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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. वन मंडलों में बढ़ती वित्तीय अनियमितताओं ने विभाग की चिंता और सख्ती बढ़ा दी है। वन बल प्रमुख वीएनअंबाडे ने भुगतान व्यवस्था में त्वरित सुधार के निर्देश दिए। अंबाडे ने मैदानी अमले और कंप्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ऑनलाइन भुगतान की पूरी विश्वसनीयता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया है।
कम्प्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका पर सवाल
वन मंडलों में लगातार सामने आ रही वित्तीय अनियमितताओं ने विभाग को चिंता में डाल दिया है। इसी के चलते वन प्रमुख वीएनअंबाडे ने भुगतान व्यवस्था में सुधार की ​हिदायत दी। उन्होंने मैदानी अमले और कम्प्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाते हुए मंडल प्रमुखों को कई कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने ऑनलाइन भुगतान की विश्वसनीयता तय करने पर भी जोर दिया है।
भोपाल वन विभाग में पिछले कुछ समय से अलग-अलग मंडलों में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आती रही हैं। इन मामलों के बढ़ते दायरे को देखते हुए विभाग प्रमुख वीएन अंबाडे ने मैदानी अमले के कामकाज और भुगतानों से जुड़े प्रक्रियागत पक्ष पर गहरी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में उन्होंने आहरण-वितरण अधिकारियों को पत्र लिखकर कई महत्वपूर्ण बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
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IFMIS भुगतानों पर उठे सवाल
पीसीसीएफ अंबाडे ने कहा कि विभागीय भुगतान अब इंटीग्रेटेड फायनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (IFMIS) के माध्यम से ऑनलाइन होते हैं। इसलिए इसकी विश्वसनीयता और पारदर्शिता तय किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भुगतान प्रक्रिया की हर कड़ी-क्रिएटर,वेरिफायर और एप्रूवर को व्यवस्थित और जवाबदेह बनाया जाए।
जिला प्रशासन से कराएं सोशल ऑडिट
पत्र में कहा गया है कि वन प्रबंधन, निर्माण और श्रम कार्यों पर वास्तविक भुगतान हो रहा है या नहीं, इसकी पुष्टि अब सोशल ऑडिट से की जाएगी। यह ऑडिट कलेक्टर, जिला पंचायत, विकासखंड और पंचायत स्तर की मदद से कराया जा सकेगा। सोशल ऑडिट रिपोर्ट विभाग मुख्यालय को भेजना अनिवार्य किया गया है।
ये है वह पत्र...
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पासवर्ड और ओटीपी न करें साझा
उन्होंने मैदानी अफसरों को सख्त निर्देश दिए कि वे अपनी कंप्यूटर आईडी का लॉग-इन पासवर्ड और ओटीपी किसी भी स्थिति में ऑपरेटरों के साथ साझा न करें। ऐसा करना भुगतान सुरक्षा के लिए जोखिमपूर्ण और विभागीय नियमों के विरुद्ध माना जाएगा।
कंप्यूटर ऑपरेटरों का अनिवार्य रोटेशन
वन प्रमुख ने कैग की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कई मंडलों में एक ही कंप्यूटर ऑपरेटर वर्षों से पदस्थ हैं। इससे अनियमितताओं की आशंका बढ़ती है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऑपरेटरों का रोटेशन वाइज बदलाव अनिवार्य रूप से किया जाए, ताकि किसी तरह की हेराफेरी या दबदबे की स्थिति न बने।
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अनियमितता पर डीएफओ होंगे जिम्मेदार
अंबाडे ने स्पष्ट किया कि यदि संबंधित अधिकारी इन निर्देशों का पालन नहीं करते और बाद में किसी तरह की गड़बड़ी सामने आती है, तो सीधी जवाबदेही डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) की मानी जाएगी। ऐसे मामलों में केवल ऑपरेटरों पर दोष डालकर अधिकारी बच नहीं सकेंगे।
अस्थायी ऑपरेटरों से बढ़ता जोखिम
वन विभाग प्रमुख अंबाडे ने अपने पत्र को सिर्फ सतर्कता बरतने के लिहाज से लिखा होना बताया। उन्होंने कहा कि कई वन मंडलों में अस्थायी कंप्यूटर ऑपरेटरों से काम लिया जाता है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई संभव नहीं होती। किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में आरोप विभाग पर ही आते हैं। इसलिए सतर्कता और निगरानी बढ़ाना जरूरी है।
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कैग की रिपोर्ट में मिली अनियमितताएं
बता दें कि कैग की लगभग हर रिपोर्ट में वन मंडलों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख मिलता रहा है। अधिकतर मामलों में निचले अमले पर कार्रवाई कर अधिकारी बच निकलते हैं। इस बार विभाग ने साफ कर दिया है कि गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी अब ऊपर तक तय होगी।
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