संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम के फर्जी बिल घोटाला जो करीब 150 करोड़ तक पहुंचा है, इस मामले में पूर्व बीजेपी विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने सीएम डॉ. मोहन यादव को चार पन्नों की चिट्ठी भेजी है ( Indore Municipal Corporation scam )। उन्होंने साफ कहा कि यह घोटाला सौ-सवा सौ करोड़ का नहीं बल्कि 1000 करोड़ रुपए का होगा और इसमें सैंकड़ों लोग शामिल होंगे। इसके लिए महाकाल भक्त सीएम को तीसरा नेत्र खोलकर भ्रष्ट व्यवस्था के भस्मासुर का संहार करना होगा।
नेमा ने यह चिट्ठी में यह भी लिखा
नेमा ने कहा कि यह पूरा घोटाला अकल्पनीय है। ऐसे केस की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रदेश में जन-धन का ऐसा भ्रष्टाचार कभी देखने को नहीं मिला। अभी तक 100-125 करोड़ रुपए का ही बताया गया है और 8-10 लोग पकड़े गए हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र में मेरे काम का अभव कहता है कि उच्चस्तरी जांच होने पर यह राशि 1000 करोड़ तक पहुंचेगी और इस राशि के हिस्सेदार छोटे-बड़े मिलाकर सैंकड़ों की संख्या में आएंगे।
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बिना बड़ों की मंजूरी के कैसे हो गया
नेमा ने सवाल उठाया कि काम के टेंडर होते हैं, मंजूरी होती है, ऑडिट से जांच होती है और लेखा से भुगतान होता है और यह भुगतान भी बिना उच्च स्तरीय मंजूरी के नहीं होता है। फिर यह सब कुछ सालों से कैसे चल रहा था? हर नोटशीट पर ओवरसियर से लेकर कमिशनर तक के हस्ताक्षर होते हैं। इतने कागजों पर फर्जी हस्ताक्षर कैसे हो गए, कहा जा रहा है कि यह कुछ लोगों ने किए हैं लेकिन यह आश्चर्यजनक है।
ठेकेदारों को पेमेंट नहीं हो रहे, इन्हें मिलते जा रहे
नेमा ने यह भी सवाल उठाया कि एक और ठेकेदार पेमेंट नहीं होने से आत्महत्या कर रहा है, वहीं दूसरी और फर्जी काम की फर्जी फाइल पर लगातार भुगतान होते चले जाना आश्चर्यजनक किंतु सत्य है। पहले केवल 5 फर्म ग्रीन, नींव, किंग कंस्ट्रक्शन, क्षीतिज इंटरप्राइजेस, जान्हवी के नाम आए फिर ईश्वर और क्रिस्टल के और अब डायमंड इंटरप्राइजेसे, कास्मा इंटरप्राइजेस, मेट्रो इंटरप्राइजेस व एवन के नाम भी आए हैं। लगातार फर्म सामने आ रही है और आगे क्या गर्भ में हैं नहीं पता। इसलिए जरूरी है कि एक निर्माण, आर्थिक विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर पूरी समयबद्ध जांच कराएं। यह पुलिस औऱ् निगम स्तर पर पूरी हो पाएगी विचारणीय तथ्य है।
उधर उच्च स्तरीय कमेटी आज आ सकती है
वहीं बताया जा रहा है कि सीएम द्वारा बनाई गई पीएस अमित राठौर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच कमेटी गुरुवार ( 16 मई) को इंदौर पहुंच कर जांच शुरू कर सकती है। इसके लिए वह निगमायुक्त के साथ निगम की जांच कमेटी के अध्यक्ष सिद्दार्थ जैन के साथ ही पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात कर सकती है।
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उधर असलम बेलदार के नाम आने के बाद मामला और उलझा
वहीं इस मामले में पुराने भ्रष्टाचारी बेलदार असलम खान के रिश्तेदारों के नाम पर बनाई पांच फर्मों के नाम भी इस घोटाले में आने के बाद मामला और उलझ गया है। क्योंकि असलम निगम में कई सालों से कार्यरत है और माना जा रहा है कि अब यह घोटाले कब से शुरू हुए इसके लिए निगम को बहुत पीछे जाना होगा और साथ ही अब कई फर्म इस घोटाले में जुड़ी मिल सकती है और यह राशि कई सैकंड़ों करोड़ का हो सकता है।
आशु खान ने कराई थी कार से फाइल चोरी
वही इस मामले में गुंडे सतीश भाउ के करीबी आशु खान का नाम भी आया है। जांच में आ रहा है कि आशु ने ही इंजीनियर सुनील गुप्ता की कार से इस घोटाले की जुड़ी प्रारंभिक फाइलों को 3 मार्च को चुराया था। ताकि इस घोटाले की कलई नहीं खुले। पुलिस इस मामले में अभी जांच कर रही है।