8 करोड़ का बैंक धोखाधड़ी मामलाः आरोपी को 19 साल बाद CBI ने हाईटेक इमेज टूल्स से इंदौर से पकड़ा
सीबीआई ने 8 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी महिला को 19 साल बाद इंदौर से गिरफ्तार किया। इसके लिए सीबीआई ने हाईटेक इमेज टूल्स का इस्तेमाल किया। महिला की पहचान करने के बाद इंदौर में उसे ढूंढकर गिरफ्तार किया गया।
INDORE. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 8 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में एक महिला को 19 साल बाद इंदौर से गिरफ्तार किया। सीबीआई ने इसके लिए हाईटेक इमेज टूल्स का इस्तेमाल किया। उन्होंने कई इमेज सर्च की और आरोपी महिला की पहचान की। फिर इंदौर में उसे ढूंढकर गिरफ्तार किया।
जानिए क्या है Bank Fraud का पूरा मामला
एक अगस्त 2006 को सीबीआई बीएसएफबी बेंगलुरु में रामानुजम मुथुरामलिंगम शेखर आर.एम. शेखर, एमडी, मेसर्स इंडो मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और उनकी पत्नी मणि एम. शेखर, निदेशक, मेसर्स इंडो मार्क्स एंड बीटीसी होम प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन पर 2002 से 2005 की अवधि के दौरान आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने और मेसर्स इंडो मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी संस्थाओं के बैंकों को चूना लगाने का केस हुआ। इस मामले में चालान साल 2007 में आया लेकिन राजशेकर और उनकी पत्नी मणि एम शेखर दोनों ही पेश नहीं हुए और इसके बाद से ही फरार थे। इन पर 50 हजार का ईनाम भी घोषित हुआ।
दोनों आरोपियों ने बदल ली पहचान
दोनों ही आरोपियों ने फरार होने के बाद पुरी तरह अपनी पहचान बदल ली और नए नाम, पहचान से अपने नए पहचान पत्र बनवा लिए। साथ ही इंदौर आकर बस गए। नई पहचान के तहत इन्होने नाम कृष्ण कुमार गुप्ता और गीता गुप्ता रख लिया। मोबाइल नंबर, ईमेल, पैन नंबर और अन्य जानकारी भी बदलवा ली।
👉 सीबीआई ने 19 साल बाद महिला को पकड़ा: सीबीआई ने 8 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी महिला मणि एम. शेखर को 19 साल बाद इंदौर से गिरफ्तार किया। आरोपी महिला और उसके पति पर बेंगलुरु में बैंक धोखाधड़ी का आरोप था।
👉 आरोपियों ने बदल ली थी पहचान: फरार होने के बाद दोनों आरोपियों ने अपनी पहचान बदल ली थी और नए नाम से नए पहचान पत्र बनवाए। वे इंदौर में कृष्ण कुमार गुप्ता और गीता गुप्ता के नाम से रहने लगे थे।
👉 हाईटेक इमेज सर्च से पहचान: सीबीआई ने डिजिटल फुटप्रिंट्स का पता लगाने के लिए हाईटेक इमेज सर्च टूल्स का इस्तेमाल किया। इसके जरिए उन्होंने 90% मिलान के साथ दोनों आरोपियों की सही पहचान की, जो अपनी झूठी पहचान में छिपे थे।
👉 पति की मौत, पत्नी की गिरफ्तारी: जांच के दौरान पता चला कि आरोपी रामानुजम मुथुरामलिंगम शेखर की 2008 में मृत्यु हो चुकी थी। उनकी पत्नी मणि एम. शेखर को गिरफ्तार कर बेंगलुरु की अदालत में पेश किया गया।
सीबीआई ने कैसे की पहचान?
सीबीआई ने इन भगोड़ों के डिजिटल फुटप्रिंट्स का पता लगाने के लिए इमेज सर्च की हाईटेक टेक्निक का यूज किया। कई इमेज की लगातार सर्च चलती रही। 90% से ज़्यादा फोटो मिलान के साथ, इमेज सर्च टूल्स ने उनकी झूठी पहचान के बावजूद सटीक पहचान कर ली।
हाईटेक जांच से जमीनी स्तर पर जांच अधिकारियों के प्रयासों से लंबे समय से फरार अपराधियों का पता लगाने का काम हुआ। इसके बाद अब इंदौर, मध्य प्रदेश में बदले हुए नाम और पहचान के साथ रह रहे इन दोनों आरोपियों की पहचान हुई। इस मिलान के आधार पर, सीबीआई अधिकारियों की एक टीम इंदौर में आई।
पति की मौत हो चुकी, पत्नी गिरफ्तार
टीम को इंदौर में जांच के दौरान पता चला कि एक आरोपी रामानुजम मुथुरामलिंगम शेखर (आरएम शेखर) की मृत्यु 2008 में ही हो चुकी थी। दूसरी आरोपी उनकी पत्नी मणि एम. शेखर को गिरफ्तार कर बेंगलुरु की एक अदालत में पेश किया गया।