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Photograph: (the sootr)
मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का विचारपुर गांव फुटबॉल प्रेम का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहां हर घर से फुटबॉल के खिलाड़ी निकलते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात में इस गांव के लोगों के फुटबॉल प्रेम और इसके प्रति जुनून का उल्लेख किया, जिसके बाद यह गांव चर्चा का विषय बन गया। यहां के खिलाड़ियों को जर्मनी में ट्रेनिंग की पेशकश मिलने से यह गांव फुटबॉल का एक प्रमुख 'टैलेंट हब' बनने की राह पर है।
पीएम मोदी ने बताया, पॉडकास्ट के बाद मिला जर्मनी से ऑफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के 125वें प्रसारण में एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट किया था। उन्होंने मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के विचारपुर गांव के युवाओं के फुटबॉल के प्रति जुनून की बात की थी।
इस पॉडकास्ट को सुनने और देखने के बाद यहां के खिलाड़ियों को जर्मनी से प्रशिक्षण की पेशकश की गई है, जिससे अब ये खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
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पूरे गांव में फुटबॉल का जुनून
पूरे देश में जहां क्रिकेट के प्रति दीवानगी है तो दूसरी औैर विचारपुर गांव में क्रिकेट की कोई चर्चा नहीं होती, और न ही यहां के लोग क्रिकेट खेलते हैं। फुटबॉल का जुनून इस गांव में इस हद तक है कि यहां के बच्चे और युवा केवल इस खेल के प्रति दीवाने हैं।
यहां की विशेषता यह है कि लड़के और लड़कियों में समान रूप से फुटबॉल की दीवानगी है। यह गांव इस बात के लिए भी प्रसिद्ध है कि यहां लड़कियां भी राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेलती हैं। यहां की आदिवासी संस्कृति में खेल के प्रति एक खास उत्साह है, जो अन्य स्थानों से कहीं अधिक है।
फुटबाॅल के प्रति जुनूनी गांव विचारपुर की कहानी को ऐसे समझें
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हर घर में एक राष्ट्रीय खिलाड़ी
विचारपुर में फुटबॉल का माहौल इतना मजबूत है कि लगभग हर दूसरे घर में कोई न कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेलता है। खास बात यह है कि यहां की लड़कियों का फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन लड़कों से कहीं बेहतर है। गांव के कुछ खिलाड़ी तो 10-12 बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। फुटबॉल की यह दीवानगी यहां के बच्चों के बीच विशेष रूप से पाई जाती है।
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विचारपुर गांव की पहचान है फुटबॉल
विचारपुर के लोग फुटबॉल को सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि अपनी पहचान मानते हैं। यहां फुटबॉल के प्रति इस जुनून का कारण यह है कि यहां के लोगों ने छोटी उम्र से ही फुटबॉल खेलते हुए देखा है, इसलिए यह खेल उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। इसके बावजूद कि इस खेल से इन्हें आर्थिक लाभ या करियर में सफलता नहीं मिलती, ये युवा हर दिन मैदान में प्रैक्टिस करते हैं। वे फुटबॉल को एक जुनून के रूप में जीते हैं।
जर्मनी में ट्रेनिंग की पेशकश
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद विचारपुर के फुटबॉल खिलाड़ियों को जर्मनी में प्रशिक्षण का अवसर मिला है। यह कदम न केवल इन खिलाड़ियों के लिए बल्कि शहडोल और मध्य प्रदेश के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
जर्मनी जैसी फुटबॉल की शक्तिशाली से ट्रेनिंग का प्रस्ताव शहडोल के फुटबॉल प्रेमियों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। यदि इस मौके का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए, तो यहां के खिलाड़ी भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकते हैं।
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