शिवराज बोले, मध्यप्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं, बस वितरण व्यवस्था खराब, नहीं होगी खाद की टैगिंग

केंद्रीय कृषि मंत्री व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खाद संकट पर कहा कि कंपनियों की गलतियों के कारण किसानों को नुकसान हुआ है, और सरकार टैगिंग की अनुमति नहीं देगी। साथ ही, जीएसटी के स्लैब में बदलाव से किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद जताई।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में खाद की कमी और इसके वितरण की समस्याओं को लेकर विवाद सामने आए थे। इस संदर्भ में, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में भोपाल में मीडिया से बात करते हुए इस संकट पर अपनी बात रखी।

खाद संकट पर शिवराज ने कहा कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है, केवल अधिकारियों की लापरवाही और वितरण व्यवस्था में खामियों के कारण परेशानी आ रही है।

शिवराज सिंह चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि खाद की टैगिंग (tagging) की समस्या का समाधान किया जाएगा, और किसी भी कीमत पर इसे अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कई जगहों पर खाद कंपनियों की गलतियों के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके लिए उन्होंने संबंधित कंपनियों से जांच करने और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करने की बात कही।  

खाद संकट के लिए वितरण व्यवस्था जिम्मेदार

मध्यप्रदेश सहित प्रदेश के किसी भी राज्य में खाद की कोई कमी नहीं है। लगातार खाद की आपूर्ति मध्यप्रदेश में हो रही है। खाद संकट को लेकर यह बात कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कही। उन्होंने कहा कि जहां से भी खाद संकट की खबरें आ रही हैं, वहां या तो वितरण व्यवस्था ठीक नहीं है या फिर अधिकारियों की निगरानी खराब है।

उन्होंने कहा कि डीएपी(DAP), यूरिया और एनपीके(NPK) खाद पिछले साल से ज्यादा मात्रा में प्रदेश में आई है। सरकार वितरण व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि किसानों को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े। 

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खाद संकट को लेकर कांग्रेस पर हमला

कांग्रेस पार्टी द्वारा खाद संकट को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ लाइन लगाने की राजनीति करती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान गैस सिलेंडर, टेलीफोन और मोटरसाइकिल के लिए भी लाइन लगानी पड़ती थी, लेकिन अब बीजेपी सरकार ने डिजिटल लाइन (digital line) व्यवस्था लागू की है, जिससे सीधे लाभ जनता तक पहुंचता है। 

जीएसटी से कम होगी कृषि की लागत

शिवराज ने जीएसटी (GST) के स्लैब में बदलाव का भी स्वागत किया, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिली है। उनका कहना था कि इस सुधार से कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती (organic farming) और जैविक खेती (bio farming) को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। 

खाद संकट पर शिवराज सिंह चाैहान के बयान को ऐसे समझें 

  1. शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में खाद संकट पर बयान देते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर टैगिंग (tagging) की अनुमति नहीं दी जाएगी और कंपनियों की गलतियों के कारण किसानों को नुकसान हुआ है।
  2. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है, और वितरण प्रणाली (distribution system) को और मजबूत किया जाएगा।
  3. जीएसटी (GST) में बदलाव से किसानों को राहत मिलेगी, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और लागत कम होगी। इसके अलावा, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
  4. शिवराज ने बताया कि ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की खरीद पर जीएसटी घटने से किसानों को काफी बचत होगी, जैसे 9 लाख रुपये के ट्रैक्टर पर 63 हजार रुपये तक की बचत हो सकती है।
  5. फसल बीमा के मामले में सैटेलाइट तकनीक (satellite-based technology) का उपयोग किया जाएगा, और 21 दिन में क्लेम नहीं मिलने पर बीमा कंपनी पर ब्याज लगाया जाएगा।

कृषि उपकरणों की खरीद पर अब होगी बड़ी बचत

जीएसटी के बदलाव से किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर भी बड़ी बचत होने का दावा किया गया है। शिवराज ने उदाहरण दिया कि यदि कोई किसान 9 लाख रुपये का ट्रैक्टर खरीदता है, तो उसे 63 हजार रुपये की बचत होगी। यह बचत अलग-अलग हार्स पावर के ट्रैक्टर पर अलग-अलग हो सकती है। इसके अलावा, थ्रेसर, हार्वेस्टर समेत अन्य कृषि उपकरणों की कीमतों में भी जीएसटी घटने से कमी आएगी। 

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अब 21 दिन में देना होगा कंपनी को मुआवजा

शिवराज सिंह चौहान ने फसल बीमा (crop insurance) पर भी बात की। उन्होंने बताया कि कृषि नीति में अब सैटेलाइट बेस्ड तकनीक (satellite-based technology) से फसल के नुकसान का आकलन किया जाएगा, जिससे फसल बीमा में किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगर दावा बनने के 21 दिन में बीमा कंपनी ने क्लेम नहीं दिया तो कंपनी पर ब्याज लगाया जाएगा। जिससे किसानों को तय समय सीमा में फसल के नुकसान का मुआवजा मिल सकेगा। 

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