भोपाल में राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के एक चपरासी और बैंक मैनेजर ने मिलकर 10 करोड़ रुपए का घोटाला कर डाला। इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर फरार है। आरोपियों ने सरकारी योजना की एफडी तोड़कर रकम अपने खातों में ट्रांसफर की और जमीन खरीदी। उनका प्लान था कि जमीन पर लोन लेकर गबन की रकम को वापस चुकाया जाएगा, लेकिन ऑडिट में हेराफेरी पकड़ में आ गई।
एफडी तोड़कर 10 करोड़ रुपए का गबन
राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था की 5-5 करोड़ रुपए की 2 एफडी को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से तोड़ा गया। यह रकम चपरासी बृजेंद्र दास के एचडीएफसी खाते में ट्रांसफर की गई।
गिरफ्तारी और रिकवरी
पुलिस ने चपरासी, यस बैंक मैनेजर और अन्य 4 लोगों को गिरफ्तार कर 9 करोड़ रुपए रिकवर कर लिए हैं। मामले में सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर नोएल सिंह फरार है।
फर्जी अकाउंट्स और दस्तावेज
50 से अधिक फर्जी बैंक अकाउंट खोले गए, जिसमें गबन की रकम ट्रांसफर की जाती थी। इसके लिए फर्जी कागजात और संस्था की सील का उपयोग किया गया।
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आरोपियों की भूमिकाएं
- बृजेंद्र दास नामदेव (चपरासी): संस्था की फर्जी सील और दस्तावेजों के जरिए एफडी तोड़ी। रकम फर्जी खातों में ट्रांसफर की।
- दीपक पंथी (सहायक ग्रेड-3): संस्था की बैंकिंग जानकारी और दस्तावेज गबन के लिए साझा किए।
- धनंजय गिरी (पूर्व बैंक कर्मचारी): बिना सत्यापन के फर्जी खातों को खोलने में मदद की।
- शैलेंद्र प्रधान (ज्योतिषाचार्य): अपने केंद्र पर लोगों को गुमराह कर उनके नाम पर फर्जी फर्म तैयार की और चालू खाते खुलवाए।
- राजेश शर्मा और पीयूष शर्मा: फर्जी बिलों के जरिए गबन की रकम को अपने खातों में ट्रांसफर किया और कमीशन काटकर कैश में दिया।
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सोशल मीडिया पर वायरल मामला
यह मामला ऑडिट के दौरान उजागर हुआ। डीसीपी रियाज इकबाल ने बताया कि केस सितंबर में दर्ज हुआ। जांच के लिए एसीपी निहित उपाध्याय और टीआई अवधेश भदौरिया की अगुवाई में 10 सदस्यीय एसआईटी बनाई गई है।
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