निवेश प्रस्तावों से भोपाल-इंदौर निहाल, 20 जिले तरसे...चंबल-बुंदेलखंड के हिस्से फिर 'सूखा'

कुछ जिलों की निवेश से झोली भर गई तो कुछ जिलों में सूखा ही रहा। इधर, सरकार की ओर से जारी आंकड़ों पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि हम आंकड़ों की पड़ताल कराकर सच्चाई जनता के सामने रखेंगे। पढ़िए द सूत्र की यह खास खबर...

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भोपाल. इन दिनों देश में दो कुंभ की चर्चा है। अब आप सोच रहे होंगे कि कुंभ तो ही एक था। जी हां, आप सच हैं। पर जनाब प्रयागराज महाकुंभ के साथ भोपाल में सजा था निवेश का महाकुंभ। दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां इसमें शामिल हुईं। भोपाल में दो दिन चली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट यानी जीआईएस ने मध्यप्रदेश को दुनिया के निवेश नक्शे पर ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया। 
जीआईएस में देश की 300 बड़ी औद्योगिक कंपनियों के सीईओ, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर्स शामिल हुए। गौतम अदाणी, नादिर गोदरेज, पिरुज खंबाटा, बाबा एन. कल्याणी, राहुल अवस्थी और नीरज अखौरी जैसे दिग्गज इस आयोजन के साक्षी बने। समिट में 600 से अधिक बिजनेस समूहों और सरकार के बीच बीटूजी बैठकें हुईं। वहीं, 5 हजार से ज्यादा बीटूबी यानी बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकों ने नए सहयोग और निवेश के द्वार खोले।

कुल मिलाकर ये समिट कई मायनों में खास रही। इसी का एक हिस्सा यह भी रहा कि कुछ जिलों की निवेश से झोली भर गई तो कुछ जिलों में सूखा ही रहा। इधर, सरकार की ओर से जारी आंकड़ों पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि हम आंकड़ों की पड़ताल कराकर सच्चाई जनता के सामने रखेंगे। 
पढ़िए द सूत्र की यह खास खबर...

सबसे पहले तो बात सरकार के दावों की

मोहन सरकार का दावा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद निवेशकों को रिझाने में मध्य प्रदेश ने गुजरात को पीछे छोड़ दिया है। दो दिन की समिट में कुल 26.61 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले अथवा कंपनियों से करार यानी एमओयू हुए हैं। वहीं, डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक साल के भीतर हुई सात रीजनल कॉन्क्लेव, छह रोड शो अथवा इंटरैक्टिव सेशन को मिला लें तो जीआईएस के बाद मध्य प्रदेश के कुल निवेश प्रस्ताव 30.77 लाख रुपए करोड़ पहुंच गए हैं। सर्वाधिक निवेश प्रस्ताव लाने वाला मध्य प्रदेश तीसरा राज्य बन गया है। इससे पहले गुजरात में 26.33 लाख करोड़ रुपए के निवेश करार हुए थे। 

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सरकार ने ये बताए आंकड़े 

जीआईएस 26.61 लाख करोड़
रीजनल कॉन्क्लेव 2.34 लाख करोड़  
रोड शो 1.42 लाख करोड़ रुपए
कुल

30.77 लाख करोड़ रुपए 

किस प्रदेश को कितने निवेश प्रस्ताव मिले 

प्रदेश निवेश प्रस्ताव (लाख करोड़ रुपए)
उत्तरप्रदेश 40
राजस्थान 35
मध्य प्रदेश 26.61
गुजरात 26.33
कर्नाटक 10.27
पश्चिम बंगाल 4.4
असम 2

10 सेक्टर में 83 करार 

मध्य प्रदेश में जीआईएस में मिले निवेश प्रस्तावों का संभागवार या क्षेत्र वार आंकड़े देखने पर पता चलता है कि जीआईएस में निवेशकों ने इंदौर और भोपाल जोन में सबसे ज्यादा निवेश की संभावनाएं तलाशी हैं। भोपाल में दो दिन चले निवेश के महाकुंभ में 10 अलग-अलग सेक्टर में 83 एमओयू हुए। इनमें से सर्वाधिक 29 एमओयू इंदौर जोन तो 22 भोपाल जोन में आए। 

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जोन के हिसाब से निवेश...

1. इंदौर जोन: इंदौर, धार, बुरहानपुर, अलीराजपुर, झाबुआ, खरगोन, खंडवा और बड़वानी जिले के लिए 29 एमओयू हुए।
2. भोपाल जोन: भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिले के 22 एमओयू हुए।
3. जबलपुर जोन: 9 एमओयू
4. रीवा जोन: 7 एमओयू
5. शहडोल जोन: 5 एमओयू
6. नर्मदापुरम जोन: 4 एमओयू
7. उज्जैन जोन: 2 एमओयू
8. ग्वालियर और चंबल जोन: 1-1 एमओयू

इन बड़े कारोबारियों ने किया एमपी में निवेश का वादा 

  1. अदाणी ग्रुप: 2.10 लाख करोड़ रुपए का निवेश रिन्यूएबल एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग, सीमेंट, माइनिंग और  थर्मल पॉवर सेक्टर में करने का वादा।
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  2. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड: 60 हजार करोड़ रुपए का निवेश बायो फ्यूल बेस्ड प्रोजेक्ट और रिन्यूएबल एनर्जी में करने की बात।

