडर कर दो, तभी उसने दो फायर किए एक मेरी बाजू पर और गुप्ता के रगड़ करते हुए लगी। आगे लिखा है कि मैंने और गुप्ता ने जान की परवाह नहीं करते हुए गोली चलाई। वहीं मनासा एसडीओ पाटीदार ने भी गोली चलाई, वह गिर गया। उसके पास डायरी व अन्य कागज थे इसमें बंशी गुर्जर नाम लिखा था, वह घायल था उसे रामपुरा अस्पताल ले गए।
बाद में पता चला गुर्जर जिंदा
गुर्जर का एक साथी घनशायम कुछ दिन बाद सड़क एक्सीडेंट में मारा गया। इसका भी केस हुआ। लेकिन एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस को पता चला कि घनश्याम तो जिंदा है और उज्जैन जेल में है। इस पर उससे पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह गुर्जर ने ही उसे बताया था कि मरने की नौटंकी करो, सारे केस खत्म हो जाएंगे।
वीडियो में नाचते मिला बंशी
घनश्याम के पास मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें एक कार्यक्रम में बंशी नाचते हुए दिखा। इस पर पुलिस चौंक गई। उसका पता निकाला और आईजी उज्जैन उपेंद्र जैन ने टीम बनाकर बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया।
इन अधिकारियों पर लटक रही तलवार
इस मामले में कई अधिकारी जांच के राडार में है। इसमें तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा जो रिटायर हो गए हैं और अभी बाबा रामदेव की कंपनी का काम देखते हैं। उनके साथ ही अनिल पाटीदार जो अभी बडवानी एडिशनल एसपी है और उस समय मनासा एसडीओ थे, वह मोबाइल बंद कर गायब है। विवेक गुप्ता जो पीथमपुर सीएसपी हैं और उस समय मनासा टीआई थे,, मुख्तयार कुरैशी एसीपी भोपाल जो उस समय टीआई बघाना थे सभी भी जांच के घेरे में हैं।
खबर को 5 लाइन में समझिए
- नीमच के 2009 के फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर मामले में आरोपी एएसपी अनिल पाटीदार ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई है।
- इससे पहले डीएसपी ग्लैडविन और एएसआई दुर्गाशंकर की गिरफ्तारी हो चुकी है।
- हाईकोर्ट ने सीबीआई से केस डायरी तलब की है, नहीं लाने पर जांच अधिकारी को पेश होने का आदेश दिया है।
- एफआईआर में पाटीदार, गुप्ता और ग्लेडविन द्वारा गोली चलाने का जिक्र है।
- बंशी एनकाउंटर में मरा घोषित हुआ था, लेकिन बाद में वीडियो में नाचते मिला और जिंदा पकड़ा गया।
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