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मध्यप्रदेश के लोगों के विदेश यात्रा के सपनों को एक बड़ी बाधा का सामना करना पड़ रहा है। खासकर वे लोग जो एजुकेशन, बिजनेस या टूरिज्म वीजा के लिए आवेदन कर रहे थे, उनके लिए एक नई समस्या सामने आई है। अब वे वैक्सीनेशन के मुद्दे से जूझ रहे हैं।
दरअसल, एम्स भोपाल में येलो फीवर (Yellow Fever) के लिए जरूरी वैक्सीनेशन अब बंद कर दिया गया है। और ये वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र वीजा प्राप्ति के लिए एक आवश्यक दस्तावेज बन चुका है। तो सवाल उठता है, आखिर ऐसा क्यों हुआ कि यह वैक्सीनेशन बंद कर दिया गया? जानिए इसके पीछे की पूरी वजह।
येलो फीवर वैक्सीनेशन की समस्या
भारत में कई देशों के लिए येलो फीवर (Yellow Fever) वैक्सीनेशन जरूरी होता है, खासकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों के लिए। एम्स भोपाल मध्यप्रदेश का एकमात्र सेंटर था, जहां यह वैक्सीनेशन उपलब्ध था। हर महीने यहां 200 से 250 लोग वैक्सीनेशन के लिए आते थे, लेकिन अब स्टॉक खत्म होने के कारण यह वैक्सीनेशन बंद कर दिया गया है।
जानें वैक्सीनेशन स्टॉक खत्म होने की वजह
डॉक्टरों के अनुसार, कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान येलो फीवर वैक्सीनेशन के उत्पादन और आपूर्ति में रुकावट आई है। यह वैक्सीनेशन ब्राजील, फ्रांस और रूस से आता है, और फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के माध्यम से भारत भेजा जाता है। इसके बाद, इसे हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (CRI) में भेजा जाता है। यहां इसे गुणवत्ता जांच के बाद विभिन्न राज्यों के केंद्रों में भेजा जाता है।
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मध्यप्रदेश में वैक्सीनेशन की सुविधा का संकट
भारत में येलो फीवर वैक्सीनेशन के लिए कुल 63 अधिकृत केंद्र हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में केवल एम्स भोपाल ही एकमात्र केंद्र था। अब जब एम्स भोपाल में वैक्सीन की सप्लाई नहीं हो रही, तो यात्री देश के अन्य राज्यों के केंद्रों का रुख करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इससे उनके समय और खर्च में बढ़ोत्तरी हो रही है।
वैक्सीनेशन सत्र को अनिश्चितकाल के लिए किया रद्द
एम्स भोपाल के येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर के नोडल अधिकारी, डॉ. सूर्य बाली ने बताया कि वर्तमान में वैक्सीन का स्टॉक समाप्त हो चुका है। वहीं अगले वैक्सीनेशन सत्र को अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया गया है। जब नई खेप आएगी, तब टीकाकरण प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी। एम्स ने लोगों से अपील की है कि वे वैक्सीनेशन के लिए यहां न आएं और देश के अन्य अधिकृत केंद्रों में विकल्प देखें।
वैक्सीनेशन के लिए यात्रियों को क्या करना चाहिए?
अब यात्रियों के पास विकल्प यह है कि वे देश के किसी अन्य 63 केंद्रों में वैक्सीनेशन के लिए स्लॉट बुक करें। हालांकि, वहां भी वैक्सीनेशन की उपलब्धता के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में, जो लोग विदेश यात्रा की अंतिम तैयारी में थे, उनके लिए यह एक बड़ी समस्या बन चुकी है।
जानें येलो फीवर वैक्सीनेशन क्या है?
येलो फीवर वैक्सीनेशन एक प्रकार की टीका है, जो येलो फीवर (पीलिया बुखार) के वायरस से बचाव के लिए दी जाती है। यह वायरस एडीज मच्छर के जरिए फैलता है और शरीर में गंभीर लक्षण उत्पन्न कर सकता है, जैसे बुखार, पीली त्वचा, और आंतरिक रक्तस्राव।
येलो फीवर वैक्सीनेशन एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, जो इस बीमारी से बचाव करता है। इसे एक ही डोज के रूप में लिया जाता है। यह आमतौर पर जीवनभर के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। येलो फीवर के अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में यात्रा करने से पहले इस वैक्सीनेशन का लेना जरूरी होता है।
येलो फीवर वैक्सीनेशन के बाद क्या करें?
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टीका लगवाने के बाद कम से कम 30 मिनट तक वैक्सीनेशन सेंटर में रुकें।
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यदि आपको घबराहट, एलर्जी, रैश, सांस लेने में परेशानी या चक्कर आते हैं, तो तुरंत ड्यूटी डॉक्टर को सूचित करें।
येलो फीवर वैक्सीनेशन के दुष्प्रभाव
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बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान, इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन या दर्द।
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ये प्रभाव 3-9 दिन में शुरू होते हैं और एक सप्ताह तक रहते हैं।
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55 हजार में से 1 में गंभीर एलर्जिक रिएक्शन।
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1 लाख 25 हजार में से 1 में नर्वस सिस्टम पर असर।
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2 लाख 50 हजार में से 1 में अंगों में फेल्योर वाली जानलेवा बीमारी, जिसमें आधे मामलों में मौत हो सकती है।
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1 लाख 30 हजार में से 1 को अचानक खुजली, चक्कर या अस्थमा जैसा रिएक्शन।
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80 लाख में से 1 को ब्रेन इंफ्लेमेशन (Encephalitis) हो सकता है।
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