  3. अवाडा एनर्जी: 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश रिन्यूएबल एनर्जी, बैटरी और पंप हाइड्रो स्टोरेज के क्षेत्र में करने की सहमति।
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  4. आदित्य बिरला ग्रुप: हिंडाल्को 15 हजार करोड़ का निवेश करेगी माइनिंग के क्षेत्र में सागर जिले के बंडा क्षेत्र के आसपास।

  5. पतंजलि आयुर्वेद: 5 हजार करोड़ रुपए का निवेश आयुर्वेद, फूड प्रोसेसिंग और पोषक चीजों पर करने की सहमति दी है।

  6. डाबर इंडिया: 550 करोड़ का इन्वेस्टमेंट फार्मा और फूड प्रोसेसिंग के सेक्टर में करने का वादा।  

  7. गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड: 450 करोड़ का निवेश मल्टीपल सेक्टर में करने की सहमति दी है। 

कहीं निवेश की बारिश, कहीं सूखा 

जीआईएस में निवेश की बारिश हुई। बड़े-बड़े एमओयू साइन हुए, पर क्या हर जिले को इसका समान लाभ मिला? जवाब है, नहीं! मध्य प्रदेश के कई जिलों को इस समिट से उम्मीदें थीं, पर उनकी झोली तक निवेश की छींटें भी नहीं पड़े। गौरतलब है कि 83 कंपनियों ने करार किए हैं, लेकिन बुंदेलखंड और चंबल के कई जिलों में निवेशकों ने रुचि नहीं दिखाई। 20 जिले ऐसे रहे जहां के लिए करार अथवा एमओयू नहीं हुए। सागर में सिर्फ 3 कंपनियों ने करार किया, मुरैना को 1 कंपनी ने चुना और ग्वालियर को मात्र 1 प्रस्ताव मिला, जबकि इंदौर, भोपाल, रीवा और जबलपुर में निवेशकों ने दिल खोलकर करार किए। 

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ये है पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह 

1. औद्योगिक पार्कों का अभाव

ग्वालियर और बुंदेलखंड अंचल में बड़े औद्योगिक पार्कों का विकास नहीं हुआ, जिससे कंपनियां निवेश करने से हिचकिचाती हैं। 

2. पानी और पर्यावरण की चुनौतियां

बुंदेलखंड और चंबल में पानी की समस्या अब भी बड़ी है। कम बारिश और जल संकट के चलते यहां इंडस्ट्रीज को मुश्किलें होती हैं।

3. कनेक्टिविटी की कमी

बड़े उद्योगों को सड़क, रेल और एयर कनेक्टिविटी चाहिए? लेकिन इन क्षेत्रों में अब तक उतना बुनियादी विकास नहीं हो सका है, जितना प्रदेश के अन्य हिस्सों में हुआ है।

4. कानून व्यवस्था को लेकर चिंता

औद्योगिक निवेश के लिए शांत माहौल और सुरक्षित परिवेश जरूरी होता है, लेकिन इन क्षेत्रों में अब भी कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल बने हुए हैं।

इन जिलों में ज्यादा निवेश प्रस्ताव आए

इंदौर, भोपाल, रीवा, जबलपुर, शहडोल, सागर, उज्जैन और नर्मदापुरम अंचल में अच्छे निवेश प्रस्ताव आए हैं। 

ये जिले निवेश में पिछड़े

खरगोन, बड़वानी, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, दतिया, श्योपुर, सतना, दमोह, पन्ना, छतरपुर, निवाड़ी, टीकमगढ़, विदिशा, हरदा, सिवनी, बालाघाट निवेश के मामले में पिछड़ गए। 

नए जिलों में भी निवेश का सूखा

प्रदेश में नए बने जिलों पांढुर्णा, मऊगंज, मैहर जिलों तक निवेश पहुंचा ही नहीं।  

इधर, जीआईएस पर बयानबाजी...

इधर, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। सीएम डॉ.मोहन यादव समिट को मिशन करार दे रहे हैं तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 

सीएम बोले- ये सिर्फ आंकड़े नहीं मेरे जीवन का मिशन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि जीआईएस में 30.77 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव सिर्फ आंकड़े नहीं, मेरे लिए मिशन है। मध्य प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का मेरा प्रण और परिश्रम का प्रतिफल, इस निवेश रूपी वर्षा से ऊर्जा में बदल गया है। निवेश की 18 नई नीतियों के प्रति निवेशकों का रुझान देखकर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय याद आ गए, जो हमें कर्म और कर्तव्य की प्रेरणा देते हैं। प्रदेश की 8.50 करोड़ जनता से मेरा वादा है कि हमारी सरकार परफॉर्म भी करेगी, पॉलिसी के माध्यम से रिफॉर्म भी करेगी और उद्योगों से प्रदेश को ट्रांसफॉर्म भी करेगी। 

कांग्रेस ने कहा- सच्चाई जनता के सामने लाएंगे

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि निवेश के हवा-हवाई दावे विश्वसनीयता खो चुके हैं। हम आंकड़ों की पड़ताल करेंगे। सच्चाई भी जनता के सामने रखेंगे। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, सरकार बताए कि प्राइवेट सेक्टर में कितने उद्योगपतियों ने निवेश किया है? उद्योगपति यदि यहां नहीं आ रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप बीमारू राज्य हैं।

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