आकाश विजयवर्गीय के बल्ला कांड पर बरी होने पर सरकार ने नहीं की अपील

कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय बल्ला कांड से 9 सितंबर को बरी हो गए थे। आकाश सहित कुल दस आरोपी थे और सभी को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आरोपों से मुक्त कर दिया है।

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Sanjay gupta
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नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय बल्ला कांड से 9 सितंबर को बरी हो गए थे।  आकाश सहित कुल दस आरोपी थे और सभी को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आरोपों से मुक्त कर दिया है। अब इस मामले में मप्र सरकार ने भी बड़ी राहत दे दी है। 

तय समय में कोई अपील ही नहीं की

इस मामले में शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ताओं ने अपील के लिए कोई फाइल ही नहीं चलाई है। कायदे से 60 दिन के भीतर इस मामले में अपील पर फैसला होना था लेकिन यह समयसीमा बीत चुकी है। इसमें शासन की ओर से पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय सहित अन्य के बरी होने के खिलाफ किसी तरह की अपील करने की कोई फाइल नहीं चलाई गई है। ऐसे में अब मामला पूरी तरह से खत्म हो चुका है।

क्यों नहीं की गई अपील?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में अपील के लिए पहले चर्चा की गई लेकिन इसमें सामने आया कि अपील के लिए किसी तरह का आधार ही मौजूद नहीं है। क्योंकि वीडियो की सत्यता साबित नहीं हुई। वहीं सबसे अहम इस पूरे मामले में आकाश विजयवर्गीय जिस भवन अधिकारी धीरेंद्र बायस को वायरल वीडियो में बल्ला मारते हुए दिख रहे थे। वह भवन अधिकारी बायस खुद ही अपने बयान से पलट गए और कोर्ट में बयान दिया कि उन्होंने बल्ला मारते हुए आकाश को नहीं देखा था। इसी तरह जो पूरे 23 गवाह थे वह सभी इस मामले में पलट गए थे। पैनड्राइव मान्य ही नहीं हुई। क्योंकि इसे ऑन द रिकॉर्ड विधिक स्त्रोत से लेना और जमा होना ही नहीं बता पाया। साथ ही तीसरी बात इस घटना में मुख्य हथियार यानी बल्ला की जब्ती पुलिस ने खुले में बताई है, यानी यह कहीं पर पड़ा हुआ था, यह आकाश से जब्त होना नहीं बताया गया था। इन सभी कारणों से अपील के लिए कोई आधार ही नहीं बना और अपील नहीं की गई। 

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यह हुई थी चर्चित बल्लाकांड की घटना

26 जून 2019 की घटना है तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। सुबह 11.30 बजे निगम की रिमूवल टीम जोन 3 में वार्ड 57 में जर्जर मकान हटाने के लिए पहुंची थी। इसमें आरोप थे कि पहले कई लोगों की भीड़ आई और रिमूवल नहीं करने के लिए कहा इसके दस मिनट बाद विधायक आकाश विजयवर्गीय आए और भवन अधिकारी असित खरे से कहा कि 10-15 मिनट में चले जाओ वर्ना मारकर भगा देंगे। इसके बाद विजयवर्गीय ने बल्ला लिया और जोनल अधिकारी धीरेंद्र बायस के पैर पर मारा। इसके बाद इनके साथ दस लोगों ने मारपीट की और मुक्कों से मारा। पुलिस बायस को लेकर गई। इस घटना में आकाश 26 से 29 जून तक चार दिन जेल में रहे। फिर जमानत हुई। उन पर इस मामले में धारा 353, 323, 294 और 506 लगी थी। इसमें विजयवर्गीय के साथ ही भरत खस, पंकज पांडे, जितेंद्र उर्फ जीतू खस, भैरूलाल श्रीवंश, सुमित पिपेल, अभिषेक गौड़, जयंत पांचाल, प्रेम विजयवर्गीय, नितिन शर्मा, मोनू कल्याणे (निधन हो गया इनका) पर केस बना। इन पर आईपीसी 353. 294, 323, 506, 147, 148 धारा लगी। 

कितने गवाह और क्या थे सबूत?

घटना में कुल 23 गवाह थे। इसके साथ ही पुलिस ने तीन पेन ड्राइव पेश की, जिसमें घटना के दिन के वीडियो था। इस वीडियो में बल्ले से आकाश विजयवर्गीय बायस को मारते हुए दिख रहे हैं, साथ ही 11 फोटो व अन्य वीडियो थे, जिसमें मारपीट की जा रही है। सबसे अहम वह हथियार बल्ला था जिससे आकाश द्वारा पीटने के आरोप थे और वह बल्लेबाज के तौर पर चर्चित हुए थे। 

मुख्य फरियादी ने ऐसे कोर्ट को घुमाया

फरियादी धीरेंद्र बायस ने कहा कि मैं मोबाइल पर था मैंने नहीं देखा किसने बल्ला मारा। आसपास तीन-चार लोग बल्ला लिए खड़े हुए थे। मैं नहीं कह सकता किसने मारा। वीडियो मैंने सोशल मीडिया पर जो चले थे वह एकत्र कर पुलिस को दिए थे। आकाश विधायक हैं इसलिए जानता हूं, बाकी को नहीं पहचानता हूं।

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वीडियो में किसी और की जगह आकाश का चेहरा लगाया

बायस ने वीडियो में आकाश द्वारा मारपीट को लेकर कहा कि वीडियो में किसने क्या हिस्सा जोड़ा और काटा, नहीं बता सकता। क्योंकि सोशल मीडिया से वीडियो लिया था। जब आरोपी के वकील ने पूछा कि यह वीडियो फेक है और संभव है कि किसी अन्य वीडियो में अन्य चेहरे पर आकाश का चेहरा फर्जी तरीके लगाकर उन्हें फंसाया गया हो, तो इस पर भी बायस ने कहा प्रामणिकता वीडियो की नहीं कह सकता। वीडियो में कुछ भी कांट-छांट हो सकती है। इसी तरह अन्य गवाह भी पलट गए। इन सभी के चलते अपील का कोई आधार नहीं बना।

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