जबलपुर हाईकोर्ट ने एक चर्चित मामले में बड़ा आदेश जारी किया है। कुख्यात गैंगस्टर जुबेर मौलाना को भोपाल पुलिस द्वारा सिर के बाल और दाढ़ी-मूंछ मुंडवाकर जुलूस में घुमाने की घटना को लेकर कोर्ट ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन माना है।
कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग को आरोपी की पत्नी द्वारा दिए गए आवेदन पर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
गैंगस्टर की पत्नी ने दायर की याचिका
गैंगस्टर जुबेर का जुलूस निकालने के मामले में जुबेर की पत्नी शमीम बानो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इस्लाम धर्म में दाढ़ी रखना एक धार्मिक कर्तव्य है और पुलिस ने इसे जबरन कटवाकर न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का हनन किया, बल्कि एक इंसान की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत चौरसिया ने अदालत को बताया कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), 22 (गिरफ्तारी के अधिकार), और 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के सीधे उल्लंघन का है।
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पुलिस की सफाई - जुबेर ने खुद मुंडवाया सिर
भोपाल पुलिस का दावा है कि गिरफ्तारी से पहले ही जुबेर ने अपनी पहचान छिपाने के लिए खुद ही सिर मुंडवा लिया था। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जुबेर की गिरफ्तारी के बाद जानबूझकर उसे शर्मिंदा करने के इरादे से सार्वजनिक रूप से जुलूस में घुमाया गया, जो संविधान और मानवाधिकार दोनों के खिलाफ है।
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शहर में दहशत फैलाने की थी साजिश
जुबेर मौलाना और उसके तीन गुर्गों को भोपाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके पास से देसी पिस्टल, चार जिंदा कारतूस और तीन छुरियां जब्त की गई थीं। आरोपियों ने भोपाल के मंगलवारा और टीला जमालपुरा इलाके में खुलेआम फायरिंग और वाहनों में तोड़फोड़ कर दहशत फैलाई थी। यह हमला मंगलवारा के बदमाश साद खान से पुरानी रंजिश के चलते किया गया था। इस पूरी वारदात के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे।
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पुलिस ने बताया खुद बदल डाली पहचान
जुबेर करीब 6 महीने से फरार था और उस पर 30 हजार रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस को उसकी तलाश रायसेन के बेगमगंज और भोपाल के जहांगीराबाद थानों से थी। आखिरकार गुरुवार रात पुलिस ने परवलिया के एक फार्महाउस में दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया। बताया गया कि भागने की कोशिश में उसके पैर में फ्रैक्चर भी हो गया।
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जुलूस निकालने पर पहले भी खड़े हुए हैं सवाल
इसके पहले भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें अपराधियों के जुलूस निकालने पर पाबंदी लगाई गई है। इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाईकोर्ट जबलपुर ने साफ कहा कि किसी भी आरोपी को अदालत में पेश करने का नियम है, न कि सड़क पर जुलूस निकालकर बेइज्जत करने का। कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग से कहा है आरोपी की पत्नी के आवेदन को ध्यान देते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच की जाए और आवश्यक कार्रवाई हो।
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