फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( एफसीआई ) ने मध्य प्रदेश के गेहूं लेने से इंकार कर दिया है। ऐसे में नागरिक आपूर्ति निगम करीब 57 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूब गया है। ऐसे में एमपी गवर्नमेंट की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब सवाल यह उठता है कि एफसीआई आखिरकार गेहूं लेने से इंकार क्यों कर रही है।
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18 लाख टन गेहूं लेने से किया इंकार
आपको बता दें कि नागरिक आपूर्ति निगम ( Civil Supplies Corporation ) द्वारा FCI को दिए जा रहे इस गेहूं में मिट्टी मिली हुई है। यही कारण है कि भारतीय खाद्य निगम ( FCI ) ने मध्य प्रदेश के कुल 18 लाख टन गेहूं लेने से इंकार कर दिया है। ऐसे में केंद्र के लिए प्रदेश में गेहूं की खरीद करने वाला खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम करीब 57 हजार करोड़ रुपए का कर्जदार हो गया है।
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बैंकों ने कर्ज देने से किया इंकार
वहीं नागरिक आपूर्ति निगम को हर रोज उधारी की राशि का 10 करोड़ रुपए के ब्याज का भी भुगतान करना पड़ रहा है। ब्याज के भुगतान की राशि का इंतजाम करने में निगम को मुश्किलें हो रही है। बैंक भी कर्ज देने से इंकार कर दिया है।
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जानें कहां से आए मिट्टी मिले गेहूं
मध्य प्रदेश के सीहोर और रायसेन समेत अन्य जिलों से मिट्टी मिले गेंहू खरीदी ली गई। ऐसा पिछले तीन सालों से चल रहा है। अब एफसीआई ( Food Corporation of India ) के गेहूं लेने से मना करने पर खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम को गेहूं को स्टोर करने में समस्या आ रही है।
ऐसे इसलिए क्योंकि गोदामों में भरे गेहूं का किराया मार्कफेड और वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन को देना पड़ रहा है। वहीं निगम के करीब 57 हजार करोड़ रुपए के कर्जे में 12 हजार करोड़ रुपए की लेनदारियां तो केंद्र सरकार से हैं जो नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में गोदाम का किराया का भुगतान राज्य सरकार को करना पड़ रहा है।
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